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सम.-'''अक्षर''',–'''अच्''' ([[विशेषण]]) एक से अधिक अक्षर या स्वर वाला, नाना [[अक्षर]] सहित,-'''अंत''' ([[विशेषण]]) 1. अनिश्चित, संदिग्ध- अस्थिरस्यादित्यव्ययमनेकान्तयाचकम् 2.-'''तु.''' अनेकान्तिक-तः)-1. अनिश्चित अवस्था, स्थायित्व का अभाव 2. अनिश्चितता, अनावश्यक अंश, जैसे कि कई 'अनुबंध' °वादः संशयवाद, स्याद्वाद, '''°वादिन्''' ([[पुल्लिंग]]) स्याद्वादी, जैनियों के स्याद्वाद को मानने वाला,-'''अर्थ''' (वि.) 1. एक से अधिक अर्थ वाला, समनाम जैसे कि गो, अमृत, अक्ष आदि-अनेकार्थस्य शब्दस्य-काव्य. 2; 2. 'अनेक' शब्द के अर्थ वाला 3. बहुत से प्रयोजन या उद्देश्य रखने वाला ('''-र्थः''') पदार्थों का बाहुल्य, विषयों की विविधता,-'''आश्रय''',-'''आश्रित''' (वि.) (वैशे.) एक से अधिक स्थानों (जैसा कि 'संयोग' या 'सामान्य') पर रहने वाला,-'''गुण''' (वि.) बहुत प्रकार, विविध प्रकार का, विभिन्न भेदों का,-'''गोत्र''' (वि.) दो कुलों से संबंध रखने वाला, एक तो अपने कुल से (जब तक कि गोद न लिया गया हो), तथा गोद लिए जाने पर गोद लेने वाले [[पिता]] के कुल से,-'''चित्त''' (वि.) चंचलमना,-'''ज''' (वि.) एक से अधिक बार उत्पन्न,-'''जः''' पक्षी,-'''पः''' [[हाथी]]; शि. ।-'''मुख''' (वि.) [स्त्री-खी] (वि.) 1. बहुत मुंह वाला 2. तितर बितर, बहुत सी दिशाओं में फैलने वाला-(बलानि.) जगाहिरेऽनेकमुखानि मार्गान् भट्टि. 2/54;-'''युद्धविजयिन्''',-'''विजयिन्''' (वि.) बहुत से युद्धों का विजेता,-'''रूप''' (वि.) 1. नाना रूपों का, बहुत रूपों वाला 2. नाना प्रकार का 3. चंचल, परिवर्तनीय विविध स्वभाव वाला-'''लोचनः''' ([[पुल्लिंग]]) [[शिव]], [[इन्द्र]],-'''वचनम्''' (न.) बहुवचन, द्विवचन,-'''वर्ण''' (वि.) एक से अधिक राशियों वाला-'''विध''' (वि.) विविध, विभिन्न,-'''शफ''' (वि.) फटे हुए खुरों वाला, साधारण (वि.) बहुतों के लिए सामान्य।<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=51|url=|ISBN=}}</ref>
सम.-'''अक्षर''',–'''अच्''' ([[विशेषण]]) एक से अधिक अक्षर या स्वर वाला, नाना [[अक्षर]] सहित,-'''अंत''' ([[विशेषण]]) 1. अनिश्चित, संदिग्ध- अस्थिरस्यादित्यव्ययमनेकान्तयाचकम् 2.-'''तु.''' अनेकान्तिक-तः)-1. अनिश्चित अवस्था, स्थायित्व का अभाव 2. अनिश्चितता, अनावश्यक अंश, जैसे कि कई 'अनुबंध' °वादः संशयवाद, स्याद्वाद, '''°वादिन्''' ([[पुल्लिंग]]) स्याद्वादी, जैनियों के स्याद्वाद को मानने वाला,-'''अर्थ''' (विशेषण) 1. एक से अधिक अर्थ वाला, समनाम जैसे कि गो, अमृत, अक्ष आदि-अनेकार्थस्य शब्दस्य-काव्य. 2; 2. 'अनेक' शब्द के अर्थ वाला 3. बहुत से प्रयोजन या उद्देश्य रखने वाला ('''-र्थः''') पदार्थों का बाहुल्य, विषयों की विविधता,-'''आश्रय''',-'''आश्रित''' (विशेषण) (वैशे.) एक से अधिक स्थानों (जैसा कि 'संयोग' या 'सामान्य') पर रहने वाला,-'''गुण''' (विशेषण) बहुत प्रकार, विविध प्रकार का, विभिन्न भेदों का,-'''गोत्र''' (विशेषण) दो कुलों से संबंध रखने वाला, एक तो अपने कुल से (जब तक कि गोद न लिया गया हो), तथा गोद लिए जाने पर गोद लेने वाले [[पिता]] के कुल से,-'''चित्त''' (विशेषण) चंचलमना,-'''ज''' ([[विशेषण]]) एक से अधिक बार उत्पन्न,-'''जः''' पक्षी,-'''पः''' [[हाथी]]; शि. ।-'''मुख''' (विशेषण) [स्त्री-खी] (विशेषण) 1. बहुत मुंह वाला 2. तितर बितर, बहुत सी दिशाओं में फैलने वाला-(बलानि.) जगाहिरेऽनेकमुखानि मार्गान् भट्टि. 2/54;-'''युद्धविजयिन्''',-'''विजयिन्''' (विशेषण) बहुत से युद्धों का विजेता,-'''रूप''' (विशेषण) 1. नाना रूपों का, बहुत रूपों वाला 2. नाना प्रकार का 3. चंचल, परिवर्तनीय विविध स्वभाव वाला-'''लोचनः''' ([[पुल्लिंग]]) [[शिव]], [[इन्द्र]],-'''वचनम्''' (न.) बहुवचन, द्विवचन,-'''वर्ण''' (विशेषण) एक से अधिक राशियों वाला-'''विध''' (विशेषण) विविध, विभिन्न,-'''शफ''' (विशेषण) फटे हुए खुरों वाला, '''साधारण''' ([[विशेषण]]) बहुतों के लिए सामान्य।<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=51|url=|ISBN=}}</ref>





