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==कुछ रचनाएँ== | |||
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ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, | |||
दुराये नैना बनाये बतियां | | |||
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान, | |||
न लेहो काहे लगाये छतियां || | |||
शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़ | |||
वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह, | |||
सखि पिया को जो मैं न देखूं | |||
तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां || | |||
यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू | |||
ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं, | |||
किसे पडी है जो जा सुनावे | |||
पियारे पी को हमारी बतियां || | |||
चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान | |||
हमेशा गिरयान, बे इश्क़ आं मेह | | |||
न नींद नैना, ना अंग चैना | |||
ना आप आवें, न भेजें पतियां || | |||
बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर | |||
कि दाद मारा, ग़रीब खुसरौ | | |||
सपेट मन के, वराये राखूं | |||
जो जाये पांव, पिया के खटियां || | |||
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छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके | |||
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके | |||
मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके | |||
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ | |||
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके | |||
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजव | |||
अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके | |||
ख़ुसरो निजाम के बल बल जाए | |||
मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके | |||
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके॥ | |||
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<poem>ख़ुसरो दरिया प्रेम का, उलटी वा की धार, | |||
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार। | |||
सेज वो सूनी देख के रोवुँ मैं दिन रैन, | |||
पिया पिया मैं करत हूँ पहरों, पल भर सुख ना चैन॥</poem> | |||
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08:35, 25 सितम्बर 2010 का अवतरण
कुछ रचनाएँ
ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, |
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके |
ख़ुसरो दरिया प्रेम का, उलटी वा की धार, |