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'''अक्रोध''' ([[विशेषण]]) [नास्ति क्रोधो यस्य-न. ब.]
'''अक्लिन्न''' ([[विशेषण]]) [नञ्+क्लिद+क्त]
 
*जो आर्द्र या गीला न हो।'''-वर्त्मन''' ([[पुल्लिंग]]) [[आँख]] का एक रोग जिसमें पलकें चिपकती हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=05|url=|ISBN=}}</ref>


*क्रोध रहित'''-धः''' [न. त.] [[क्रोध]] का अभाव या उसका दमन।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=05|url=|ISBN=}}</ref>





07:50, 3 अगस्त 2023 के समय का अवतरण

अक्लिन्न (विशेषण) [नञ्+क्लिद+क्त]

  • जो आर्द्र या गीला न हो।-वर्त्मन (पुल्लिंग) आँख का एक रोग जिसमें पलकें चिपकती हैं।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 05 |

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