09:39, 22 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

अनेक (विशेषण) [न स्फः, न. त.]

1. जो एक न हो, एक से अधिक, बहुत से, कई, कई एक
2. अलग-अलग, भिन्न भिन्न


सम.-अक्षर,–अच् (विशेषण) एक से अधिक अक्षर या स्वर वाला, नाना अक्षर सहित,-अंत (विशेषण) 1. अनिश्चित, संदिग्ध- अस्थिरस्यादित्यव्ययमनेकान्तयाचकम् 2.-तु. अनेकान्तिक-तः)-1. अनिश्चित अवस्था, स्थायित्व का अभाव 2. अनिश्चितता, अनावश्यक अंश, जैसे कि कई 'अनुबंध' °वादः संशयवाद, स्याद्वाद, °वादिन् (पुल्लिंग) स्याद्वादी, जैनियों के स्याद्वाद को मानने वाला,-अर्थ (विशेषण) 1. एक से अधिक अर्थ वाला, समनाम जैसे कि गो, अमृत, अक्ष आदि-अनेकार्थस्य शब्दस्य-काव्य. 2; 2. 'अनेक' शब्द के अर्थ वाला 3. बहुत से प्रयोजन या उद्देश्य रखने वाला (-र्थः) पदार्थों का बाहुल्य, विषयों की विविधता,-आश्रय,-आश्रित (विशेषण) (वैशे.) एक से अधिक स्थानों (जैसा कि 'संयोग' या 'सामान्य') पर रहने वाला,-गुण (विशेषण) बहुत प्रकार, विविध प्रकार का, विभिन्न भेदों का,-गोत्र (विशेषण) दो कुलों से संबंध रखने वाला, एक तो अपने कुल से (जब तक कि गोद न लिया गया हो), तथा गोद लिए जाने पर गोद लेने वाले पिता के कुल से,-चित्त (विशेषण) चंचलमना,- (विशेषण) एक से अधिक बार उत्पन्न,-जः पक्षी,-पः हाथी; शि. ।-मुख (विशेषण) [स्त्री-खी] (विशेषण) 1. बहुत मुंह वाला 2. तितर बितर, बहुत सी दिशाओं में फैलने वाला-(बलानि.) जगाहिरेऽनेकमुखानि मार्गान् भट्टि. 2/54;-युद्धविजयिन्,-विजयिन् (विशेषण) बहुत से युद्धों का विजेता,-रूप (विशेषण) 1. नाना रूपों का, बहुत रूपों वाला 2. नाना प्रकार का 3. चंचल, परिवर्तनीय विविध स्वभाव वाला-लोचनः (पुल्लिंग) शिव, इन्द्र,-वचनम् (न.) बहुवचन, द्विवचन,-वर्ण (विशेषण) एक से अधिक राशियों वाला-विध (विशेषण) विविध, विभिन्न,-शफ (विशेषण) फटे हुए खुरों वाला, साधारण (विशेषण) बहुतों के लिए सामान्य।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 51 |

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