"किशोर कुमार": अवतरणों में अंतर
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किशोर कुमार भारतीय संगीत के इतिहास में अमर गायक, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और संगीतकार, लेखक और गीतकार थे। (जन्म- [[4 अगस्त]] सन [[1929]] ई., [[खंडवा]] [[मध्य प्रदेश]], मृत्यु- [[13 अक्टूबर]], [[1987]])। किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था| | किशोर कुमार भारतीय संगीत के इतिहास में अमर गायक, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और संगीतकार, लेखक और गीतकार थे। (जन्म- [[4 अगस्त]] सन [[1929]] ई., [[खंडवा]] [[मध्य प्रदेश]], मृत्यु- [[13 अक्टूबर]], [[1987]]), [[मुंबई]]। किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था| | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 ई. को खंडवा, मध्यप्रदेश में एक बंगाली परिवार में हुआ था। किशोर कुमार एक विलक्षण शख्सियत रहे हैं हिन्दी सिनेमा की और उनका बहुत बड़ा योगदान है। किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल खंडवा शहर के जाने माने वकील थे। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार मुम्बई में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे। | किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 ई. को खंडवा, मध्यप्रदेश में एक बंगाली परिवार में हुआ था। किशोर कुमार एक विलक्षण शख्सियत रहे हैं हिन्दी सिनेमा की और उनका बहुत बड़ा योगदान है। किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल खंडवा शहर के जाने माने वकील थे। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार मुम्बई में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे। | ||
किशोर कुमार बचपन से ही एक संगीतकार बनना चाहते थे, वह अपने पिता की तरह वकील नहीं बनना चाहते थे। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते | किशोर कुमार बचपन से ही एक संगीतकार बनना चाहते थे, वह अपने पिता की तरह वकील नहीं बनना चाहते थे। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।हिन्दी सिनेमा में इलैक्ट्रिक संगीत लाने का श्रेय किशोर कुमार को <ref>{{cite web |url=http://hindikhabar.com/article_details.php?NewsID=4808 |title=किशोर कुमार- कुछ अनजाने तथ्य |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी ख़बर |language= हिन्दी}}</ref>जाता है। | ||
==अभिनेता के रूप में शुरुआत== | ==अभिनेता के रूप में शुरुआत== | ||
किशोर कुमार के.एल. सहगल के गानों से बहुत प्रभावित थे, और उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार की चाहत थी कि किशोर कुमार नायक के रूप में हिंदी फिल्मों के हीरो के रूप में जाने जाएँ, लेकिन किशोर कुमार को अदाकारी की बजाये पार्श्व गायक बनने की चाहत थी किशोर कुमार ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नही ली थी। किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फिल्म शिकारी (1946) से हुई। इस फिल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका की थी। किशोर कुमार ने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फिल्म 'आंदोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फिल्म फ्लॉप हो गई। 1954 में किशोर कुमार ने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोजगार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद 1955 में बनी "बाप रे बाप", 1956 में "नई दिल्ली", 1957 में "मि. मेरी" और "आशा", और 1958 में बनी "चलती का नाम गाड़ी" जिस में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री मधुबाला थी । | किशोर कुमार के.एल. सहगल के गानों से बहुत प्रभावित थे, और उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार की चाहत थी कि किशोर कुमार नायक के रूप में हिंदी फिल्मों के हीरो के रूप में जाने जाएँ, लेकिन किशोर कुमार को अदाकारी की बजाये पार्श्व गायक बनने की चाहत थी किशोर कुमार ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नही ली थी। किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फिल्म शिकारी (1946) से हुई। इस फिल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका की थी। किशोर कुमार ने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फिल्म 'आंदोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फिल्म फ्लॉप हो गई। 1954 में किशोर कुमार ने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोजगार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद 1955 में बनी "बाप रे बाप", 1956 में "नई दिल्ली", 1957 में "मि. मेरी" और "आशा", और 1958 में बनी "चलती का नाम गाड़ी" जिस में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री मधुबाला थी । | ||
