"सप्तमी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
सप्तम्यां नैव कुर्वीत ताम्रपात्रेण भोजनम्।।
सप्तम्यां नैव कुर्वीत ताम्रपात्रेण भोजनम्।।
</poem>
</poem>


{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=  
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2
|माध्यमिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|पूर्णता=
पंक्ति 35: पंक्ति 34:
{{तिथि}}
{{तिथि}}
{{काल गणना}}
{{काल गणना}}
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:पर्यावरण और जलवायु]]
[[Category:ॠतु और मौसम]]
[[Category:काल_गणना]]
[[Category:काल_गणना]]
[[Category:कैलंडर]]
[[Category:कैलंडर]]
__INDEX__
__INDEX__

11:52, 21 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 73° से 84° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की सप्तमी तथा 253° से 264° तक कृष्ण सप्तमी रहती है।
  • सप्तमी के स्वामी सूर्य हैं।
  • सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है।
  • शुक्रवार के दिन सप्तमी पड़ने पर ‘क्रकच’ नामक अशुभ योग होता है, जो शुभ कार्यों में निषिद्ध होता है।
  • सोमवार तथा शुक्रवार के दिन पड़ने वाली सप्तमी तिथि मृत्युदा और बुधवार के दिन सिद्धिदा होती है।
  • आषाढ़ कृष्ण सप्तमी को यह मास शून्य होती है। इस दिन किये गये शुभ कार्य सफल नहीं होते हैं।
  • सप्तमी की दिशा वायव्य है।
  • शुक्ल पक्ष की सप्तमी में शिववास शुभ और कृष्ण पक्ष सप्तमी में अशुभ होती है।
  • विशेष – सप्तमी तिथि सूर्य ग्रह की जन्म तिथि है, इसलिये शुभ कृत्यों में वर्जित रहती है।

गजकृत्यं विवाहादि संगीतं वस्त्रभूषणम्।
यात्राप्रवेशसंग्रामसिद्धेयुः सप्तमीतिथौ।।

सप्तम्यां न स्पृशेत्तैलं नीलवस्त्रं न धारयेत्।
न चाप्यामलकैः स्नानं न कुया्रत्कलहं नरः।
सप्तम्यां नैव कुर्वीत ताम्रपात्रेण भोजनम्।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख