"इतिहास सामान्य ज्ञान 39": अवतरणों में अंतर
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-[[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] | -[[फ़िरोज़शाह तुग़लक़]] | ||
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||[[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा, तुग़लकाबाद|120px|right]] ग़यासुद्दीन तुग़लक़ (1320-1325 ई.), 8 सितम्बर, 1320 ई. को [[दिल्ली]] के सिंहासन पर बैठा था। इसे [[तुग़लक़ वंश]] का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार [[मंगोल]] आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह [[क़ुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी]] के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था। | ||[[चित्र:The-Tomb-Of-Ghayasuddin-Tughlak.jpg|ग़यासुद्दीन तुग़लक़ का मक़बरा, तुग़लकाबाद|120px|right]] ग़यासुद्दीन तुग़लक़ (1320-1325 ई.), 8 सितम्बर, 1320 ई. को [[दिल्ली]] के सिंहासन पर बैठा था। इसे [[तुग़लक़ वंश]] का संस्थापक भी माना जाता है। इसने कुल 29 बार [[मंगोल]] आक्रमण को विफल किया। सुल्तान बनने से पहले वह [[क़ुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी]] के शासन काल में उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त का शक्तिशाली गर्वनर नियुक्त हुआ था। अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] | ||
{'[[मनसब]]' किन्हें प्रदान किया जाता था? | {'[[मनसब]]' किन्हें प्रदान किया जाता था? | ||
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-राजा के सगे सम्बन्धियों को | -राजा के सगे सम्बन्धियों को | ||
{किस [[जाट]] नेता को 'प्लेटो' की उपाधि दी गई? | {किस [[जाट]] नेता को 'प्लेटो' की उपाधि दी गई थी? | ||
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-[[बदनसिंह]] | -[[बदनसिंह]] | ||
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-[[राजाराम]] | -[[राजाराम]] | ||
+[[सूरजमल]] | +[[सूरजमल]] | ||
||[[चित्र:Maharaja-Surajmal-1.jpg|राजा सूरजमल|100px|right]] राजा सूरजमल एक सुयोग्य [[जाट]] शासक था। उसने [[ब्रज]] में एक स्वतंत्र [[हिन्दू]] राज्य की स्थापना करके [[इतिहास]] में गौरव प्राप्त किया है। उसके शासन का समय सन् 1755 ई. से सन् 1763 ई. है। वह सन् 1755 ई. के कई साल पहले से ही अपने [[पिता]] [[बदनसिंह]] के शासन के समय से ही राज्य के समस्त कार्यों को संभालने लगा था। सूरजमल ने बहुत पहले ही अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित कर लिया था। | ||[[चित्र:Maharaja-Surajmal-1.jpg|राजा सूरजमल|100px|right]] राजा सूरजमल एक सुयोग्य [[जाट]] शासक था। उसने [[ब्रज]] में एक स्वतंत्र [[हिन्दू]] राज्य की स्थापना करके [[इतिहास]] में गौरव प्राप्त किया है। उसके शासन का समय सन् 1755 ई. से सन् 1763 ई. है। वह सन् 1755 ई. के कई साल पहले से ही अपने [[पिता]] [[बदनसिंह]] के शासन के समय से ही राज्य के समस्त कार्यों को संभालने लगा था। सूरजमल ने बहुत पहले ही अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित कर लिया था। अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरजमल]] | ||
{कौन-सा विदेशी आक्रमणकारी '[[कोहिनूर हीरा]]' एवं '[[मयूर सिंहासन]]' लूटकर अपने साथ | {कौन-सा विदेशी आक्रमणकारी '[[कोहिनूर हीरा]]' एवं '[[मयूर सिंहासन]]' लूटकर अपने साथ ले गया था? | ||
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+[[नादिरशाह]] | +[[नादिरशाह]] | ||
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-[[मुहम्मद ग़ोरी]] | -[[मुहम्मद ग़ोरी]] | ||
-[[अंग्रेज़]] | -[[अंग्रेज़]] | ||
||[[चित्र:Nader-Shah.jpg|नादिरशाह|100px|right]] नादिरशाह के आक्रमण के कारण [[दिल्ली]] में हज़ारों नागरिक मारे गये थे और वहाँ भारी लूट की गई। इस लूट में नादिरशाह को बेशुमार दौलत मिली थी। उसे 20 करोड़ की बजाय 30 करोड़ रुपया नक़द मिला। उसके अतिरिक्त ढेरों जवाहरात, बेगमों के बहुमूल्य आभूषण, [[सोना]]-[[चाँदी]] के अगणित वर्तमान तथा अन्य वेश-क़ीमती वस्तुएँ उसे मिली थीं। इनके साथ ही साथ दिल्ली की लूट में उसे [[कोहिनूर हीरा]] और [[शाहजहाँ]] का 'तख्त-ए-ताऊस' ([[मयूर सिंहासन]]) भी मिला था। | ||[[चित्र:Nader-Shah.jpg|नादिरशाह|100px|right]] नादिरशाह के आक्रमण के कारण [[दिल्ली]] में हज़ारों नागरिक मारे गये थे और वहाँ भारी लूट की गई। इस लूट में नादिरशाह को बेशुमार दौलत मिली थी। उसे 20 करोड़ की बजाय 30 करोड़ रुपया नक़द मिला। उसके अतिरिक्त ढेरों जवाहरात, बेगमों के बहुमूल्य आभूषण, [[सोना]]-[[चाँदी]] के अगणित वर्तमान तथा अन्य वेश-क़ीमती वस्तुएँ उसे मिली थीं। इनके साथ ही साथ दिल्ली की लूट में उसे [[कोहिनूर हीरा]] और [[शाहजहाँ]] का 'तख्त-ए-ताऊस' ([[मयूर सिंहासन]]) भी मिला था। अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नादिरशाह]] | ||
{'[[तेलंगाना किसान आन्दोलन]]' का मुख्य कारण क्या था? | {'[[तेलंगाना किसान आन्दोलन]]' का मुख्य कारण क्या था? |
09:46, 19 अप्रैल 2023 के समय का अवतरण
- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश
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