==गायकी की शुरुआत== | ==गायकी की शुरुआत== | ||
किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौका 1948 में बनी फिल्म जिद्दी में मिला। फिल्म जिद्दी में किशोर कुमार ने देव आनंद के लिए गाना गाया था। 'जिद्दी' की सफलता के बावजूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई खास काम मिला। किशोर कुमार ने गायकी का एक नया अंदाज बनाया जो उस समय के नामचीन गायक रफ़ी मुकेश और सहगल से काफ़ी अलग था। किशोर कुमार सन [[1969]] में निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म आराधना के जरिये गायकी के दुनिया में सबसे सफल गायक बन गये| किशोर कुमार को शुरू में एस डी बर्मन और अन्य संगीत कारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फिल्म "फंटूस" में 'दुखी मन मेरे' गीत को गाकर अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। किशोर कुमार को इसके बाद एस डी बर्मन ने अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया। | किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौका 1948 में बनी फिल्म जिद्दी में मिला। फिल्म जिद्दी में किशोर कुमार ने देव आनंद के लिए गाना गाया था। 'जिद्दी' की सफलता के बावजूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई खास काम मिला। किशोर कुमार ने गायकी का एक नया अंदाज बनाया जो उस समय के नामचीन गायक रफ़ी मुकेश और सहगल से काफ़ी अलग था। किशोर कुमार सन [[1969]] में निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म आराधना के जरिये गायकी के दुनिया में सबसे सफल गायक बन गये| किशोर कुमार को शुरू में एस डी बर्मन और अन्य संगीत कारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फिल्म "फंटूस" में 'दुखी मन मेरे' गीत को गाकर अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। किशोर कुमार को इसके बाद एस डी बर्मन ने अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया। | ||
====आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में==== | <u>====आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में====</u> | ||
आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने 'मुनीम जी', 'टैक्सी ड्राइवर', 'फंटूश', 'नौ दो ग्यारह', 'पेइंग गेस्ट', 'गाईड', 'ज्वेल थीफ़', 'प्रेमपुजारी', 'तेरे मेरे सपने' जैसी फिल्मों में अपनी जादुई आवाज से फिल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 574 से अधिक गाने गाए। | आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने 'मुनीम जी', 'टैक्सी ड्राइवर', 'फंटूश', 'नौ दो ग्यारह', 'पेइंग गेस्ट', 'गाईड', 'ज्वेल थीफ़', 'प्रेमपुजारी', 'तेरे मेरे सपने' जैसी फिल्मों में अपनी जादुई आवाज से फिल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 574 से अधिक गाने गाए। | ||
====अन्य भाषओं में गीत==== | <u>====अन्य भाषओं में गीत====</u> | ||
किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए भी गीत गाए। | किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए भी गीत गाए। | ||
==फिल्म फेयर अवार्ड== | ==फिल्म फेयर अवार्ड== | ||
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==हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित किस्से== | ==हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित किस्से== | ||
किशोर कुमार की आवाज की पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे। उनके कई किस्से हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित हैं। | किशोर कुमार की आवाज की पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे। उनके कई किस्से हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित हैं। | ||
====रशोकि रमाकु==== | <u>====रशोकि रमाकु====</u> | ||
