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'''खांडू वांगचुक भूटिया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Khandu Wangchuk Bhutia'') भारतीय राज्य [[सिक्किम]] के वरिष्ठ चित्रकार हैं। उन्हें [[भारत सरकार]] ने कला के क्षेत्र में योगदान हेतु [[पद्म श्री]], [[2022]] से सम्मानित किया है। खांडू वांगचुक भूटिया को थांका चित्रकला के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया है।
'''खांडू वांगचुक भूटिया''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Khandu Wangchuk Bhutia'') भारतीय राज्य [[सिक्किम]] के वरिष्ठ चित्रकार हैं। उन्हें [[भारत सरकार]] ने कला के क्षेत्र में योगदान हेतु [[पद्म श्री]], [[2022]] से सम्मानित किया है। खांडू वांगचुक भूटिया को थांका चित्रकला के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया है।
==परिचय==
==परिचय==

12:22, 3 जून 2022 के समय का अवतरण

खांडू वांगचुक भूटिया

खांडू वांगचुक भूटिया (अंग्रेज़ी: Khandu Wangchuk Bhutia) भारतीय राज्य सिक्किम के वरिष्ठ चित्रकार हैं। उन्हें भारत सरकार ने कला के क्षेत्र में योगदान हेतु पद्म श्री, 2022 से सम्मानित किया है। खांडू वांगचुक भूटिया को थांका चित्रकला के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से नवाजा गया है।

परिचय

खांडू वांगचुक भोटिया का जन्म स्वर्गीय जिग्मी वांगचुक लामा (डुंगजिन रिम्पोछे) के घर हुआ था। डुंगजिन रिम्पोछे ने ही सिक्किम के सबसे पुराने और प्रसिद्ध बौद्ध मठ पेमायंग्त्से में सांगदोपालरी संरचना का निर्माण किया था। पश्चिम सिक्किम के साक्योंग निवासी खांडू वांगचुक भूटिया ने औपचारिक शिक्षा पेलिंग सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और नामची उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्राप्त की। अपनी औपचारिक शिक्षा के बाद, उन्होंने पेमायंग्त्से बौद्ध मठ में एक भिक्षु का जीवन व्यतीत किया। गुम्पा में प्रवेश करने के बाद उन्होंने थांका चित्रकला को अपना पेशा बना लिया।

सम्मान व पुरस्कार

खांडू वांगचुक भूटिया ने डुंगजिन, स्वगीर्य जिग्मी वांगचुक लामा तथा प्रसिद्ध थांका चित्रकार स्वर्गीय फुंत्सोक सांगपो और स्वर्गीय जापा आछो की देखरेख में थांका चित्रकला में महारत हासिल की। उनको थांका चित्रकला में उनके सराहनीय कार्य के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वर्ष 1981 में उन्हें 'राष्ट्रीय पुरस्कार (हस्तशिल्प)' प्राप्त हुआ। वर्ष 2001 में 'फ्रेंडशिप फोरम ऑफ इंडिया' ने 'इंडिया एक्सीलेंस' तथा वर्ष 2006 में हरियाणा के सूरजकुंड मेले में 'कला निधि' से सम्मानित किया।

खांडू वांगचुक भूटिया दक्षिण सिक्किम के आले डांड़ा में रहते आ रहे है, जहां वर्ष 1982 में पंजीकृत कंचनजंगा हस्तशिल्प केंद्र चला रहे है। उन्होंने अब तक सिक्किम में 350 से अधिक लोगों को थांका चित्रकला, लकड़ी पर नक्काशी और कालीन बुनाई के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया है। उनके प्रमुख छात्रों में पश्चिम सिक्किम के पेलिंग निवासी येस्से जांगपो भूटिया भी हैं, जिन्होंने वर्ष 2008 में राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था।

सम्मेलन और प्रदर्शनी

चित्रकार खांडू वांगचुक भूटिया ने देश-विदेश में विभिन्न सम्मेलनों और प्रदर्शनियों में भी भाग लिया है। जिसमें 2004 में दिल्ली में भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, 2006 में हरियाणा में सूरजकुंड मेला, 2010 में मेड इन नॉर्थईस्ट फेयर और बैंकॉक थाईलैंड तथा 2014 में सऊदी अरब के जेद्दा में जेद्दा अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला शामिल है।

उल्लेखनीय कार्य

उनके कुछ उल्लेखनीय कार्यों में पेलिंग में पेमायंग्त्से गुंपा में बौद्ध भित्तिचित्र, नामची में बुमटार तमांग गुंपा, नामची में ओल्ड नादक गुंपा, न्यू नादक गुंपा, रावांगला में आले गुंपा और खेचीपेरी में ताशी छोइलिंग गुंपा शामिल हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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