"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 426": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Gaudapadacharya.jpg|right|border|80px| | ||[[चित्र:Gaudapadacharya.jpg|right|border|80px|गौड़पादाचार्य]]'अद्वैतवाद' [[भारत]] के सनातन दर्शन [[वेदांत]] के सबसे प्रभावशाली मतों में से एक है। इसके अनुयायी मानते हैं कि [[उपनिषद|उपनिषदों]] में इसके सिद्धांतों की पूरी अभिव्यक्ति है और यह वेदांत सूत्रों के द्वारा व्यस्थित है। जहाँ तक इसके उपलब्ध पाठ का प्रश्न है, इसका ऐतिहासिक आरंभ [[मांडूक्योपनिषद|मांडूक उपनिषद]] पर [[छंद]] रूप में लिखित [[टीका]] 'मांडूक्य कारिका' के लेखक [[गौड़पाद]] से जुड़ा हुआ है। '[[अद्वैतवाद]]' विचारधारा की नीव [[गौड़पादाचार्य]] ने 215 कारीकायों ([[श्लोक|श्लोकों]]) से की थी। इनके शिष्य गोविन्दाचार्य हुए और उनके शिष्य [[दक्षिण भारत]] में जन्मे [[आदि शंकराचार्य|स्वामी शंकराचार्य]] हुए, जिन्होंने इन कारीकायों का भाष्य रचा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अद्वैतवाद]] | ||
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05:49, 19 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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