"आर्षिक": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "मजबूत" to "मज़बूत")
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
आर्षिक अथवा असिक आधुनिक [[महाराष्ट्र]] में [[कृष्णा नदी]] के तट पर अवस्थित रहा है।  [[पतंजलि]] के 'महाभाष्य'<ref>महाभाष्य 14, 22</ref> में भी आर्षिक का उल्लेख हुआ है।
आर्षिक अथवा असिक आधुनिक [[महाराष्ट्र]] में [[कृष्णा नदी]] के तट पर अवस्थित रहा है।  [[पतंजलि]] के 'महाभाष्य'<ref>महाभाष्य 14, 22</ref> में भी आर्षिक का उल्लेख हुआ है।
*गौतमीपुत्र शातकर्णि की [[नासिक]] प्रशांति में असिक का उल्लेख है। [[हेमचंद्र रायचौधरी|प्रो. हेमचंद्र रायचौधरी]] की मान्यता है कि यह असम्भव नहीं कि उत्तर में [[विदर्भ]], पूर्व में [[आन्ध्र प्रदेश|आन्ध्र देश]] और दक्षिण में अनेगुण्डी से घिरे प्रदेश को असिक कहते  रहे हों।
*गौतमीपुत्र शातकर्णि की [[नासिक]] प्रशांति में असिक का उल्लेख है। [[हेमचंद्र रायचौधरी|प्रो. हेमचंद्र रायचौधरी]] की मान्यता है कि यह असम्भव नहीं कि [[उत्तर (दिशा)|उत्तर]] में [[विदर्भ]], [[पूर्व दिशा|पूर्व]] में [[आन्ध्र प्रदेश|आन्ध्र देश]] और [[दक्षिण |दक्षिण]] में अनेगुण्डी से घिरे प्रदेश को '''असिक''' कहते  रहे हों।
*असिक कृष्णा की घाटी के मध्य भाग में रहा होगा, जबकि उसकी निचली घाटी में तेलगू लोग और ऊपरी भाग में [[कर्णाट]] रहे होंगे।
*असिक कृष्णा की घाटी के मध्य भाग में रहा होगा, जबकि उसकी निचली घाटी में तेलगू लोग और ऊपरी भाग में [[कर्णाट]] रहे होंगे।
*आर्षिक को महारानी गौतमी बलश्री के [[नासिक]] अभिलेख <ref>द्वितीय शती ईसवी</ref> में उसके पुत्र [[सातवाहन]] नरेश गौतमी पुत्र के राज्य में सम्मिलित बताया गया है।  
*आर्षिक को महारानी गौतमी बलश्री के [[नासिक]] [[अभिलेख]] <ref>द्वितीय शती ईसवी</ref> में उसके [[पुत्र]] [[सातवाहन]] नरेश गौतमी पुत्र के राज्य में सम्मिलित बताया गया है।  
*अभिलेख में आर्षिक का [[प्राकृत]] नाम असिक दिया हुआ है।  
*अभिलेख में आर्षिक का [[प्राकृत]] नाम असिक दिया हुआ है।  
*इस अभिलेख से ज्ञात होता रहा है। कि शातकर्णि ने इस नगर पर विजय प्राप्त की थी।इस विजय ने दक्षिण में उसकी स्थिति मज़बूत कर दी थी। [[खारवेल]] के [[हाथीगुम्फा अभिलेख]] में इसे कण्हवेणा के तट पर बताया गया है। खारवेल ने इस नगर पर अपनी विजय का दावा किया है।
*इस अभिलेख से ज्ञात होता रहा है। कि शातकर्णि ने इस नगर पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय ने दक्षिण में उसकी स्थिति मज़बूत कर दी थी। [[खारवेल]] के [[हाथीगुम्फा अभिलेख]] में इसे '''कण्हवेणा के तट पर''' बताया गया है। खारवेल ने इस नगर पर अपनी विजय का दावा किया है।
*संभवत: [[महाभारत]] में भी इसी आर्षिक का तीर्थ के रूप में नामोल्लेख है।  
*संभवत: [[महाभारत]] में भी इसी आर्षिक का [[तीर्थ]] के रूप में नामोल्लेख है।  
*यह शायद [[पुष्कर]] के पार्श्ववर्ती प्रदेश में स्थित था।  
*यह शायद [[पुष्कर]] के पार्श्ववर्ती प्रदेश में स्थित था।  


{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 52| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
पंक्ति 17: पंक्ति 18:
[[Category:ऐतिहासिक_स्थल]]
[[Category:ऐतिहासिक_स्थल]]
[[Category: सातवाहन साम्राज्य]]
[[Category: सातवाहन साम्राज्य]]
[[Category:महाभारत]]
[[Category:महाभारत]] [[Category:ऐतिहासिक स्थानावली]]


__INDEX__
__INDEX__
{{सुलेख}}
{{सुलेख}}

07:33, 4 मई 2018 का अवतरण

आर्षिक अथवा असिक आधुनिक महाराष्ट्र में कृष्णा नदी के तट पर अवस्थित रहा है। पतंजलि के 'महाभाष्य'[1] में भी आर्षिक का उल्लेख हुआ है।

  • गौतमीपुत्र शातकर्णि की नासिक प्रशांति में असिक का उल्लेख है। प्रो. हेमचंद्र रायचौधरी की मान्यता है कि यह असम्भव नहीं कि उत्तर में विदर्भ, पूर्व में आन्ध्र देश और दक्षिण में अनेगुण्डी से घिरे प्रदेश को असिक कहते रहे हों।
  • असिक कृष्णा की घाटी के मध्य भाग में रहा होगा, जबकि उसकी निचली घाटी में तेलगू लोग और ऊपरी भाग में कर्णाट रहे होंगे।
  • आर्षिक को महारानी गौतमी बलश्री के नासिक अभिलेख [2] में उसके पुत्र सातवाहन नरेश गौतमी पुत्र के राज्य में सम्मिलित बताया गया है।
  • अभिलेख में आर्षिक का प्राकृत नाम असिक दिया हुआ है।
  • इस अभिलेख से ज्ञात होता रहा है। कि शातकर्णि ने इस नगर पर विजय प्राप्त की थी। इस विजय ने दक्षिण में उसकी स्थिति मज़बूत कर दी थी। खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख में इसे कण्हवेणा के तट पर बताया गया है। खारवेल ने इस नगर पर अपनी विजय का दावा किया है।
  • संभवत: महाभारत में भी इसी आर्षिक का तीर्थ के रूप में नामोल्लेख है।
  • यह शायद पुष्कर के पार्श्ववर्ती प्रदेश में स्थित था।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 52| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
  1. महाभाष्य 14, 22
  2. द्वितीय शती ईसवी

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


सुव्यवस्थित लेख