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'''तारा जौहर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tara Jauhar'') [[दिल्ली]] की लेखिका और शिक्षाविद हैं। उन्होंने जीवनभर दार्शनिक, योग गुरु [[अरबिंदो घोष|अरबिंदो]] की शिक्षा और [[दर्शन]] का प्रचार किया है। संस्कृति में उनकी विशेषज्ञता है। दिल्ली के अरबिंदो आश्रम में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें [[पद्म श्री]], [[2022]] से सम्मानित किया है।<br />
'''तारा जौहर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tara Jauhar'') [[दिल्ली]] की लेखिका और शिक्षाविद हैं। उन्होंने जीवनभर दार्शनिक, योग गुरु [[अरबिंदो घोष|अरबिंदो]] की शिक्षा और [[दर्शन]] का प्रचार किया है। संस्कृति में उनकी विशेषज्ञता है। दिल्ली के अरबिंदो आश्रम में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें [[पद्म श्री]], [[2022]] से सम्मानित किया है।<br />
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08:36, 17 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण

तारा जौहर

तारा जौहर (अंग्रेज़ी: Tara Jauhar) दिल्ली की लेखिका और शिक्षाविद हैं। उन्होंने जीवनभर दार्शनिक, योग गुरु अरबिंदो की शिक्षा और दर्शन का प्रचार किया है। संस्कृति में उनकी विशेषज्ञता है। दिल्ली के अरबिंदो आश्रम में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री, 2022 से सम्मानित किया है।

  • तारा जौहर ऐसी महिला हैं जिन्हें साल 2017 में आठवां ऑरो रत्ना पुरस्कार दिया गया था। उनके पिता का नाम सुरेंद्र नाथ जोहर था।
  • अरबिंदो के आंदोलन में तारा जौहर ने अपना अमूल्य योगदान दिया था। यही वजह है कि तारा जौहर के सम्मान में लोग कहते हैं कि उनका परिचय देने का मतलब है सूर्य का परिचय देना। इसके पीछे का कारण यह बताते हैं कि तारा जौहर की उपलब्धियां महान हैं। तारा जौहर को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने पर पद्म श्री दिया गया है।
  • 6 भाई बहनों में तारा जौहर में बचपन से ही प्रतिभा झलकती थी। उन्होंने अरबिंदो आश्रम में अपना पूरा जीवन बिता दिया।
  • उन्होंने अरबिंदो आश्रम के लिए काफी काम किया है। अपना पूरा जीवन उस आश्रम को समर्पित कर दिया। इसके पीछे का कारण यह बताया जाता है कि तारा अपनी मां के काफी नजदीक थीं और उनका पूरा बचपन मां के आसपास बीता। इसलिए उन्होंने एक किताब 'ग्रोइंग उप विद मय मदर' लिखी थी। उनकी ये किताब काफी प्रचलित हुई।
  • तारा जोहर अरबिंदो आश्रम की दिल्ली शाखा की प्रमुख हुआ करती थीं और उनकी बहन लता जोहर अरबिंदो आश्रम, पांडिचेरी में पढ़ाया करती थीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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