"जो रहीम गति दीप की -रहीम": अवतरणों में अंतर

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[[दीपक]] के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।
[[दीपक]] के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।


{{लेख क्रम3| पिछला=जे गरीब पर हित करैं -रहीम |मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन देख बड़ेन को -रहीम }}
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09:17, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥

अर्थ

दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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