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'''अविरति''' धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित बर्ताव करना। यह 12 प्रकार का कहा गया है। [[जैन धर्म]] में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग [[हिन्दी साहित्य]] में किया गया है।  
'''अविरति''' धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित बर्ताव करना। यह 12 प्रकार का कहा गया है। [[जैन धर्म]] में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग [[हिन्दी साहित्य]] में किया गया है।  


'''अविरति''' ([[विशेषण]]) [नञ- बहुव्रीहि समास] [निरन्तर-'''ति:''' ([[स्त्रीलिंग]])] [नञ- तत्पुरुष समास]
1. सातत्य, निरन्तरता
2. कामातुरता
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अविरति धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित बर्ताव करना। यह 12 प्रकार का कहा गया है। जैन धर्म में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग हिन्दी साहित्य में किया गया है।


अविरति (विशेषण) [नञ- बहुव्रीहि समास] [निरन्तर-ति: (स्त्रीलिंग)] [नञ- तत्पुरुष समास]

1. सातत्य, निरन्तरता

2. कामातुरता


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- पौराणिक कोश |लेखक- राणा प्रसाद शर्मा | पृष्ठ संख्या- 561

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