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==श्राद्धपक्ष में गया श्राद्ध==
[[गया]] में आश्विन-कृष्णपक्ष में बहुत अधिक लोग श्राद्ध करने जाते हैं। पूरे श्राद्ध पक्ष वे यहां रहते हैं। श्राद्धपक्ष के लिए पिंडदान आदि का क्रम इस प्रकार है-<ref>{{cite web |url=http://www.amarujala.com/Shradh/Detail.aspx?Secid=3&SubSecid=14 |title=अमर उजाला |accessmonthday=3 अक्टूबर |accessyear=2010 |last= |first= |authorlink= |format=एचटीएमएल |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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! हिन्दू तिथियाँ
! पिंडदान विवरण
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| भाद्रप्रद शुक्ल चतुर्दशी
| पुनपुन तट पर श्राद्ध।
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| भाद्रपद पूर्णिमा
| फल्गु नदी में स्नान और नदी पर खीर के पिंड से श्राद्ध।
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| आश्विन कृष्ण प्रतिपदा
| ब्रह्मकुंड, प्रेतशिला, राम कुंड एवं रामशिला पर श्राद्ध और काकबलि।
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| आश्विन कृष्ण द्वितीया
| उत्तरमानस, उदीची, कनखल, दक्षिणमानस और जिह्वालोल तीर्थों पर पिंडदान।
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| आश्विन कृष्ण तृतीया
| सरस्वती स्नान, मतंगवापी, धर्मारण्य और बोधगया में श्राद्ध।
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| आश्विन कृष्ण चतुर्थी
| ब्रह्मसरोवर पर श्राद्ध, आम्रसेचन और काकबलि।
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| आश्विन कृष्ण पंचमी
| विष्णुपद मंदिर में रुद्रपद, ब्रह्मपद और विष्णुपद पर खीर के पिंड से श्राद्ध।
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| आश्विन कृष्ण षष्ठी से अष्टमी तक
| विष्णुपद के सोलह वेदी नामक मंडप में 14 स्थानों पर और पास के मंडप में दो स्थानों पर पिंडदान होता है।
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| आश्विन कृष्ण नवमी
| रामगया में श्राद्ध और सीता कुंड पर माता, पितामही को बालू के पिंड दिए जाते हैं।
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| आश्विन कृष्ण दशमी
| गय सिर और गय कूप के पास पिंड दान किया जाता है।
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| आश्विन कृष्ण एकादशी
| मुंडपृष्ठ, आदिगया और धौतपाद में खोवे या तिल-गुड़ से पिंडदान।
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| आश्विन कृष्ण द्वादशी
| भीमगया, गोप्रचार और गदालोल में पिंडदान।
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| आश्विन कृष्ण त्रियोदशी
| फल्गु में स्नान करके दूध का तर्पण, गायत्री, सावित्री तथा सरस्वती तीर्थ पर क्रमशः प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल स्नान और संध्या।
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| आश्विन कृष्ण चतुर्दशी
| वैतरणी स्नान और तर्पण।
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| आश्विन अमावस्या
| अक्षय वट के नीचे श्राद्ध और ब्राह्मण-भोजन।
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| आश्विन शुक्ल प्रतिपदा
| गायत्री घाट पर दही-अक्षत का पिंड देकर गया श्राद्ध समाप्त किया जाता है।
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13:35, 3 अक्टूबर 2010 का अवतरण

श्राद्धपक्ष में गया श्राद्ध

गया में आश्विन-कृष्णपक्ष में बहुत अधिक लोग श्राद्ध करने जाते हैं। पूरे श्राद्ध पक्ष वे यहां रहते हैं। श्राद्धपक्ष के लिए पिंडदान आदि का क्रम इस प्रकार है-[1]

हिन्दू तिथियाँ पिंडदान विवरण
भाद्रप्रद शुक्ल चतुर्दशी पुनपुन तट पर श्राद्ध।
भाद्रपद पूर्णिमा फल्गु नदी में स्नान और नदी पर खीर के पिंड से श्राद्ध।
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा ब्रह्मकुंड, प्रेतशिला, राम कुंड एवं रामशिला पर श्राद्ध और काकबलि।
आश्विन कृष्ण द्वितीया उत्तरमानस, उदीची, कनखल, दक्षिणमानस और जिह्वालोल तीर्थों पर पिंडदान।
आश्विन कृष्ण तृतीया सरस्वती स्नान, मतंगवापी, धर्मारण्य और बोधगया में श्राद्ध।
आश्विन कृष्ण चतुर्थी ब्रह्मसरोवर पर श्राद्ध, आम्रसेचन और काकबलि।
आश्विन कृष्ण पंचमी विष्णुपद मंदिर में रुद्रपद, ब्रह्मपद और विष्णुपद पर खीर के पिंड से श्राद्ध।
आश्विन कृष्ण षष्ठी से अष्टमी तक विष्णुपद के सोलह वेदी नामक मंडप में 14 स्थानों पर और पास के मंडप में दो स्थानों पर पिंडदान होता है।
आश्विन कृष्ण नवमी रामगया में श्राद्ध और सीता कुंड पर माता, पितामही को बालू के पिंड दिए जाते हैं।
आश्विन कृष्ण दशमी गय सिर और गय कूप के पास पिंड दान किया जाता है।
आश्विन कृष्ण एकादशी मुंडपृष्ठ, आदिगया और धौतपाद में खोवे या तिल-गुड़ से पिंडदान।
आश्विन कृष्ण द्वादशी भीमगया, गोप्रचार और गदालोल में पिंडदान।
आश्विन कृष्ण त्रियोदशी फल्गु में स्नान करके दूध का तर्पण, गायत्री, सावित्री तथा सरस्वती तीर्थ पर क्रमशः प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल स्नान और संध्या।
आश्विन कृष्ण चतुर्दशी वैतरणी स्नान और तर्पण।
आश्विन अमावस्या अक्षय वट के नीचे श्राद्ध और ब्राह्मण-भोजन।
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा गायत्री घाट पर दही-अक्षत का पिंड देकर गया श्राद्ध समाप्त किया जाता है।
  1. अमर उजाला (हिन्दी) (एचटीएमएल)। । अभिगमन तिथि: 3 अक्टूबर, 2010।