किशोर कुमार को अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहने का फितूर था। खासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में किशोर कुमार ने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर वह कहते थे- रशोकि रमाकु। | किशोर कुमार को अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहने का फितूर था। खासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में किशोर कुमार ने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर वह कहते थे- रशोकि रमाकु। | ||
====तीन नायकों को बनाया महानायक==== | <u>====तीन नायकों को बनाया महानायक====</u> | ||
किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देव आनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अभिताभ बच्चन महानायक हो गए। | किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देव आनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अभिताभ बच्चन महानायक हो गए। | ||
====मनोरंजन कर==== | <u>====मनोरंजन कर====</u> | ||
किशोर कुमार ने बारह साल की उम्र तक गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली थी। किशोर कुमार रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। किशोर कुमार फिल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ करके गाते थे। घर आने वाले मेहमानों को किशोर कुमार अभिनय सहित गाने सुनाते तो 'मनोरंजन-कर' के रूप में कुछ इनाम भी माँग लेते थे। | किशोर कुमार ने बारह साल की उम्र तक गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली थी। किशोर कुमार रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। किशोर कुमार फिल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ करके गाते थे। घर आने वाले मेहमानों को किशोर कुमार अभिनय सहित गाने सुनाते तो 'मनोरंजन-कर' के रूप में कुछ इनाम भी माँग लेते थे। | ||
====बाथरूम गायक==== | <u>====बाथरूम गायक====</u> | ||
एक दिन अशोक कुमार के घर अचानक संगीतकार सचिन देव बर्मन पहुँच गए। बैठक में उन्होंने गाने की आवाज सुनी तो दादा मुनि से पूछा, 'कौन गा रहा है?' अशोक कुमार ने जवाब दिया-'मेरा छोटा भाई है। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता।' सचिन-दा ने बाद में किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया। | एक दिन अशोक कुमार के घर अचानक संगीतकार सचिन देव बर्मन पहुँच गए। बैठक में उन्होंने गाने की आवाज सुनी तो दादा मुनि से पूछा, 'कौन गा रहा है?' अशोक कुमार ने जवाब दिया-'मेरा छोटा भाई है। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता।' सचिन-दा ने बाद में किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया। | ||
====दो बार आवाज़ उधार ली==== | <u>====दो बार आवाज़ उधार ली====</u> | ||
मोहम्मद रफ़ी ने पहली बार किशोर कुमार को अपनी आवाज़ फ़िल्म 'रागिनी' में गीत 'मन मोरा बावरा।' के लिए उधार दी। दूसरी बार शंकर-जयकिशन की फिल्म 'शरारत' में रफ़ी ने किशोर के लिए-व 'अजब है दास्ताँ तेरी ये जिंदगी।' गीत गाया। | मोहम्मद रफ़ी ने पहली बार किशोर कुमार को अपनी आवाज़ फ़िल्म 'रागिनी' में गीत 'मन मोरा बावरा।' के लिए उधार दी। दूसरी बार शंकर-जयकिशन की फिल्म 'शरारत' में रफ़ी ने किशोर के लिए-व 'अजब है दास्ताँ तेरी ये जिंदगी।' गीत गाया। | ||
====मेहमूद से लिया बदला==== | <u>====मेहमूद से लिया बदला====</u> | ||
मेहमूद ने फिल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज़्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। किशोर कुमार ने इसका बदला मेहमूद से फिल्म 'पड़ोसन' में दुगुना पैसा लेकर लिया। | मेहमूद ने फिल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज़्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। किशोर कुमार ने इसका बदला मेहमूद से फिल्म 'पड़ोसन' में दुगुना पैसा लेकर लिया। | ||
====खंडवे वाले की राम-राम==== | <u>====खंडवे वाले की राम-राम====</u> | ||
किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे- 'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार। | किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे- 'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार। | ||
====हरफनमौला==== | <u>====हरफनमौला====</u> | ||
