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सम.'''-अमरांगण''' (स्त्रीलिंग)-अङ्गना दिव्य [[अप्सरा]], देवकन्या।'''-अद्रिः'''-(अमराद्रिः) (पुल्लिंग) देव-पर्वत अर्थात् सुरु पहाड़-अधिपः-(अमराधिपः),-इन्द्रः अमरेन्द्र-ईशः (अमरेशः), -ईश्वरः (अमरेश्वरः),-पतिः-भर्ता,-राजः देवताओं का स्वामी, इन्द्र की उपाधि, कई बार [[विष्णु]] और [[शिव]] की भी उपाधि-आचार्यः (अमराचार्यः,-गुरुः,-पूज्यः देवताओं के गुरु, बृहस्पति की उपाधि,-आपगा, (अमरापगा),-तटिनी,-सरित् (स्त्रीलिंग) स्वर्गीय नदी, [[गंगा]] की उपाधियाँ,-आलयः अमरालयः (पुल्लिंग) देवताओं का आवास स्थान, स्वर्ग,-कंटकम् (नपुं) विंध्यपर्वतश्रेणी के उस भाग का नाम जो [[नर्मदा नदी]] के उद्गम स्थान के निकट है-कोशः,-कोषः ([[पुल्लिंग]]) अमरसिंह द्वारा रचित संस्कृत भाषा का एक सुप्रसिद्ध कोश-तरुः,-दारुः 1. दिव्य वृक्ष, इन्द्र के स्वर्ग का एक वृक्ष,-अमरतरुकुसुमसौरभ-सेवनसंपूर्णसकल-कामस्य-भामि. 1/ 28 2. =देव दारु 3. कल्प वृक्ष,-द्विजः (पुल्लिंग) देवल ब्राह्मण जो मंदिर या मूर्ति संबंधी कार्य करता हो, मन्दिर का अधीक्षक,-पुरम् (नपुं.) देवताओं का आवासस्थान, दिव्य स्वर्ग, पुष्पः,-पुष्पकः (पु. कल्प वृक्ष,-प्रख्य,-प्रभ (विशेषण) देवताओं जैसा,-रत्नम् (नपुं.) स्फटिक,-लोकः (पु देवताओं की दुनियाँ, स्वर्ग, °ता स्वर्गीय सुख,-सिंहः (पुल्लिंग) अमरकोश के रचयिता का नाम, वार जैन धर्मावलम्बी थे, कहा जाता है कि विक्रमादित्य महाराज के नवरत्नों में एक रत्न थे।
सम.'''-अमरांगण''' ([[स्त्रीलिंग]])-'''अङ्गना''' दिव्य [[अप्सरा]], देवकन्या।'''-अद्रिः'''-('''अमराद्रिः''') (पुल्लिंग) देव-पर्वत अर्थात् सुरु पहाड़'''-अधिपः'''-('''अमराधिपः'''),'''-इन्द्रः अमरेन्द्र-ईशः (अमरेशः),-ईश्वरः (अमरेश्वरः),-पतिः-भर्ता,-राजः''' देवताओं का स्वामी, इन्द्र की उपाधि, कई बार [[विष्णु]] और [[शिव]] की भी उपाधि-'''आचार्यः (अमराचार्यः''','''-गुरुः,-पूज्यः''' देवताओं के गुरु, [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] की उपाधि,'''-आपगा, (अमरापगा),-तटिनी,-सरित्''' ([[स्त्रीलिंग]]) स्वर्गीय नदी, [[गंगा]] की उपाधियाँ,'''-आलयः अमरालयः''' (पुल्लिंग) देवताओं का आवास स्थान, स्वर्ग,'''-कंटकम्''' (नपुं) विंध्यपर्वतश्रेणी के उस भाग का नाम जो [[नर्मदा नदी]] के उद्गम स्थान के निकट है'''-कोशः,-कोषः''' ([[पुल्लिंग]]) अमरसिंह द्वारा रचित [[संस्कृत भाषा]] का एक सुप्रसिद्ध कोश'''-तरुः,-दारुः''' 1. दिव्य वृक्ष, [[इन्द्र]] के स्वर्ग का एक वृक्ष,-अमरतरुकुसुमसौरभ-सेवनसंपूर्णसकल-कामस्य-भामि. 1/ 28 2. =देव दारु 3. [[कल्प वृक्ष]],'''-द्विजः''' (पुल्लिंग) देवल ब्राह्मण जो मंदिर या मूर्ति संबंधी कार्य करता हो, मन्दिर का अधीक्षक,'''-पुरम्''' (नपुं.) देवताओं का आवास स्थान, दिव्य स्वर्ग, '''पुष्पः,-पुष्पकः''' ([[पुल्लिंग]] कल्प वृक्ष,'''-प्रख्य,-प्रभ''' ([[विशेषण]]) देवताओं जैसा,'''-रत्नम्''' (नपुं.) स्फटिक,'''-लोकः''' (पुल्लिंग) देवताओं की दुनियाँ, स्वर्ग, '''°ता''' स्वर्गीय सुख,'''-सिंहः''' ([[पुल्लिंग]]) [[अमरकोश]] के रचयिता का नाम, वह [[जैन]] धर्मावलम्बी थे, कहा जाता है कि विक्रमादित्य महाराज के नवरत्नों में एक रत्न थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=90|url=|ISBN=}}</ref>
 
