"पहेली 12 नवम्बर 2022": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Guru-Arjun-Dev.jpg|right|border|100px|गुरु अर्जन देव]]'गुरु अर्जुन देव' [[1 सितम्बर]], 1581 ई. में गद्दी पर बैठे। उनका कई दृष्टियों से [[सिक्ख]] गुरुओं में विशिष्ट स्थान है। '[[गुरु ग्रंथ साहब]]' आज जिस रूप में उपलब्ध है, उसका संपादन [[गुरु अर्जुन देव]] ने ही किया था। गुरु अर्जन देव सिक्खों के परम पूज्य चौथे [[गुरु रामदास]] के पुत्र थे। | ||[[चित्र:Guru-Arjun-Dev.jpg|right|border|100px|गुरु अर्जन देव]]'गुरु अर्जुन देव' [[1 सितम्बर]], 1581 ई. में गद्दी पर बैठे। उनका कई दृष्टियों से [[सिक्ख]] गुरुओं में विशिष्ट स्थान है। '[[गुरु ग्रंथ साहब]]' आज जिस रूप में उपलब्ध है, उसका संपादन [[गुरु अर्जुन देव]] ने ही किया था। गुरु अर्जन देव सिक्खों के परम पूज्य चौथे [[गुरु रामदास]] के पुत्र थे। | ||
सिक्खों के पांचवें गुरु अर्जुन देव ने विद्रोही राजकुमार खुसरों की सहायता धन एवं आशीर्वाद से की थी। सम्राट की दृष्टि में गुरु अर्जुन देव एक राजद्रोही को शरण देने के कारण अपराधी थे। [[जहाँगीर]] ने गुरु अर्जुन देव को मृत्युदण्ड दिया, जिससे सिक्खों और मुग़लों के बीच कटुता उत्पन्न हो गई।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अर्जुन देव]] | सिक्खों के पांचवें गुरु अर्जुन देव ने विद्रोही राजकुमार खुसरों की सहायता धन एवं आशीर्वाद से की थी। सम्राट की दृष्टि में गुरु अर्जुन देव एक राजद्रोही को शरण देने के कारण अपराधी थे। [[जहाँगीर]] ने गुरु अर्जुन देव को मृत्युदण्ड दिया, जिससे सिक्खों और मुग़लों के बीच कटुता उत्पन्न हो गई।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अर्जुन देव]] | ||
-[[गुरु तेग बहादुर]] | |||
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