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'''-सिद्ध''' ([[विशेषण]]) जो मिथ्या ढंग से प्रदर्शित या प्रमाणित किया गया हो, (न्याय में) उस कारण को कहते हैं जो सत्य न हो, तथा जो केवल मात्र आकस्मिक एवं दूरगामी परिस्थितियों का उल्लेख करे,'''-सिद्धम्''' (नपुं.)'''–सिद्धिः''' (स्त्री.) मिथ्या प्रदर्शन, अनावश्यक कारण, आकस्मिक या केवल मात्र सहवर्ती परिस्थिति-भाषा. प. 16,'''-स्तोत्रम्'''-( नपुं.) व्यंग्योक्ति, ताना, व्यंग्य।<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=57|url=|ISBN=}}</ref>
'''-सिद्ध''' ([[विशेषण]]) जो मिथ्या ढंग से प्रदर्शित या प्रमाणित किया गया हो, (न्याय में) उस कारण को कहते हैं जो सत्य न हो, तथा जो केवल मात्र आकस्मिक एवं दूरगामी परिस्थितियों का उल्लेख करे,'''-सिद्धम्''' (नपुं.)'''–सिद्धिः''' (स्त्री.) मिथ्या प्रदर्शन, अनावश्यक कारण, आकस्मिक या केवल मात्र सहवर्ती परिस्थिति-भाषा. प. 16,'''-स्तोत्रम्'''-( नपुं.) व्यंग्योक्ति, ताना, व्यंग्य।<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=58|url=|ISBN=}}</ref>





08:34, 30 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

अन्यथा (अन्य.) [अन्य+थाल्]

1 वरना, दूसरी रीति से, भिन्न तरीके से। अन्यथा-अन्यथा एक प्रकार से-दूसरे ढंग से, अन्यथाकृ दूसरी तरह करना, परिवर्तन करना, बदलना, बिगाड़ना, मिथ्या करना।
2. नहीं तो, करना, इसके विपरीत
3. इसके विपरीत
4. मिध्यापन से, झूठपने से-किमन्यथा भट्टिनी मया विज्ञापितपूर्वा-विक्रम. 2
5. गलती से, भूल से, बुरे ढंग से जैसा कि अन्यथा सिद्ध दे. नीचे।


सम.-अनुपपत्तिः (अन्यथानुपपति) (स्त्री.) दे. अर्थापत्ति,-कारः (पुं.) परिवर्तन, अदल बदल, (-कारम्) [क्रि.वि.] भिन्न तरीके से, भिन्न ढंग से-पा. 3/4/27,-ख्यातिः (स्त्री.) शक्ति की गलत अवधारणा, सामान्य रूप से (दर्शनशास्त्र में) मिथ्या अवधारणा,-भावः (पुं.) भिन्न रूप में होना, अदल बदल, परिवर्तन, भिन्नता,-वादिन् (विशेषण) प्रकारान्तर से बोलने वाला, मिथ्यावादी भिन्न रूप से या मिथ्या बोलने वाला, (विधि में) अपलाषी साक्षी-वृत्ति (विशेषण)

1. परिवर्तन
2. बदला हुआ
3. भावाविष्ट, सबल संवेगों से विक्षुब्ध,-मेघ. 3


-सिद्ध (विशेषण) जो मिथ्या ढंग से प्रदर्शित या प्रमाणित किया गया हो, (न्याय में) उस कारण को कहते हैं जो सत्य न हो, तथा जो केवल मात्र आकस्मिक एवं दूरगामी परिस्थितियों का उल्लेख करे,-सिद्धम् (नपुं.)–सिद्धिः (स्त्री.) मिथ्या प्रदर्शन, अनावश्यक कारण, आकस्मिक या केवल मात्र सहवर्ती परिस्थिति-भाषा. प. 16,-स्तोत्रम्-( नपुं.) व्यंग्योक्ति, ताना, व्यंग्य।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 58 |

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