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'''सरालक''' एक ऐतिहासिक स्थान है, जिसका उल्लेख [[पाणिनि]] की '[[अष्टाध्यायी]]'<ref>अष्टाध्यायी 4, 3, 93</ref> में हुआ है। यह स्थान संभवतः [[लुधियाना ज़िला|ज़िला लुधियाना]] ([[पंजाब]]) में स्थित 'सहराल' है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=942|url=}}</ref>
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08:21, 8 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

सरालक एक ऐतिहासिक स्थान है, जिसका उल्लेख पाणिनि की 'अष्टाध्यायी'[1] में हुआ है। यह स्थान संभवतः ज़िला लुधियाना (पंजाब) में स्थित 'सहराल' है।[2]

  • सहरालिए वैश्य यहाँ से अपना निकास मानते हैं।[3][4]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अष्टाध्यायी 4, 3, 93
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 942 |
  3. सरालकोऽभिजनो यस्य स: सारालक:
  4. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 87 |

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