"माणिक वर्मा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''माणिक वर्मा''' (अंग्रेज़ी: ''Manik Varma'', जन्म- 25 दिसंबर, 19...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''माणिक वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Manik Varma'', जन्म- [[25 दिसंबर]], [[1938]]) भारतीय [[कवि]] थे। वह मुख्य रूप से अपनी व्यंग्य कविताओं के कारण जाने जाते हैं। वर्ष [[2012]] में उन्हें '[[राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान]]' से सम्मानित किया गया था।  
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
|चित्र=Manik-Varma.png
|चित्र का नाम=माणिक वर्मा
|पूरा नाम=माणिक वर्मा
|अन्य नाम=
|जन्म=[[25 दिसंबर]], [[1938]]
|जन्म भूमि=[[उज्जैन]], [[मध्य प्रदेश]]
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=
|पालक माता-पिता=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=व्यंग्य काव्य
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=
|भाषा=[[हिन्दी]]
|विद्यालय=
|शिक्षा=
|पुरस्कार-उपाधि=[[राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान]], [[2012]]
|प्रसिद्धि=व्यंग्य कवि
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=विधा
|पाठ 1=व्यंग्य, कविताएं, [[दोहा|दोहे]] व [[ग़ज़ल|ग़ज़लें]]
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}'''माणिक वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Manik Varma'', जन्म- [[25 दिसंबर]], [[1938]]) भारतीय [[कवि]] थे। वह मुख्य रूप से अपनी व्यंग्य कविताओं के कारण जाने जाते हैं। वर्ष [[2012]] में उन्हें '[[राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान]]' से सम्मानित किया गया था।  


*माणिक वर्मा जी अपने व्यंगात्मक रचनाओं के जरिए हमेशा मंचों की शान रहे।
*माणिक वर्मा जी अपने व्यंगात्मक रचनाओं के जरिए हमेशा मंचों की शान रहे।

10:15, 13 अक्टूबर 2022 का अवतरण

माणिक वर्मा
माणिक वर्मा
माणिक वर्मा
पूरा नाम माणिक वर्मा
जन्म 25 दिसंबर, 1938
जन्म भूमि उज्जैन, मध्य प्रदेश
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र व्यंग्य काव्य
भाषा हिन्दी
पुरस्कार-उपाधि राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, 2012
प्रसिद्धि व्यंग्य कवि
नागरिकता भारतीय
विधा व्यंग्य, कविताएं, दोहेग़ज़लें
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

माणिक वर्मा (अंग्रेज़ी: Manik Varma, जन्म- 25 दिसंबर, 1938) भारतीय कवि थे। वह मुख्य रूप से अपनी व्यंग्य कविताओं के कारण जाने जाते हैं। वर्ष 2012 में उन्हें 'राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान' से सम्मानित किया गया था।

  • माणिक वर्मा जी अपने व्यंगात्मक रचनाओं के जरिए हमेशा मंचों की शान रहे।
  • उज्जैन, मध्य प्रदेश में 25 दिसंबर सन 1938 को जन्मे माणिक वर्मा इंदौर में रह रहे थे।
  • उन्होंने व्यंग्य, कविताएं, दोहेग़ज़लें लिखीं, लेकिन वे तमाम कवि सम्मेलनों में अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओं के लिए जाने जाते थे।
  • उनके सात से ज्यादा कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
  • माणिक वर्मा की कविताओं में शामिल व्यंग्य हमेशा सच्चाइयों की ओर इशारा करते हैं।
  • उनकी एक कविता निम्न प्रकार है[1]-

लोकतंत्र के लुच्चो,
दग़ाबाज टुच्चो!
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, हरिजन
जब हम हार गए तो काहे का इलेक्शन
जिस देश की जनता हो तुम जैसी
वहां काहे की डेमोक्रेसी?
भीतर घातियो
जयचंद के नातियो
तुमने अंगूरी पीकर अंगूठा दिखाया है
आज मुझको नहीं
मिनी महात्मा गांधी को हराया है,
हमारी हार बीबीसी लंदन से ब्रॉडकास्ट करवाई
और ये खबर आज तक किसी अखबार में नहीं आई
देश को आजादी किसने दिलवाई?
मांगीलाल और मैंने!

अंधेरे की अवैध संतानो!
हमने तुम्हें नई रोशनी में खड़ा किया
और हमीं को अंधेरे में चूना लगा दिया
दुश्मन को वोट
और हमको टाटा
एक गाल पे चुंबन
और एक गाल पे चांटा,
बहुत अच्छे
अब खा लो रबड़ी के लच्छे
ये मुंह और रसगुल्ले
केसरिया दूध के कुल्ले
ऊपर से गांजे की चिलम
भगवान कसम
ये दिन तुमको किसने दिखाए?
मांगीलाल और मैंने!

गीदड़ के आखिरी अवतारो!
ये राजनीति तुम्हारी समझ में क्यों नहीं आती है
सत्ता किसी की हो जनता हमेशा सताई जाती है
खून हमेशा गरीबों का बहा
ये चार जनों के सामने किसने कहा?
मांगीलाल और मैंने!

कामदेव की कार्बन कॉपियो!
क्या तुम और क्या तुम्हारी औकात
जिस दिन थी तुम्हारी सुहागरात,
अौर अंधेरे में दिखती नहीं थी तुम्हारी लुगाई
तब बिजली की बत्ती किसने पहुंचाई?
मांगीलाल और मैंने!

रेगिस्तान के ठूंठो!
सूखे का मजा तुमने चखा
और संतोषी माता का व्रत हमारी पत्नी ने रखा
एक उपवास में जिंदगी भारी हो गई
सुबह तक रामदुलारी थी
शाम तक रामप्यारी हो गई
चली गई सारी जवानी लेके
बुढ़ापे में ये दिन किसने देखे?
मांगीलाल और मैंने!

और मांगीलाल, तू!
तूने देश को क्या दिया?
जो कुछ किया वो तो मैंने किया
खटिया तेरी खड़ी है बुन ले
जाते-जाते एक शेर सुन ले-
तुझसे कोई गिला नहीं ऐ आस्तीन के सांप
हमसे ही तुझको खून पिलाते नहीं बना।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देश के प्रख्यात कवि माणिक वर्मा का निधन (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2022।

संबंधित लेख