"अलम्": अवतरणों में अंतर
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::1. बिच्छू का डंक जो उसकी पूंछ में होता है | ::1. बिच्छू का डंक जो उसकी पूंछ में होता है | ||
::2. पीली हरताल<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=110|url=|ISBN=}}</ref> | ::2. पीली हरताल<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=110-111|url=|ISBN=}}</ref> | ||
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1. (क) पर्याप्त, यथेष्ट, काफी (संप्र. या तुमुन्नन्त के साथ)-तस्यालमेषा क्षुधितस्य तृप्त्यै<ref>रघु. 2/39</ref>, अन्यथा प्रातराशाय कुर्याम् त्वामलं वयम्भ<ref>ट्टि. 8/98</ref>, (ख) समकक्ष, तुल्य (संप्र. के साथ) दैत्येभ्यो हरिरलम् सिद्धा., अलं मल्लो मल्लाय<ref>महाभा. 2</ref>. योग्य, सक्षम (तुमुन्नन्त के साथ)-अलं भोक्तुम्-सिद्धा., वरेण शमितं लोकानलं दग्धुं हि तत्तपः<ref>कु. 2/56</ref>, (अधि. के साथ भी)-त्रयाणामपि लोकानामलमस्मि निवारणे<ref>रामा. 3</ref>. बस, बहुत हो चुका, कोई आवश्यकता नहीं, कोई लाभ नहीं (निषेधात्मक बल रखना), करण या क्त्वान्त के साथ,-अलमन्यथा गृहीत्वा<ref>मालवि. 1/20</ref>, आलप्यालमिदं बभ्रोर्यत्स दारान-पाहरतु<ref>शिव. 2/40</ref>, अलं महीपाल तव श्रमेण<ref>रघु. 2/34, कु. 5/82</ref>, अलमियद्भिः कुसुमैः<ref>श. 4</ref>, इतने फूल पर्याप्त हैं, 4. (क) पूर्णरूप से, पूरी तरह से-अर्हस्येनं शमयितुमलं वारिधारा सहस्रैः<ref>मेघ. 53</ref>, त्वमपि विततमज्ञः स्वर्गिणः प्रीणयाऽलम्<ref>श. 7/34</ref>, (ख) बहुत, अत्यधिक, बहुत ही अधिक, तुदन्ति अलम् का. 2, योग-च्छत्यलं विद्विषतः प्रति-अमर। | 1. (क) पर्याप्त, यथेष्ट, काफी (संप्र. या तुमुन्नन्त के साथ)-तस्यालमेषा क्षुधितस्य तृप्त्यै<ref>रघु. 2/39</ref>, अन्यथा प्रातराशाय कुर्याम् त्वामलं वयम्भ<ref>ट्टि. 8/98</ref>, (ख) समकक्ष, तुल्य (संप्र. के साथ) दैत्येभ्यो हरिरलम् सिद्धा., अलं मल्लो मल्लाय<ref>महाभा. 2</ref>. योग्य, सक्षम (तुमुन्नन्त के साथ)-अलं भोक्तुम्-सिद्धा., वरेण शमितं लोकानलं दग्धुं हि तत्तपः<ref>कु. 2/56</ref>, (अधि. के साथ भी)-त्रयाणामपि लोकानामलमस्मि निवारणे<ref>रामा. 3</ref>. बस, बहुत हो चुका, कोई आवश्यकता नहीं, कोई लाभ नहीं (निषेधात्मक बल रखना), करण या क्त्वान्त के साथ,-अलमन्यथा गृहीत्वा<ref>मालवि. 1/20</ref>, आलप्यालमिदं बभ्रोर्यत्स दारान-पाहरतु<ref>शिव. 2/40</ref>, अलं महीपाल तव श्रमेण<ref>रघु. 2/34, कु. 5/82</ref>, अलमियद्भिः कुसुमैः<ref>श. 4</ref>, इतने फूल पर्याप्त हैं, 4. (क) पूर्णरूप से, पूरी तरह से-अर्हस्येनं शमयितुमलं वारिधारा सहस्रैः<ref>मेघ. 53</ref>, त्वमपि विततमज्ञः स्वर्गिणः प्रीणयाऽलम्<ref>श. 7/34</ref>, (ख) बहुत, अत्यधिक, बहुत ही अधिक, तुदन्ति अलम् का. 2, योग-च्छत्यलं विद्विषतः प्रति-अमर। | ||
