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-[[रांगेय राघव]]
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+[[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]
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||[[चित्र:Bhartendu-Harishchandra-3.jpg|border|right|100px|भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]भारतेन्दु हरिश्चंद्र 'आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह' कहे जाते हैं। वे [[हिन्दी]] में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। जिस समय [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]] का अविर्भाव हुआ, [[भारत|देश]] ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। अंग्रेज़ी शासन में [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] चरमोत्कर्ष पर थी। शासन तंत्र से सम्बन्धित सम्पूर्ण कार्य अंग्रेज़ी में ही होता था। अंग्रेज़ी हुकूमत में पद लोलुपता की भावना प्रबल थी। भारतीय लोगों में विदेशी सभ्यता के प्रति आकर्षण था। ब्रिटिश आधिपत्य में लोग अंग्रेज़ी पढ़ना और समझना गौरव की बात समझते थे। ऐसे वातावरण में जब बाबू हरिश्चन्द्र अवतारित हुए तो उन्होंने सर्वप्रथम समाज और देश की दशा पर विचार किया और फिर अपनी लेखनी के माध्यम से विदेशी हुकूमत का पर्दाफ़ाश किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]
||[[चित्र:Bhartendu-Harishchandra-3.jpg|border|right|100px|भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]भारतेन्दु हरिश्चंद्र 'आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह' कहे जाते हैं। वे [[हिन्दी]] में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। जिस समय [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]] का अविर्भाव हुआ, [[भारत|देश]] ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। अंग्रेज़ी शासन में [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] चरमोत्कर्ष पर थी। शासन तंत्र से सम्बन्धित सम्पूर्ण कार्य अंग्रेज़ी में ही होता था। अंग्रेज़ी हुकूमत में पद लोलुपता की भावना प्रबल थी। भारतीय लोगों में विदेशी सभ्यता के प्रति आकर्षण था। ब्रिटिश आधिपत्य में लोग अंग्रेज़ी पढ़ना और समझना गौरव की बात समझते थे। ऐसे वातावरण में जब बाबू हरिश्चन्द्र अवतारित हुए तो उन्होंने सर्वप्रथम समाज और देश की दशा पर विचार किया और फिर अपनी लेखनी के माध्यम से विदेशी हुकूमत का पर्दाफ़ाश किया।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]
-[[बालकृष्ण भट्ट]]
-[[बालकृष्ण भट्ट]]
-[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]
-[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]

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