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'''तत्व श्रेणी'''
[[भारत]] की स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30000 गाने गाएँ है। मशहूर गायिका लता मंगेशकर की आवाज़ ने छह दशकों से भी ज्यादा संगीत की दुनिया को सुरों से नवाजा है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आंखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी जो आज भी अकेली हैं, अपने आप को पूरी तरह संगीत को समर्पित किया हुआ है। लता मंगेशकर जैसी शख्सियतें विरले ही जन्म लेती हैं।


*[[क्षारीय धातु]] - 1 समूह के [[धातु|धातुओं]] : Li, Na, K, Rb, Cs, Fr.
==जन्म==
*[[क्षारीय भू-धातु]] - 2 समूह के [[धातु|धातुओं]] : Be, Mg, Ca, Sr, Ba, Ra.
लता मंगेशकर का जन्म [[इंदौर]], [[मध्यप्रदेश]] में [[28 सितम्बर]] , [[1929]] को हुआ था। लता मंगेशकर का नाम विश्व के सबसे जानेमाने लोगों में आता है। इनका जन्म संगीत से जुड़े परिवार में हुआ था।
# Pnictogens - The elements of group 15: N, P, As, Sb, Bi.
# Chalcogens - The elements of group 16: O, S, Se, Te, Po.
*[[हैलोजन्स]] - 17 वे [[तत्व|तत्वों]] का समूह : F, Cl, Br, I, At.
*[[अक्रिय गैस]] - 18 वे [[तत्व|तत्वों]] का समूह : He, Ne, Ar, Kr, Xe, Rn
*[[लेन्थेनाइड]] - 57-71 तत्व : La, Ce, Pr, Nd, Pm, Sm, Eu, Gd, Tb, Dy, Ho, Er, Tm, Yb, Lu
*[[एक्टीनाइड]] - 89-103 तत्व : Ac, Th, Pa, U, Np, Pu, Am, Cm, Bk, Cf, Es, Fm, Md, No, Lr.
*Rare earth elements - Sc, Y, and the lanthanoids.
*[[ट्रांजीसन धातु]] - 3 से 12 के बीच के समूह के तत्व


==जीवन परिचय==
लता मंगेशकर के पिता [[दीनानाथ मंगेश्कर]] एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें [[आशा भोंसले|आशा]], ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता अमान अली खान, साहिब और बाद में अमानत खान के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी। लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी।
====<u>जिम्मेदारी</u>====
[[1942]] ई. में हृदय-गति के रुक जाने से उनके पिता का देहांत हो गया। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही लता जी को परिवार की सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने नाज़ुक कंधों पर उठानी पडी़। अपने परिवार के भरण पोषण के लिये उन्होंने 1942 से [[1948]] के बीच [[हिन्दी]] व [[मराठी भाषा|मराठी]] में क़रीबन 8 फ़िल्मों में काम किया। इन मे से कुछ के नाम हैं: “पहेली मंगलागौर” 1942, “मांझे बाल” [[1944]], “गजाभाऊ” [[1944]], “छिमुकला संसार” [[1943]], “बडी माँ” [[1945]], “जीवन यात्रा” [[1946]], “छत्रपति शिवाजी” [[1954]] इत्यादि। लेकिन आपकी मंज़िल तो संगीत ही थी और उनके पार्श्व गायन की शुरुआत 1942 की मराठी फ़िल्म "कीती हसाल" से हुई। दुर्भाग्यवश यह गीत काट दिया गया और फ़िल्म में नहीं शामिल हुआ।


====<u>जीवन में संघर्ष</u>====
सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़। कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गाइका [[नूरजहाँ]] के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा।


[http://en.wikipedia.org/wiki/Collective_names_of_groups_of_like_elements Collective names of groups of like elements]
==संगीत में प्रशंसा==
लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मजबूत महिला बना दिया था। लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने गैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् [[1947]] में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौका मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौका मिला। इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह [[1949]] में गाया गया “'''आएगा आने वाला'''”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी। इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जैकिशन, एस. डी. बरमन, [[आर. डी. बरमन]], [[नौशाद, मदनमोहन]], सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-[[1960]]), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-[[1958]]), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- [[1961]]), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-[[1961]]), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-[[1961]]), “ये समां” (जब जब फूल खिले-[[1965]]) इत्यादि।
 
==देश-भक्ति गीत==
[[1932]] के भारत-[[चीन]] युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री [[जवाहरलाल नेहरू| पंडित जवाहरलाल नेहरू ]] भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “'''ऐ मेरे वतन के लोगो'''” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है।
 
==आवाज़ का जादू==
आपने गीत, गज़ल, भजन, संगीत के हर क्षेत्र में अपनी कला बिखेरी है। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो। हर गीत को लता जी अपनी आवाज़ के जादू से एक ऐसे जीवंत रूप में पेश करती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। लता जी ने युगल गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। मन्ना डे, [[मुहम्मद रफ़ी]], [[किशोर कुमार]], [[महेंद्र कपूर]] आदि के साथ-साथ आपने दिग्गज शास्त्रीय गायकों [[पं भीमसेन जोशी]], पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए हैं। गज़ल के बादशाह [[जगजीत सिंघ]] के साथ आपकी एलबम “सजदा” ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ।
 