समस्त पद'''-कर्मीण''' ([[विशेषण]]) कार्य करने में सक्षम, दक्ष, कुशल,'''-कृ''', '''-जीविक''' (विशेषण) जीविका के लिए यथेष्ट,'''-धन''' (वविशेषण) यथेष्ट धन रखने वाला, धनवान्,-निरादिष्टघनश्चेत्तु प्रतिभूः स्यादलंघनः<ref>मनु. 8/162</ref>,'''-धूमः''' अधिक धूआँ, धूम्रपुंज, धुएँ का अंबार,'''-पुरुषीण''' (विशेषण) 1. जो मनुष्य के योग्य हो, मनुष्य के लिए पर्याप्त हो,'''-बल''' (विशेषण) पर्याप्त बलशाली, यथेष्ट शक्तिशाली,'''-बुद्धिः''' ([[स्त्रीलिंग]]) पर्याप्त समझ,'''-भूष्णु''' (विशेषण) योग्य, सक्षम-विनाप्यस्मदलंभूष्णुरिज्यायै तपसः सुतः<ref>शि.. 2/91 | समस्त पद'''-कर्मीण''' ([[विशेषण]]) कार्य करने में सक्षम, दक्ष, कुशल,'''-कृ''', '''-जीविक''' (विशेषण) जीविका के लिए यथेष्ट,'''-धन''' (वविशेषण) यथेष्ट धन रखने वाला, धनवान्,-निरादिष्टघनश्चेत्तु प्रतिभूः स्यादलंघनः<ref>मनु. 8/162</ref>,'''-धूमः''' अधिक धूआँ, धूम्रपुंज, धुएँ का अंबार,'''-पुरुषीण''' (विशेषण) 1. जो मनुष्य के योग्य हो, मनुष्य के लिए पर्याप्त हो,'''-बल''' (विशेषण) पर्याप्त बलशाली, यथेष्ट शक्तिशाली,'''-बुद्धिः''' ([[स्त्रीलिंग]]) पर्याप्त समझ,'''-भूष्णु''' (विशेषण) योग्य, सक्षम-विनाप्यस्मदलंभूष्णुरिज्यायै तपसः सुतः<ref>शि.. 2/91</ref> | ||
09:09, 9 मई 2024 के समय का अवतरण
अलम् [अल्+अच्]
- 1. बिच्छू का डंक जो उसकी पूंछ में होता है
- 2. पीली हरताल[1]
अलम् (अव्ययीभाव) [अल्+अम् बा.]
1. (क) पर्याप्त, यथेष्ट, काफी (संप्र. या तुमुन्नन्त के साथ)-तस्यालमेषा क्षुधितस्य तृप्त्यै[2], अन्यथा प्रातराशाय कुर्याम् त्वामलं वयम्भ[3], (ख) समकक्ष, तुल्य (संप्र. के साथ) दैत्येभ्यो हरिरलम् सिद्धा., अलं मल्लो मल्लाय[4]. योग्य, सक्षम (तुमुन्नन्त के साथ)-अलं भोक्तुम्-सिद्धा., वरेण शमितं लोकानलं दग्धुं हि तत्तपः[5], (अधि. के साथ भी)-त्रयाणामपि लोकानामलमस्मि निवारणे[6]. बस, बहुत हो चुका, कोई आवश्यकता नहीं, कोई लाभ नहीं (निषेधात्मक बल रखना), करण या क्त्वान्त के साथ,-अलमन्यथा गृहीत्वा[7], आलप्यालमिदं बभ्रोर्यत्स दारान-पाहरतु[8], अलं महीपाल तव श्रमेण[9], अलमियद्भिः कुसुमैः[10], इतने फूल पर्याप्त हैं, 4. (क) पूर्णरूप से, पूरी तरह से-अर्हस्येनं शमयितुमलं वारिधारा सहस्रैः[11], त्वमपि विततमज्ञः स्वर्गिणः प्रीणयाऽलम्[12], (ख) बहुत, अत्यधिक, बहुत ही अधिक, तुदन्ति अलम् का. 2, योग-च्छत्यलं विद्विषतः प्रति-अमर।
समस्त पद-कर्मीण (विशेषण) कार्य करने में सक्षम, दक्ष, कुशल,-कृ, -जीविक (विशेषण) जीविका के लिए यथेष्ट,-धन (वविशेषण) यथेष्ट धन रखने वाला, धनवान्,-निरादिष्टघनश्चेत्तु प्रतिभूः स्यादलंघनः[13],-धूमः अधिक धूआँ, धूम्रपुंज, धुएँ का अंबार,-पुरुषीण (विशेषण) 1. जो मनुष्य के योग्य हो, मनुष्य के लिए पर्याप्त हो,-बल (विशेषण) पर्याप्त बलशाली, यथेष्ट शक्तिशाली,-बुद्धिः (स्त्रीलिंग) पर्याप्त समझ,-भूष्णु (विशेषण) योग्य, सक्षम-विनाप्यस्मदलंभूष्णुरिज्यायै तपसः सुतः[14]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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