"पियेत्रा देला वाले": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:


*पियेत्रा देला वाले ने खम्भात, [[अहमदाबाद]], [[चोल साम्राज्य|चोल]], [[गोवा]], इक्कड़ी, मंगलूर और [[कालीकट]] आदि कई स्थानों की यात्राएँ कीं।
*पियेत्रा देला वाले ने खम्भात, [[अहमदाबाद]], [[चोल साम्राज्य|चोल]], [[गोवा]], इक्कड़ी, मंगलूर और [[कालीकट]] आदि कई स्थानों की यात्राएँ कीं।
*उसके यात्रा विवरणों का प्रथम संस्करण 1663 ई. में इतालवी भाषा में प्रकाशित हुआ था।
*उसके यात्रा विवरणों का प्रथम संस्करण 1663 ई. में [[इतालवी भाषा]] में प्रकाशित हुआ था।
*[[मुग़ल]] [[भारत]] के केवल तीन शहर [[सूरत]], [[अहमदाबाद]] और खम्भात देखने का ही अवसर पियेत्रा देला वाले को मिला था।
*[[मुग़ल]] [[भारत]] के केवल तीन शहर [[सूरत]], [[अहमदाबाद]] और खम्भात देखने का ही अवसर पियेत्रा देला वाले को मिला था।
*पियेत्रा देला वाले के अनुसार सूरत का चुंगीधर ‘दोगाना’ कहलाता था और [[हिन्दू]] स्त्रियाँ अधिकांशत: [[लाल रंग]] के वस्त्र ही धारण करती थीं।
*पियेत्रा देला वाले के अनुसार सूरत का चुंगीधर ‘दोगाना’ कहलाता था और [[हिन्दू]] स्त्रियाँ अधिकांशत: [[लाल रंग]] के वस्त्र ही धारण करती थीं।
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{विदेशी यात्री}}
{{विदेशी यात्री}}
[[Category:विदेशी यात्री]][[Category:मध्य काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:विदेशी यात्री]][[Category:मध्य काल]][[Category:चरित कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:विदेशी]]
__INDEX__
__INDEX__

05:35, 7 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

  • पियेत्रा देला वाले एक 'इतालवी' यात्री था। वह 1622 ई. में सूरत पहुँचा था। उसने गुजरात के उच्च वर्ग के 'मर्दाना' तथा 'जनाना' पहनावे का विस्तार से उल्लेख किया है। साथ ही तत्कालीन भारत के समाज की धार्मिक मान्यताओं, अंधविश्वासों, रीति-रिवाजों आदि का भी उल्लेख किया है।
  • पियेत्रा देला वाले ने खम्भात, अहमदाबाद, चोल, गोवा, इक्कड़ी, मंगलूर और कालीकट आदि कई स्थानों की यात्राएँ कीं।
  • उसके यात्रा विवरणों का प्रथम संस्करण 1663 ई. में इतालवी भाषा में प्रकाशित हुआ था।
  • मुग़ल भारत के केवल तीन शहर सूरत, अहमदाबाद और खम्भात देखने का ही अवसर पियेत्रा देला वाले को मिला था।
  • पियेत्रा देला वाले के अनुसार सूरत का चुंगीधर ‘दोगाना’ कहलाता था और हिन्दू स्त्रियाँ अधिकांशत: लाल रंग के वस्त्र ही धारण करती थीं।
  • इस इतालवी यात्री के अनुसार, नागौर में ब्रह्माजी का प्रसिद्ध मंदिर था, जिसमें संगमरमर की अनेक मूर्तियाँ थीं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख