"मृणालिनी साराभाई": अवतरणों में अंतर
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'''मृणालिनी साराभाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mrinalini Sarabhai'', जन्म- [[11 मई]], [[1918]], [[केरल]]; मृत्यु- [[21 जनवरी]], [[2016]], [[अहमदाबाद]], [[गुजरात]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। उन्हें 'अम्मा' के तौर पर जाना जाता था। [[शास्त्रीय नृत्य]] में उनके योगदान तथा उपलब्धियों को देखते हुए [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[पद्मभूषण]]' से सम्मानित किया था। | '''मृणालिनी साराभाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mrinalini Sarabhai'', जन्म- [[11 मई]], [[1918]], [[केरल]]; मृत्यु- [[21 जनवरी]], [[2016]], [[अहमदाबाद]], [[गुजरात]]) [[भारत]] की प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। उन्हें 'अम्मा' के तौर पर जाना जाता था। [[शास्त्रीय नृत्य]] में उनके योगदान तथा उपलब्धियों को देखते हुए [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[पद्मभूषण]]' से सम्मानित किया था। | ||
== | ==परिचय== | ||
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मृणालिनी साराभाई का जन्म भारतीय राज्य [[केरल]] में 11 मई, 1918 को हुआ था। उनके [[पिता]] डॉ. स्वामीनाथन मद्रास हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे। मां अम्मू स्वामीनाथन स्वतंत्रता सेनानी थीं, जो बाद में देश की पहली [[संसद]] की सदस्य भी रहीं। बहन [[लक्ष्मी सहगल]] [[सुभाषचंद्र बोस]] के साथ थीं। मृणालिनी ने बचपन का अधिकांश समय स्विट्जरलैंड में बिताया। यहां 'डेलक्रूज स्कूल' से उन्होंने पश्चिमी तकनीक से नृत्य कलाएं सीखीं।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/national/article1-padma-bhushan-classical-dancer-mrinalini-sarabhai-died-513396.html |title= पद्मभूषण सुप्रसिद्ध नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई का निधन|accessmonthday= 21 जनवरी|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई का निधन |language= हिन्दी}}</ref> फिर उन्होंने [[रबींद्रनाथ टैगोर]] की देख-रेख में [[शांति निकेतन]] में शिक्षा ग्रहण की और यहीं से नृत्य उनकी जिंदगी बन गया। उनके पति [[विक्रम साराभाई]] देश के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे। उनकी बेटी मल्लिका साराभाई भी प्रसिद्ध नृत्यांगना और समाजसेवी हैं। मृणालिनी की बड़ी बहन लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानी जाती हैं। वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की [[आज़ाद हिंद फ़ौज]] की महिला सेना झांसी रेजीमेंट की कमांडर इन चीफ़ थीं। | |||
==नृत्य प्रशिक्षण== | |||
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तत्कालीन समय में यह वह दौर, था जब कलाकार सिर्फ एक ‘फॉर्म’ नहीं सीखते थे। मृणालिनी साराभाई ने भी नृत्य की अलग-अलग शैलियों की बारीकियां सीखीं। उन्होंने अमूबी सिंह से मणिपुरी नृत्य सीखा। कुंजु कुरूप से कथकली सीखा। मीनाक्षी सुदंरम पिल्लै और मुथुकुमार पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा। उनके हर एक गुरू का अपनी अपनी कला में जबरदस्त योगदान था। इसी दौरान उन्होंने विश्वविख्यात [[सितार]] वादक [[पंडित रविशंकर]] के भाई [[उदय शंकर|पंडित उदय शंकर]] के साथ भी काम किया। पंडित उदय शंकर का भारतीय कला को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलाने का श्रेय जाता है। उन्होंने आधुनिक नृत्य को लोकप्रियता और कामयाबी के अलग मुकाम पर पहुंचाया। इस बीच मृणालिनी साराभाई कुछ दिनों के लिए [[अमेरिका]] भी गईं और वहां जाकर ड्रामाटिक आर्ट्स की बारीकियां सीखीं। इसके बाद मृणालिनी साराभाई ने देश दुनिया में भारतीय नृत्य परंपरा का विकास किया। | |||
==पुरस्कार व सम्मान== | |||
{{main|मृणालिनी साराभाई को प्राप्त पुरस्कार व सम्मान}} | |||
मृणालिनी साराभाई ने [[भारत]] लौटकर जानी-मानी नृत्यांगना मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई से [[भरतनाट्यम]] का प्रशिक्षण लिया और फिर दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य और पौराणिक गुरु थाकाज़ी कुंचू कुरुप से [[कथकली]] के शास्त्रीय नृत्य-नाटक में प्रशिक्षण लिया। [[भारत सरकार]] की ओर से मृणालिनी साराभाई को देश के प्रसिद्ध नागरिक सम्मान '[[पद्मभूषण]]' और '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया था। 'यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंगलिया', नॉविच यूके ने भी उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी थी। 'इंटरनेशनल डांस काउंसिल पेरिस' की ओर से उन्हें एग्जीक्यूटिव कमेटी के लिए भी नामित किया गया था। प्रसिद्ध 'दर्पणा एकेडमी' की स्थापना मृणालिनी साराभाई ने की थी। | |||
10:33, 11 मई 2018 का अवतरण
मृणालिनी साराभाई
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पूरा नाम | मृणालिनी साराभाई |
जन्म | 11 मई, 1918 |
जन्म भूमि | केरल |
मृत्यु | 21 जनवरी, 2016 |
मृत्यु स्थान | अहमदाबाद, गुजरात |
अभिभावक | पिता- डॉ. स्वामीनाथन, माता- अम्मू स्वामीनाथन |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | शास्त्रीय नृत्य |
पुरस्कार-उपाधि | 'पद्मभूषण', 'पद्मश्री', 'कालिदास सम्मान' (1996-97)। |
प्रसिद्धि | शास्त्रीय नृत्यांगना |
नागरिकता | भारतीय |
संबंधित लेख | विक्रम साराभाई, लक्ष्मी सहगल |
अन्य जानकारी | मृणालिनी की बड़ी बहन लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता सेनानी थीं। वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज की महिला सेना झांसी रेजीमेंट की कमांडर इन चीफ़ थीं। |
मृणालिनी साराभाई (अंग्रेज़ी: Mrinalini Sarabhai, जन्म- 11 मई, 1918, केरल; मृत्यु- 21 जनवरी, 2016, अहमदाबाद, गुजरात) भारत की प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। उन्हें 'अम्मा' के तौर पर जाना जाता था। शास्त्रीय नृत्य में उनके योगदान तथा उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया था।
परिचय
मृणालिनी साराभाई का जन्म भारतीय राज्य केरल में 11 मई, 1918 को हुआ था। उनके पिता डॉ. स्वामीनाथन मद्रास हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे। मां अम्मू स्वामीनाथन स्वतंत्रता सेनानी थीं, जो बाद में देश की पहली संसद की सदस्य भी रहीं। बहन लक्ष्मी सहगल सुभाषचंद्र बोस के साथ थीं। मृणालिनी ने बचपन का अधिकांश समय स्विट्जरलैंड में बिताया। यहां 'डेलक्रूज स्कूल' से उन्होंने पश्चिमी तकनीक से नृत्य कलाएं सीखीं।[1] फिर उन्होंने रबींद्रनाथ टैगोर की देख-रेख में शांति निकेतन में शिक्षा ग्रहण की और यहीं से नृत्य उनकी जिंदगी बन गया। उनके पति विक्रम साराभाई देश के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे। उनकी बेटी मल्लिका साराभाई भी प्रसिद्ध नृत्यांगना और समाजसेवी हैं। मृणालिनी की बड़ी बहन लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानी जाती हैं। वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज की महिला सेना झांसी रेजीमेंट की कमांडर इन चीफ़ थीं।
नृत्य प्रशिक्षण
तत्कालीन समय में यह वह दौर, था जब कलाकार सिर्फ एक ‘फॉर्म’ नहीं सीखते थे। मृणालिनी साराभाई ने भी नृत्य की अलग-अलग शैलियों की बारीकियां सीखीं। उन्होंने अमूबी सिंह से मणिपुरी नृत्य सीखा। कुंजु कुरूप से कथकली सीखा। मीनाक्षी सुदंरम पिल्लै और मुथुकुमार पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा। उनके हर एक गुरू का अपनी अपनी कला में जबरदस्त योगदान था। इसी दौरान उन्होंने विश्वविख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर के भाई पंडित उदय शंकर के साथ भी काम किया। पंडित उदय शंकर का भारतीय कला को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलाने का श्रेय जाता है। उन्होंने आधुनिक नृत्य को लोकप्रियता और कामयाबी के अलग मुकाम पर पहुंचाया। इस बीच मृणालिनी साराभाई कुछ दिनों के लिए अमेरिका भी गईं और वहां जाकर ड्रामाटिक आर्ट्स की बारीकियां सीखीं। इसके बाद मृणालिनी साराभाई ने देश दुनिया में भारतीय नृत्य परंपरा का विकास किया।
पुरस्कार व सम्मान
मृणालिनी साराभाई ने भारत लौटकर जानी-मानी नृत्यांगना मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लिया और फिर दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य और पौराणिक गुरु थाकाज़ी कुंचू कुरुप से कथकली के शास्त्रीय नृत्य-नाटक में प्रशिक्षण लिया। भारत सरकार की ओर से मृणालिनी साराभाई को देश के प्रसिद्ध नागरिक सम्मान 'पद्मभूषण' और 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया था। 'यूनिवर्सिटी ऑफ़ ईस्ट एंगलिया', नॉविच यूके ने भी उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी थी। 'इंटरनेशनल डांस काउंसिल पेरिस' की ओर से उन्हें एग्जीक्यूटिव कमेटी के लिए भी नामित किया गया था। प्रसिद्ध 'दर्पणा एकेडमी' की स्थापना मृणालिनी साराभाई ने की थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पद्मभूषण सुप्रसिद्ध नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई का निधन (हिन्दी) नृत्यांगना मृणालिनी साराभाई का निधन। अभिगमन तिथि: 21 जनवरी, 2016।