"रामानुज प्रसाद सिंह": अवतरणों में अंतर
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'''रामानुज प्रसाद सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramanuj Prasad Singh'') [[आकाशवाणी]] के प्रसिद्ध समाचार वक्ता थे। सन [[1960]] में आकाशवाणी से जुड़े रामानुज प्रसाद सिंह ने लबे समय तक आकाशवाणी पर ख़बरें पढ़ने का कार्य किया। सुबह, दोपहर और शाम के प्राइम बुलेटिनों में सालों तक समाचार पढ़ने के कारण रामानुज प्रसाद सिंह आम लोगों में एक जाना-पहचाना नाम बने गये थे। | '''रामानुज प्रसाद सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ramanuj Prasad Singh'', जन्म- [[5 दिसम्बर]], [[1935]]; मृत्यु- [[21 सितम्बर]], [[2021]]) [[आकाशवाणी]] के प्रसिद्ध समाचार वक्ता थे। सन [[1960]] में आकाशवाणी से जुड़े रामानुज प्रसाद सिंह ने लबे समय तक आकाशवाणी पर ख़बरें पढ़ने का कार्य किया। सुबह, दोपहर और शाम के प्राइम बुलेटिनों में सालों तक समाचार पढ़ने के कारण रामानुज प्रसाद सिंह आम लोगों में एक जाना-पहचाना नाम बने गये थे। वह [[कवि]] और साहित्य कुलगुरु [[रामधारी सिंह 'दिनकर']] के अनुज सत्यनारायण जी के बेटे यानी दिनकर जी के भतीजे थे। | ||
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==अजातशत्रु== | |||
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==वाचन शैली== | |||
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रामानुज प्रसाद सिंह (अंग्रेज़ी: Ramanuj Prasad Singh, जन्म- 5 दिसम्बर, 1935; मृत्यु- 21 सितम्बर, 2021) आकाशवाणी के प्रसिद्ध समाचार वक्ता थे। सन 1960 में आकाशवाणी से जुड़े रामानुज प्रसाद सिंह ने लबे समय तक आकाशवाणी पर ख़बरें पढ़ने का कार्य किया। सुबह, दोपहर और शाम के प्राइम बुलेटिनों में सालों तक समाचार पढ़ने के कारण रामानुज प्रसाद सिंह आम लोगों में एक जाना-पहचाना नाम बने गये थे। वह कवि और साहित्य कुलगुरु रामधारी सिंह 'दिनकर' के अनुज सत्यनारायण जी के बेटे यानी दिनकर जी के भतीजे थे।
परिचय
देश ही नहीं, विदेशों में भी जहां ऑल इंडिया रेडियो के समाचार सुने जाते थे, वहां भी रामानुज प्रसाद सिंह को बहुत सम्मान मिलता था। वह दमदार आवाज ही नहीं, शानदार व्यक्तित्व के भी मालिक थे। देवकीनन्दन पांडे और विनोद कश्यप इनसे पहले आने के कारण और भी लोकप्रिय थे। पर रामानुज ने समाचार पढ़ने का अपना अंदाज इन दोनों से अलग रखा। इसलिए उनका अपना एक अलग आभामंडल बन गया था। बड़े प्रशासक, मंत्री, कलाकार सभी उनको बेहद सम्मान देते थे। बिहार के बेगुसराय के सिमरिया गांव में 5 दिसंबर, 1935 को जन्मे रामानुज का सौभाग्य था कि सुप्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' इनके ताऊ थे।
अजातशत्रु
जब रामानुज प्रसाद सिंह ने 1966 में अपनी पसंद की लड़की मणिबाला से प्रेम विवाह किया, तो दिनकर जी ने उनकी शादी का स्वागत समारोह अपने दिल्ली स्थित आवास पर ही कराया, जिसमें कितने ही साहित्यकार, कवि और राजनेता शामिल हुए। यह सब बताता है कि उस दौर में रामानुज प्रसाद को कितना सम्मान और प्रेम मिलता था। उनके आकाशवाणी के साथियों से बात करें या परिवार के सदस्यों से, जो एक बात सभी एक सुर में कहते हैं, वह यह कि वह 'अजातशत्रु' थे।[1]
मृत्यु
रामानुज प्रसाद सिंह जी का निधन 21 सितम्बर, 2021 को हुआ। दूसरों की मदद करने को रामानुज प्रसाद सिंह तत्पर रहते थे। सेवानिवृत्ति के बाद पिछले 25 बरस उन्होंने पूरी तरह अपने परिवार को समर्पित करते हुए खूब आनंदमय जीवन बिताया। संकीर्णता से ऊपर उठकर उन्होंने अपने तीनों बच्चों का अंतरजातीय विवाह कराया। परिवार और कार्य क्षेत्र, दोनों जगह वह कई ऐसी मिसाल छोड़ गए हैं, जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
वाचन शैली
रामानुज प्रसाद सिंह की संजीदा आवाज और वाचन शैली ने शुरू से ही उन्हें आकाशवाणी के श्रोताओं के बीच लोकप्रिय बना दिया था। समाचार पढ़ने की अपनी शैली के लिए श्रोताओं के बीच रामानुज प्रसाद सिंह एक जाना-पहचाना नाम बन गए थे। उन्होंने आकाशवाणी में तीन दशकों तक काम किया।
ये आकाशवाणी है, अब आप रामानुज प्रसाद सिंह से समाचार सुनिए… करीब तीन दशक तक रेडियो पर गूंजने वाली ये आवाज हमेशा के लिए सुनने वालों के मन में अपनी कभी न मिटने वाली जगह बना चुकी है।
- रामानुज प्रसाद सिंह कवि और साहित्य कुलगुरु रामधारी सिंह 'दिनकर' के अनुज सत्यनारायण जी के बेटे यानी दिनकर जी के भतीजे थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आकाशवाणी के अजातशत्रु थे रामानुज (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 25, 2021।
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