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'''तरुण सागर जी महाराज''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tarun Sagar ji Maharaj'', जन्म- [[26 जून]], [[1967]], [[मध्य प्रदेश]]; मृत्यु- [[1 सितम्बर]], [[2018]], [[नई दिल्ली]]) [[जैन धर्म]] के भारतीय दिगम्बर पंथ के प्रसिद्ध मुनि थे। उनका वास्तविक नाम 'पवन कुमार जैन' था। उन्होंने पूरे देश में भ्रमण किया। बचपन से ही तरुण सागर जी का अध्यात्म की और बड़ा झुकाव था। वे अन्य जैन मुनियों से बिलकुल भिन्न थे। उनके प्रवचनों में हमेशा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती थी। उन्हें सुनने के लिए जैन धर्म के लोग तो आते ही थे, लेकिन अन्य [[धर्म]] के लोग भी बड़ी संख्या में उनके प्रवचन सुनते थे। तरुण सागर मुनि प्रवचन के माध्यम से रुढ़िवाद, हिंसा और भ्रष्टाचार का काफी विरोध करते थे। इसीलिए उनके प्रवचनों को ‘कड़वे प्रवचन’ कहा जाता है।
#REDIRECT [[तरुण सागर]]
==परिचय==
तरुण सागर मुनि का जन्म 26 जून, 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह में गुहंची गांव में हुआ था। तब उनका नाम पवन कुमार जैन था। उनके [[पिता]] का नाम प्रताप चन्द्र जैन और [[माता]] का नाम शांतिबाई जैन था। [[राजस्थान]] के बागीडोरा के आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें [[20 जुलाई]], [[1988]] को दिगंबर मुनि बना दिया। तब वह केवल 20 साल के थे। जीटीवी पर उनके ‘महावीर वाणी’ कार्यक्रम की वजह से वह बहुत ही प्रसिद्ध हुए।
==धार्मिक क्रियाकलाप==
सन [[2000]] में तरुण सागर ने [[दिल्ली]] के लाल किले से अपना प्रवचन दिया। उन्होंने [[हरियाणा]] (2000), [[राजस्थान]] (2001), [[मध्य प्रदेश]] (2002), [[गुजरात]] (2003), [[महाराष्ट्र]] (2004) में भ्रमण किया। इसके बाद में साल [[2006]] में ‘महा मस्तक अभिषेक’ के अवसर पर वे [[कर्नाटक]] के [[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रावणबेलगोला]] में रुके थे। वह पूरे 65 दिन अपने पैरों पर चलकर बेलगांव से सीधे कर्नाटक पहुंचे थे। वहां पहुंचने पर उन्होंने अपने प्रवचन के माध्यम से हिंसा, भ्रष्टाचार, रुढ़िवाद की कड़ी आलोचना की, जिसकी वजह से उनके प्रवचनों को ‘कटु प्रवचन’ कहा जाने लगा। उन्होंने [[बेंगळूरु]] में चातुर्मास का भी अनुसरण किया था। [[2015]] में फरीदाबाद के सेक्टर 16 में स्थित ‘श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर’ में तरुण सागर मुनि ने चातुर्मास का अनुसरण किया था। 108 श्रावक के जोड़ों ने उनका स्वागत किया था।
====विधानसभा में प्रवचन====
अधिकतर जैन साधू, भिक्षुक राजनीति के नेताओं से दूर ही रहते हैं, लेकिन मुनि तरुण सागर बहुत बार नेताओं से और सरकारी अधिकरियों से एक अतिथि के रूप में मिले। उन्होंने सन [[2010]] में मध्य प्रदेश विधानसभा और [[26 अगस्त]], [[2016]] को हरियाणा विधानसभा में प्रवचन दिया था।
==पुरस्कार व सम्मान==
तरुण सागर जी महाराज को मध्य प्रदेश (2002), गुजरात (2003), महाराष्ट्र और कर्नाटक में राज्य अतिथि के रूप में घोषित किया गया था। कर्नाटक में उन्हें "क्रान्तिकारी" का शीर्षक दिया गया और सन 2003 में मध्य प्रदेश के [[इंदौर]] शहर में उन्हें "राष्ट्रसंत" घोषित कर दिया गया।
 
तरुण सागर जी के सारे प्रवचन ‘कड़वे प्रवचन’ नाम से प्रकाशित किये गए हैं। उनके सभी प्रवचन आठ हिस्सों में संकलित किये गए। तरुण सागर की एक खास किताब भी प्रकाशित की गयी है। वह किताब इसीलिए खास है, क्योंकि उस किताब का वजन 2000 किलोग्राम है। उस किताब की लम्बाई 30 फीट और चौड़ाई 24 फीट है। ऐसी बड़ी किताब बहुत ही कम बार देखने को मिलती है।
 
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
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06:50, 1 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

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