"अर्घ:": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''अर्थः''' (पुल्लिंग) [अर्पू+घञ्] ::1. मूल्य, कीमत-कुर्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''अर्थः''' ([[पुल्लिंग]]) [अर्पू+घञ्]  
'''अर्घ:''' ([[पुल्लिंग]]) [अर्घ्‌+घञ्]  
::1. मूल्य, कीमत-कुर्युरर्घ यथापण्य-[[मनुस्मृति]] 8-398 याज्ञ. 2/251, कुत्स्याः स्युः कुपरीक्षका हि मणयो वैरर्धतः पातिताः-भर्तृ. 2-15, वास्तविक मूल्य से घटी हुई, अवमूल्यित, इसी प्रकार अन अमूल्य, महार्थ मूल्यवान्
::1. मूल्य, कीमत-कुर्युरर्घ यथापण्य-[[मनुस्मृति]] 8-398 याज्ञ. 2/251, कुत्स्याः स्युः कुपरीक्षका हि मणयो वैरर्धतः पातिताः-भर्तृ. 2-15, वास्तविक मूल्य से घटी हुई, अवमूल्यित, इसी प्रकार '''अनर्घ''' अमूल्य, '''महार्घ''' मूल्यवान्।
::2. पूजा की सामग्री, देवताओं या सम्मान्य व्यक्तियों को सादर आहुति या उपहार,-कुटजकुसुमैः कल्पितार्याय तस्मै मेघ. 4 (इस आहुति का सामान निम्नांकित है-आपः क्षीरं कुशाच यांचे सर्पिः सतण्डुलम्। यत्रः सिद्धार्थकश्चैव अष्टाङ्गोऽयं प्रकीर्तितः।  
::2. पूजा की सामग्री, देवताओं या सम्मान्य व्यक्तियों को सादर आहुति या उपहार,-कुटजकुसुमैः कल्पितार्याय तस्मै मेघ. 4 (इस आहुति का सामान निम्नांकित है-आपः क्षीरं कुशाच यांचे सर्पिः सतण्डुलम्। यत्रः सिद्धार्थकश्चैव अष्टाङ्गोऽयं प्रकीर्तितः।  




सम.-([[विशेषण]]) सामान्य उपहार के योग्य, बलाबल की दर, उचित मूल्य, मूल्यों में घट-सङ्ख्यानम्,-संस्थापनम् मूल्यांकन, वस्तु मूल्यनिर्धारण करना, कुर्वीत चैषां (वणिजामू)'''-प्र''' (पं.) धर्मसंस्थापनं नृपः-मनुस्मृति 8/402<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=102|url=|ISBN=}}</ref>
सम.'''-अर्ह''' ([[विशेषण]]) सामान्य उपहार के योग्य,'''-बलाबलम्‌''' की दर, उचित मूल्य, मूल्यों में घटत बढ़त, '''-सङ्ख्यानम्''','''-संस्थापनम्''' मूल्यांकन, वस्तु मूल्य निर्धारण करना, कुर्वीत चैषां (वणिजामू)-प्रत्यक्षे ([[पुल्लिंग]]) धर्मसंस्थापनं नृपः-[[मनुस्मृति]] 8/402<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=102|url=|ISBN=}}</ref>





05:53, 5 नवम्बर 2023 के समय का अवतरण

अर्घ: (पुल्लिंग) [अर्घ्‌+घञ्]

1. मूल्य, कीमत-कुर्युरर्घ यथापण्य-मनुस्मृति 8-398 याज्ञ. 2/251, कुत्स्याः स्युः कुपरीक्षका हि मणयो वैरर्धतः पातिताः-भर्तृ. 2-15, वास्तविक मूल्य से घटी हुई, अवमूल्यित, इसी प्रकार अनर्घ अमूल्य, महार्घ मूल्यवान्।
2. पूजा की सामग्री, देवताओं या सम्मान्य व्यक्तियों को सादर आहुति या उपहार,-कुटजकुसुमैः कल्पितार्याय तस्मै मेघ. 4 (इस आहुति का सामान निम्नांकित है-आपः क्षीरं कुशाच यांचे सर्पिः सतण्डुलम्। यत्रः सिद्धार्थकश्चैव अष्टाङ्गोऽयं प्रकीर्तितः।


सम.-अर्ह (विशेषण) सामान्य उपहार के योग्य,-बलाबलम्‌ की दर, उचित मूल्य, मूल्यों में घटत बढ़त, -सङ्ख्यानम्,-संस्थापनम् मूल्यांकन, वस्तु मूल्य निर्धारण करना, कुर्वीत चैषां (वणिजामू)-प्रत्यक्षे (पुल्लिंग) धर्मसंस्थापनं नृपः-मनुस्मृति 8/402[1]


इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 102 |

संबंधित लेख