==पुरस्कार==
सांगीतिक उपलब्धियों के लिए आपको अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। संगीत जगत में अविस्मरणीय योगदान के लिए लता जी को
*सन [[1969]] में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
*सन 1989 में उन्हें फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया।
*सन [1999]] में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
*सन् [[2001]] ई. में भारत सरकार ने आपकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुए देश के सर्वोच्च पुरस्कार “[[भारत रत्न]]” से आपको विभूषित किया।
 
==मुख्य बिंदु==
*लता जी ने अपना पहला गाना मराठी फ़िल्म 'किती हसाल' (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।
*लता मंगेशकर को पहली बार सबसे बडा मोका फिल्म महल से मिला, उनका गाया "आयेगा आने वाला" बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
*लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो मे गाना कम कर दिया और कहानी, संवाद आदि पर अधिक ध्यान देने लगी।
*लता मंगेशकर जी ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
*लता मंगेशकर ने आनंद गान बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।
*लता मंगेशकर जी अभी भी रिकॉर्डिंग के लिये जाने से पहले कमरे के बाहर अपनी चप्पलें उतारती हैं और वह हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं.

09:48, 20 सितम्बर 2010 का अवतरण

भारत की स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30000 गाने गाएँ है। मशहूर गायिका लता मंगेशकर की आवाज़ ने छह दशकों से भी ज्यादा संगीत की दुनिया को सुरों से नवाजा है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आंखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी जो आज भी अकेली हैं, अपने आप को पूरी तरह संगीत को समर्पित किया हुआ है। लता मंगेशकर जैसी शख्सियतें विरले ही जन्म लेती हैं।

जन्म

लता मंगेशकर का जन्म इंदौर, मध्यप्रदेश में 28 सितम्बर , 1929 को हुआ था। लता मंगेशकर का नाम विश्व के सबसे जानेमाने लोगों में आता है। इनका जन्म संगीत से जुड़े परिवार में हुआ था।

जीवन परिचय

लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेश्कर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता अमान अली खान, साहिब और बाद में अमानत खान के साथ भी पढ़ीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी। लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी।

जिम्मेदारी

1942 ई. में हृदय-गति के रुक जाने से उनके पिता का देहांत हो गया। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही लता जी को परिवार की सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने नाज़ुक कंधों पर उठानी पडी़। अपने परिवार के भरण पोषण के लिये उन्होंने 1942 से 1948 के बीच हिन्दीमराठी में क़रीबन 8 फ़िल्मों में काम किया। इन मे से कुछ के नाम हैं: “पहेली मंगलागौर” 1942, “मांझे बाल” 1944, “गजाभाऊ” 1944, “छिमुकला संसार” 1943, “बडी माँ” 1945, “जीवन यात्रा” 1946, “छत्रपति शिवाजी” 1954 इत्यादि। लेकिन आपकी मंज़िल तो संगीत ही थी और उनके पार्श्व गायन की शुरुआत 1942 की मराठी फ़िल्म "कीती हसाल" से हुई। दुर्भाग्यवश यह गीत काट दिया गया और फ़िल्म में नहीं शामिल हुआ।

जीवन में संघर्ष

सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़। कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गाइका नूरजहाँ के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा।

संगीत में प्रशंसा

लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मजबूत महिला बना दिया था। लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने गैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौका मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौका मिला। इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह 1949 में गाया गया “आएगा आने वाला”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी। इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जैकिशन, एस. डी. बरमन, आर. डी. बरमन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। आपने “महल”, “बरसात”, “एक थी लड़की”, “बडी़ बहन” आदि फ़िल्मों में अपनी आवाज़ के जादू से इन फ़िल्मों की लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे: “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनो-1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) इत्यादि।

देश-भक्ति गीत

1932 के भारत-चीन युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है।

आवाज़ का जादू

आपने गीत, गज़ल, भजन, संगीत के हर क्षेत्र में अपनी कला बिखेरी है। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो। हर गीत को लता जी अपनी आवाज़ के जादू से एक ऐसे जीवंत रूप में पेश करती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। लता जी ने युगल गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। मन्ना डे, मुहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, महेंद्र कपूर आदि के साथ-साथ आपने दिग्गज शास्त्रीय गायकों पं भीमसेन जोशी, पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए हैं। गज़ल के बादशाह जगजीत सिंघ के साथ आपकी एलबम “सजदा” ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ।

पुरस्कार

सांगीतिक उपलब्धियों के लिए आपको अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। संगीत जगत में अविस्मरणीय योगदान के लिए लता जी को

  • सन 1969 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
  • सन 1989 में उन्हें फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया।
  • सन [1999]] में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
  • सन् 2001 ई. में भारत सरकार ने आपकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुए देश के सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” से आपको विभूषित किया।

मुख्य बिंदु

  • लता जी ने अपना पहला गाना मराठी फ़िल्म 'किती हसाल' (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।
  • लता मंगेशकर को पहली बार सबसे बडा मोका फिल्म महल से मिला, उनका गाया "आयेगा आने वाला" बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
  • लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो मे गाना कम कर दिया और कहानी, संवाद आदि पर अधिक ध्यान देने लगी।
  • लता मंगेशकर जी ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
  • लता मंगेशकर ने आनंद गान बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।
  • लता मंगेशकर जी अभी भी रिकॉर्डिंग के लिये जाने से पहले कमरे के बाहर अपनी चप्पलें उतारती हैं और वह हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं.