"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 430": अवतरणों में अंतर
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{निम्नलिखित में से कौन-सा | {निम्नलिखित में से कौन-सा प्रतिलोम विवाह का उदाहरण है? | ||
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-[[ब्राह्मण]] लड़का और [[क्षत्रिय]] लड़की | -[[ब्राह्मण]] लड़का और [[क्षत्रिय]] लड़की | ||
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-[[क्षत्रिय]] लड़का और [[वैश्य]] लड़की | -[[क्षत्रिय]] लड़का और [[वैश्य]] लड़की | ||
-[[वैश्य]] लड़का और [[शूद्र]] लड़की | -[[वैश्य]] लड़का और [[शूद्र]] लड़की | ||
||'प्रतिलोम विवाह' उस [[विवाह]] को कहते हैं, जिसमें उच्च कुल की स्त्री निम्न कुल के पुरुष से [[विवाह]] करती है। विशेष विवाह अधिनियम 1954, [[हिन्दू विवाह अधिनियम 1955]], हिन्दू विवाह क़ानून (संशोधन) अधिनियम [[1976]] इत्यादि के कारण अब [[अंतर्जातीय विवाह]] को क़ानूनी मान्यता प्राप्त हो गई है। | |||
फलस्वरूप प्रतिलोम नियम कमज़ोर हो गया है। इस प्रकार के विवाहों के उदाहरण प्राचीन साहित्य में मिलते हैं। यद्यपि [[इतिहास]] में ऐसा समय कभी नहीं रहा, जिसमें प्रतिलोम विवाह, पूर्णरूप से प्रचलित रहे हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रतिलोम विवाह]] | |||
{'दर्शपौर्णमास यज्ञ' कब किया जाता है? | {'दर्शपौर्णमास यज्ञ' कब किया जाता है? | ||
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-अठारह | -अठारह | ||
-बीस | -बीस | ||
||[[चित्र:Mahaveer.jpg|right|border|80px|महावीर]]'महावीर' [[जैन धर्म]] के [[प्रवर्तक]] [[ऋषभनाथ तीर्थंकर|भगवान ऋषभनाथ]] की परम्परा में 24वें [[जैन]] [[तीर्थंकर]] थे। [[महावीर]] ने [[मार्गशीर्ष]] [[दशमी]] को कुंडलपुर में दीक्षा की प्राप्ति की और दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् 2 दिन बाद [[खीर]] से इन्होंने प्रथम पारणा किया। दीक्षा प्राप्ति के बाद 12 [[वर्ष]] और 6.5 [[महीने]] तक कठोर तप करने के बाद [[वैशाख]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[दशमी]] को ऋजुबालुका नदी के किनारे '[[साल वृक्ष]]' के नीचे भगवान महावीर को '[[कैवल्य ज्ञान]]' की प्राप्ति हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महावीर]] | |||
{प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक और '[[कथक]]' शैली के | {प्रसिद्ध शास्त्रीय नर्तक और '[[कथक]]' शैली के बिरजू महाराज को [[भारत सरकार]] ने किस वर्ष '[[पद्म विभूषण]]' प्रदान किया? | ||
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+[[1986]] | +[[1986]] | ||
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-[[1988]] | -[[1988]] | ||
-[[1989]] | -[[1989]] | ||
||[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|border|80px|बिरजू महाराज]]'बिरजू महाराज' [[भारत]] के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य कलाकारों में से एक हैं। वे [[नृत्य कला|भारतीय नृत्य]] की '[[कथक नृत्य|कथक]]' शैली के आचार्य और [[लखनऊ]] के 'कालका-बिंदादीन' घराने के एक मुख्य प्रतिनिधि हैं। ताल और घुँघुरूओं के तालमेल के साथ कथक नृत्य पेश करना एक आम बात है, लेकिन जब ताल की थापों और घुँघुरूओं की रूंझन को महारास के माधुर्य में तब्दील करने की बात हो तो बिरजू महाराज के अतिरिक्त और कोई नाम ध्यान में नहीं आता। उन्हें [[भारत]] के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान '[[पद्म विभूषण]]' ([[1986]]) और 'कालीदास सम्मान' समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिरजू महाराज]] | |||
{[[भारत]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] | {[[भारत]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म [[बिहार]] के [[छपरा|छपरा ज़िले]] के किस गाँव में हुआ था? | ||
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-भगूर | -भगूर | ||
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+जीरादेई | +जीरादेई | ||
-लमही | -लमही | ||
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|right|border|80px|राजेन्द्र प्रसाद]][[बिहार]] के एक छोटे से [[गाँव]] जीरादेयू में [[3 दिसम्बर]], [[1884]] में [[राजेन्द्र प्रसाद]] का जन्म हुआ था। एक बड़े संयुक्त [[परिवार]] के राजेन्द्र प्रसाद सबसे छोटे सदस्य थे, इसलिए वह सबके दुलारे थे। राजेन्द्र प्रसाद के परिवार के सदस्यों के सम्बन्ध गहरे और मृदु थे। जीरादेयू गाँव की आबादी मिश्रित थी। सब लोग इकट्ठे रहते थे। राजेन्द्र प्रसाद की सबसे पहली याद अपने [[हिन्दू]] और [[मुसलमान]] दोस्तों के साथ 'चिक्का और [[कबड्डी]]' खेलने की है। किशोरावस्था में उन्हें [[होली]] के त्योहार का इंतज़ार रहता था और उसमें उनके [[मुसलमान]] दोस्त भी शामिल रहते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजेन्द्र प्रसाद]] | |||
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05:41, 20 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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