"अनिल बरन राय (समाजवादी कार्यकर्ता)": अवतरणों में अंतर
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==परिचय== | ==परिचय== |
12:56, 18 अप्रैल 2018 का अवतरण
अनिल बरन राय | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अनिल बरन राय (बहुविकल्पी) |
अनिल बरन राय (समाजवादी कार्यकर्ता)
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पूरा नाम | अनिल बरन राय |
जन्म | 1921 |
जन्म भूमि | पूर्वी बंगाल |
मृत्यु | 6 जनवरी, 1952 |
मृत्यु कारण | कैंसर |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | समाजिक कार्यकर्ता तथा स्वतंत्रता सेनानी |
अन्य जानकारी | सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणा से अनिल बरन राय कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। जब सुभाष बाबू ने ‘फ़ारवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया तो अनिल बरन भी उसमें शामिल हो गए। |
अनिल बरन राय (जन्म- 1921, पूर्वी बंगाल; मृत्यु- 6 जनवरी, 1952) का नाम अपने समय में बंगाल के प्रसिद्ध समाजवादी कार्यकर्ताओं में लिया जाता है। उनका यह मानना था कि देश की समस्याओं का समाधान क्रांतिकारी तरीकों से सम्भव है। उनकी राजनीतिक गतिविधियों के कारण अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। सन 1921 में अनिल बरन राय ने 'श्रीसंघ' नाम की एक संस्था भी बनाई थी।
परिचय
बंगाल के प्रसिद्ध समाजवादी कार्यकर्ता अनिल बरन राय का जन्म 1921 में पूर्व बंगाल के ढाका ज़िले में हुआ था। उन्होंने ढाका कॉलेज से क़ानून की शिक्षा पाई, पर वकालत ना करके सार्वजनिक क्षेत्र में आ गए। उनके ऊपर स्वामी विवेकानंद और उपनिषदों का बड़ा प्रभाव था।[1]
समाजवादी विचारधारा
अनिल बरन राय समाजवादी विचारधारा में विश्वास करते थे और मानते थे कि राष्ट्र की समस्याओं का समाधान क्रांतिकारी तरीकों से ही संभव है। अपने विचारों के प्रचार के लिए उन्होंने 1921 में ‘श्रीसंघ’ नामक संस्था बनाई और सन 1928 में ‘सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी’ का गठन भी किया।
गिरफ्तारी
अनिल बरन राय की राजनीतिक गतिविधियों को देखकर सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और वे 1938 तक जेल में बंद रहे। इस बीच मार्क्सवाद का गहन अध्ययन करने के बाद उन्होंने कम्युनिस्टों की विचारधारा का विरोध किया और नजरबंदी से छूटने के बाद सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणा से कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। जब सुभाष बाबू ने ‘फ़ारवर्ड ब्लॉक’ का गठन किया तो अनिल बरन भी उसमें शामिल हो गए।
सुभाष बाबू के 1941 में देश से बाहर जाने के बाद वह उनके बनाए दल का काम करते हुए फिर गिरफ्तार कर लिए गए और 1946 में ही बाहर आ सके। देश के विभाजन के समय पूर्वी बंगाल में हिंदुओं पर जो अत्याचार हुए, उन्हें देखते हुए अनिल ने वहीं रहकर प्रताड़ित की सहायता करने का निश्चय किया। परंतु वहां की परिस्थितियों में रुके रहना संभव नहीं हुआ और वह वापस भारत आ गए।
मृत्यु
अनिल बरन राय 1952 के प्रथम आम चुनाव में बंगाल से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, पर 6 जनवरी, 1952 को कैंसर की बीमारी से उनका निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 25-26 |
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