 
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<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=90|url=|ISBN=}}</ref>





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अमर (विशेषण) [न. त. मृ-पचाद्यच्] जो कभी प्राप्त न हो, न मरने वाला, अविनाशी-र: (पुल्लिंग)

1. देव, देवता
2. पारा
3. सोना
4. तैंतीस संख्या (क्योंकि गिनती में इतने ही देवता हैं।
5. अमर सिंह
6. हड्डियों का ढेर-रा (पुल्लिंग)
1. इन्द्र का आवास स्थान (तु. अमरावती)
2. नाल
3. योनि
4. गृहस्तम्भ,-री (स्त्रीलिंग)
1. देवपली, देवकन्या
2. इन्द्र की राजधानी


सम.-अमरांगण (स्त्रीलिंग)-अङ्गना दिव्य अप्सरा, देवकन्या।-अद्रिः-(अमराद्रिः) (पुल्लिंग) देव-पर्वत अर्थात् सुरु पहाड़-अधिपः-(अमराधिपः),-इन्द्रः अमरेन्द्र-ईशः (अमरेशः),-ईश्वरः (अमरेश्वरः),-पतिः-भर्ता,-राजः देवताओं का स्वामी, इन्द्र की उपाधि, कई बार विष्णु और शिव की भी उपाधि-आचार्यः (अमराचार्यः,-गुरुः,-पूज्यः देवताओं के गुरु, बृहस्पति की उपाधि,-आपगा, (अमरापगा),-तटिनी,-सरित् (स्त्रीलिंग) स्वर्गीय नदी, गंगा की उपाधियाँ,-आलयः अमरालयः (पुल्लिंग) देवताओं का आवास स्थान, स्वर्ग,-कंटकम् (नपुं) विंध्यपर्वतश्रेणी के उस भाग का नाम जो नर्मदा नदी के उद्गम स्थान के निकट है-कोशः,-कोषः (पुल्लिंग) अमरसिंह द्वारा रचित संस्कृत भाषा का एक सुप्रसिद्ध कोश-तरुः,-दारुः 1. दिव्य वृक्ष, इन्द्र के स्वर्ग का एक वृक्ष,-अमरतरुकुसुमसौरभ-सेवनसंपूर्णसकल-कामस्य-भामि. 1/ 28 2. =देव दारु 3. कल्प वृक्ष,-द्विजः (पुल्लिंग) देवल ब्राह्मण जो मंदिर या मूर्ति संबंधी कार्य करता हो, मन्दिर का अधीक्षक,-पुरम् (नपुं.) देवताओं का आवास स्थान, दिव्य स्वर्ग, पुष्पः,-पुष्पकः (पुल्लिंग कल्प वृक्ष,-प्रख्य,-प्रभ (विशेषण) देवताओं जैसा,-रत्नम् (नपुं.) स्फटिक,-लोकः (पुल्लिंग) देवताओं की दुनियाँ, स्वर्ग, °ता स्वर्गीय सुख,-सिंहः (पुल्लिंग) अमरकोश के रचयिता का नाम, वह जैन धर्मावलम्बी थे, कहा जाता है कि विक्रमादित्य महाराज के नवरत्नों में एक रत्न थे।[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 90 |

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