किशोर कुमार का बचपन तो खंडवा में बीता, लेकिन जब वे किशोर हुए तो इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने आए। हर सोमवार सुबह खंडवा से मीटरगेज की छुक-छुक रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते। सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और मुसाफिरों को नए-नए गाने सुनाकर मनोरंजन करते थे। | किशोर कुमार का बचपन तो खंडवा में बीता, लेकिन जब वे किशोर हुए तो इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने आए। हर सोमवार सुबह खंडवा से मीटरगेज की छुक-छुक रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते। सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और मुसाफिरों को नए-नए गाने सुनाकर मनोरंजन करते थे। | ||
====खंडवा की दूध जलेबी==== | <u>====खंडवा की दूध जलेबी====</u> | ||
किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे- 'फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/articles/1008/04/1100804022_1.htm |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम |publisher=वेबदुनिया |language= हिन्दी}}</ref> | किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे- 'फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/articles/1008/04/1100804022_1.htm |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम |publisher=वेबदुनिया |language= हिन्दी}}</ref> | ||
==प्रिय गायक== | ==प्रिय गायक== | ||
लता मंगेशकर को किशोर गायकों में सबसे ज़्यादा अच्छे लगते थे। लता जी ने कहा कि किशोर हर तरह के गीत गा लेते थे और उन्हें ये मालूम था कि कौन सा गाना किस अंदाज़ में गाना है। किशोर कुमार लता जी की बहन आशा भोंसले के भी सबसे पसंदीदा गायक थे और उनका मानना है कि किशोर अपने गाने दिल और दिमाग़ दोनों से ही गाते थे. | लता मंगेशकर को किशोर गायकों में सबसे ज़्यादा अच्छे लगते थे। लता जी ने कहा कि किशोर हर तरह के गीत गा लेते थे और उन्हें ये मालूम था कि कौन सा गाना किस अंदाज़ में गाना है। किशोर कुमार लता जी की बहन आशा भोंसले के भी सबसे पसंदीदा गायक थे और उनका मानना है कि किशोर अपने गाने दिल और दिमाग़ दोनों से ही गाते थे. | ||
आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों संगीत के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है. आज अगर वे ज़िंदा होते तो अस्सी बरस के होते।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2009/08/090803_kishore_kumar.shtml |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=बी बी सी हिन्दी |language= हिन्दी}}</ref> | आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों संगीत के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है. आज अगर वे ज़िंदा होते तो अस्सी बरस के होते।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2009/08/090803_kishore_kumar.shtml |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=बी बी सी हिन्दी |language= हिन्दी}}</ref> | ||
==किशोर कुमार के कैरियोकि गाने== | |||
<poem> | |||
अगर तुम न होते… | |||
आ चल के तुझे मैं लेके चलूँ… | |||
आदमी जो कहता है… | |||
आने वाला पल जाने वाला है… | |||
ऐ खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंज़ूर है… | |||
ओ मेरे दिल के चैन… | |||
कितने सपने कितने अरमान लाया हूँ मैं… | |||
कोई हमदम न रहा… | |||
खाईके पान बनारस वाला… | |||
ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीकत कौन हो तुम बतलाओ… | |||
गीत गाता हूँ मैं… | |||
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं… | |||
चलते चलते मेरे ये गीत… | |||
चिंगारी कोई भड़के… | |||
छूकर मेरे मन को… | |||
जीवन से भरी तेरी आँखें… | |||
तेरी दुनिया से, होके मजबूर चला… | |||
दिल आज शायर है… | |||
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा… | |||
दीवाना लेके आया है… | |||
दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना… | |||
प्यार दीवाना होता है… | |||
फिर वोही रात है… | |||
फूलों का तारों का… | |||
माना जनाब ने पुकारा नहीं… | |||
मुसाफ़िर हूँ यारो… | |||
मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया… | |||
मेरी भीगी भीगी सी… | |||
मेरे नैना सावन भादों… | |||
मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू… | |||
