"त्रेता युग": अवतरणों में अंतर
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*दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है। | *दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है। | ||
*इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है। | *इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है। | ||
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*इस युग में पुण्य अधिक होता है। मनुष्य की आयु अधिक होती है। | *इस युग में पुण्य अधिक होता है। मनुष्य की आयु अधिक होती है। | ||
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06:22, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण
- दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है।
- इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है।
- मनु और सतरूपा के दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद इसी युग में हुए।
- ये पृथ्वी के सर्वप्रथम राजा थे। श्रीराम और परशुराम ने इसी युग में अवतार लिया।
- इस युग में पुण्य अधिक होता है। मनुष्य की आयु अधिक होती है।
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