मैं शायर बदनाम… | |||
ये क्या हुआ… | |||
ये जीवन है… | |||
ये दिल न होता बेचारा… | |||
ये लाल रंग… | |||
ये शाम मसतानी… | |||
रिम झिम गिरे सावन… | |||
रोते हुए आते हैं सब… | |||
वो शाम कुछ अजीब थी… | |||
सागर जैसी आँखों वाली… | |||
हम हैं राही प्यार के… | |||
हमें तुमसे प्यार कितना… | |||
ज़िंदगी इक सफ़र है सुहाना… | |||
ज़िंदगी का सफ़र… | |||
ज़िंदगी प्यार का गीत है…<ref>{{cite web |url=http://hindi-lyrics.blogspot.com/2010/07/blog-post.html |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=गाना बजाना |language=हिन्दी}}</ref> </poem> | |||
==मृत्यु== | ==मृत्यु== | ||
वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने मुंबई की भागम-दौड़ वाली जिंदगी से उब कर यह फैसला किया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा जाकर रहेंगे .लेकिन उनका यह सपना भी अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर 1987 को उन्हें दिल का दौरा पड़़ा और वह पूरी दुनिया से विदा हो गये।<ref>{{cite web |url=http://www.hindigaurav.com/entertainment-news-0-35 |title=किशोर कुमार एक मस्तमौला इंसान |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी गौरव |language=हिन्दी }}</ref>भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन अपनी सुरमयी आवाज और बेहतरीन अदायकी से वो हमेशा हमारे बीच रहेंगे।<ref>{{cite web |url=http://thatshindi.oneindia.in/movies/bollywood/news/2010/08/happy-birthday-kishor-kumar.html |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=दैट्स हिन्दी |language=हिन्दी }}</ref> | वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने मुंबई की भागम-दौड़ वाली जिंदगी से उब कर यह फैसला किया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा जाकर रहेंगे .लेकिन उनका यह सपना भी अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर 1987 को उन्हें दिल का दौरा पड़़ा और वह पूरी दुनिया से विदा हो गये।<ref>{{cite web |url=http://www.hindigaurav.com/entertainment-news-0-35 |title=किशोर कुमार एक मस्तमौला इंसान |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=हिन्दी गौरव |language=हिन्दी }}</ref>भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन अपनी सुरमयी आवाज और बेहतरीन अदायकी से वो हमेशा हमारे बीच रहेंगे।<ref>{{cite web |url=http://thatshindi.oneindia.in/movies/bollywood/news/2010/08/happy-birthday-kishor-kumar.html |title=किशोर कुमार |accessmonthday=[[10 अक्तूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=दैट्स हिन्दी |language=हिन्दी }}</ref> |
11:08, 10 अक्टूबर 2010 का अवतरण
किशोर कुमार भारतीय संगीत के इतिहास में अमर गायक, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और संगीतकार, लेखक और गीतकार थे। (जन्म- 4 अगस्त सन 1929 ई., खंडवा मध्य प्रदेश, मृत्यु- 13 अक्टूबर, 1987), मुंबई। किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था|
जीवन परिचय
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त, 1929 ई. को खंडवा, मध्यप्रदेश में एक बंगाली परिवार में हुआ था। किशोर कुमार एक विलक्षण शख्सियत रहे हैं हिन्दी सिनेमा की और उनका बहुत बड़ा योगदान है। किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल खंडवा शहर के जाने माने वकील थे। किशोर चार भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उनके सबसे बड़े भाई अशोक कुमार मुम्बई में एक अभिनेता के रूप में स्थापित हो चुके थे और उनके एक और भाई अनूप कुमार भी फ़िल्मों में काम कर रहे थे।
किशोर कुमार बचपन से ही एक संगीतकार बनना चाहते थे, वह अपने पिता की तरह वकील नहीं बनना चाहते थे। किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन भी किया। फ़िल्म 'पड़ोसन' में उन्होंने जिस मस्त मौला आदमी के किरदार को निभाया वही किरदार वे जिंदगी भर अपनी असली जिंदगी में निभाते रहे।हिन्दी सिनेमा में इलैक्ट्रिक संगीत लाने का श्रेय किशोर कुमार को [1]जाता है।
अभिनेता के रूप में शुरुआत
किशोर कुमार के.एल. सहगल के गानों से बहुत प्रभावित थे, और उनकी ही तरह गायक बनना चाहते थे। किशोर कुमार के भाई अशोक कुमार की चाहत थी कि किशोर कुमार नायक के रूप में हिंदी फिल्मों के हीरो के रूप में जाने जाएँ, लेकिन किशोर कुमार को अदाकारी की बजाये पार्श्व गायक बनने की चाहत थी किशोर कुमार ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा कभी किसी से नही ली थी। किशोर कुमार की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फिल्म शिकारी (1946) से हुई। इस फिल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने प्रमुख भूमिका की थी। किशोर कुमार ने 1951 में फणी मजूमदार द्वारा निर्मित फिल्म 'आंदोलन' में हीरो के रूप में काम किया मगर फिल्म फ्लॉप हो गई। 1954 में किशोर कुमार ने बिमल राय की 'नौकरी' में एक बेरोजगार युवक की संवेदनशील भूमिका कर अपनी अभिनय प्रतिभा से भी परिचित किया। इसके बाद 1955 में बनी "बाप रे बाप", 1956 में "नई दिल्ली", 1957 में "मि. मेरी" और "आशा", और 1958 में बनी "चलती का नाम गाड़ी" जिस में किशोर कुमार ने अपने दोनों भाईयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ काम किया और उनकी अभिनेत्री मधुबाला थी ।
गायकी की शुरुआत
किशोर कुमार को पहली बार गाने का मौका 1948 में बनी फिल्म जिद्दी में मिला। फिल्म जिद्दी में किशोर कुमार ने देव आनंद के लिए गाना गाया था। 'जिद्दी' की सफलता के बावजूद उन्हें न तो पहचान मिली और न कोई खास काम मिला। किशोर कुमार ने गायकी का एक नया अंदाज बनाया जो उस समय के नामचीन गायक रफ़ी मुकेश और सहगल से काफ़ी अलग था। किशोर कुमार सन 1969 में निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म आराधना के जरिये गायकी के दुनिया में सबसे सफल गायक बन गये| किशोर कुमार को शुरू में एस डी बर्मन और अन्य संगीत कारों ने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और उनसे हल्के स्तर के गीत गवाए गए, लेकिन किशोर कुमार ने 1957 में बनी फिल्म "फंटूस" में 'दुखी मन मेरे' गीत को गाकर अपनी ऐसी धाक जमाई कि जाने माने संगीतकारों को किशोर कुमार की प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा। किशोर कुमार को इसके बाद एस डी बर्मन ने अपने संगीत निर्देशन में कई गीत गाने का मौका दिया। ====आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में==== आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार ने 'मुनीम जी', 'टैक्सी ड्राइवर', 'फंटूश', 'नौ दो ग्यारह', 'पेइंग गेस्ट', 'गाईड', 'ज्वेल थीफ़', 'प्रेमपुजारी', 'तेरे मेरे सपने' जैसी फिल्मों में अपनी जादुई आवाज से फिल्मी संगीत के दीवानों को अपना दीवाना बना लिया। एक अनुमान के किशोर कुमार ने वर्ष 1940 से वर्ष 1980 के बीच के अपने करियर के दौरान करीब 574 से अधिक गाने गाए। ====अन्य भाषओं में गीत==== किशोर कुमार ने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए भी गीत गाए।
फिल्म फेयर अवार्ड
किशोर कुमार को आठ फिल्म फेयर अवार्ड मिले हैं। किशोर कुमार को पहला फिल्म फेयर अवार्ड 1969 में 'अराधना' फिल्म के गीत 'रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना' के लिए दिया गया था। किशोर कुमार की ख़ासियत यह थी कि उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन के लिए अपनी आवाज दी और इन सभी अभिनेताओं पर उनकी आवाज ऐसी रची बसी मानो किशोर खुद उनके अंदर मौज़ूद हों।
वैवाहिक जीवन
किशोर कुमार की पहली शादी रुमा देवी के से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई और इस के बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया। उस दौर में दिलीप कुमार जैसे सफल और शोहरत की बुलंदियों पर पहुँचे अभिनेता जहाँ मधुबाला जैसी रूप सुंदरी का दिल नहीं जीत पाए वही मधुबाला किशोर कुमार की दूसरी पत्नी बनी। 1961 में बनी फिल्म "झुमरु" में दोनों एक साथ आए। यह फिल्म किशोर कुमार ने ही बनाई थी और उन्होंने ख़ुद ही इसका निर्देशन किया था। इस के बाद दोनों ने 1962 में बनी फिल्म "हाफ टिकट" में एक साथ काम किया जिस में किशोर कुमार ने यादगार कॉमेडी कर अपनी एक अलग छबि पेश की। १९७६ में उन्होंने योगिता बाली से शादी की मगर इन दोनों का यह साथ मात्र कुछ महीनों का ही रहा। इसके बाद योगिता बाली ने मिथुन चक्रवर्ती से शादी कर ली। १९८० में किशोर कुमार ने चौथी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं।
हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित किस्से
किशोर कुमार की आवाज की पुरानी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी दीवानी है। किशोर जितने उम्दा कलाकार थे, उतने ही रोचक इंसान भी थे। उनके कई किस्से हिन्दी सिनेमा जगत में प्रचलित हैं। ====रशोकि रमाकु==== किशोर कुमार को अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहने का फितूर था। खासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में किशोर कुमार ने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर वह कहते थे- रशोकि रमाकु। ====तीन नायकों को बनाया महानायक==== किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देव आनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अभिताभ बच्चन महानायक हो गए। ====मनोरंजन कर==== किशोर कुमार ने बारह साल की उम्र तक गीत-संगीत में महारत हासिल कर ली थी। किशोर कुमार रेडियो पर गाने सुनकर उनकी धुन पर थिरकते थे। किशोर कुमार फिल्मी गानों की किताब जमा कर उन्हें कंठस्थ करके गाते थे। घर आने वाले मेहमानों को किशोर कुमार अभिनय सहित गाने सुनाते तो 'मनोरंजन-कर' के रूप में कुछ इनाम भी माँग लेते थे। ====बाथरूम गायक==== एक दिन अशोक कुमार के घर अचानक संगीतकार सचिन देव बर्मन पहुँच गए। बैठक में उन्होंने गाने की आवाज सुनी तो दादा मुनि से पूछा, 'कौन गा रहा है?' अशोक कुमार ने जवाब दिया-'मेरा छोटा भाई है। जब तक गाना नहीं गाता, उसका नहाना पूरा नहीं होता।' सचिन-दा ने बाद में किशोर कुमार को जीनियस गायक बना दिया। ====दो बार आवाज़ उधार ली==== मोहम्मद रफ़ी ने पहली बार किशोर कुमार को अपनी आवाज़ फ़िल्म 'रागिनी' में गीत 'मन मोरा बावरा।' के लिए उधार दी। दूसरी बार शंकर-जयकिशन की फिल्म 'शरारत' में रफ़ी ने किशोर के लिए-व 'अजब है दास्ताँ तेरी ये जिंदगी।' गीत गाया। ====मेहमूद से लिया बदला==== मेहमूद ने फिल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज़्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। किशोर कुमार ने इसका बदला मेहमूद से फिल्म 'पड़ोसन' में दुगुना पैसा लेकर लिया। ====खंडवे वाले की राम-राम==== किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे- 'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार। ====हरफनमौला==== किशोर कुमार का बचपन तो खंडवा में बीता, लेकिन जब वे किशोर हुए तो इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने आए। हर सोमवार सुबह खंडवा से मीटरगेज की छुक-छुक रेलगाड़ी में इंदौर आते और शनिवार शाम लौट जाते। सफर में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और मुसाफिरों को नए-नए गाने सुनाकर मनोरंजन करते थे। ====खंडवा की दूध जलेबी==== किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे- 'फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।[2]
प्रिय गायक
लता मंगेशकर को किशोर गायकों में सबसे ज़्यादा अच्छे लगते थे। लता जी ने कहा कि किशोर हर तरह के गीत गा लेते थे और उन्हें ये मालूम था कि कौन सा गाना किस अंदाज़ में गाना है। किशोर कुमार लता जी की बहन आशा भोंसले के भी सबसे पसंदीदा गायक थे और उनका मानना है कि किशोर अपने गाने दिल और दिमाग़ दोनों से ही गाते थे. आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों संगीत के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है. आज अगर वे ज़िंदा होते तो अस्सी बरस के होते।[3]
किशोर कुमार के कैरियोकि गाने
अगर तुम न होते…
आ चल के तुझे मैं लेके चलूँ…
आदमी जो कहता है…
आने वाला पल जाने वाला है…
ऐ खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंज़ूर है…
ओ मेरे दिल के चैन…
कितने सपने कितने अरमान लाया हूँ मैं…
कोई हमदम न रहा…
खाईके पान बनारस वाला…
ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीकत कौन हो तुम बतलाओ…
गीत गाता हूँ मैं…
घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मैं…
चलते चलते मेरे ये गीत…
चिंगारी कोई भड़के…
छूकर मेरे मन को…
जीवन से भरी तेरी आँखें…
तेरी दुनिया से, होके मजबूर चला…
दिल आज शायर है…
दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा…
दीवाना लेके आया है…
दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना…
प्यार दीवाना होता है…
फिर वोही रात है…
फूलों का तारों का…
माना जनाब ने पुकारा नहीं…
मुसाफ़िर हूँ यारो…
मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया…
मेरी भीगी भीगी सी…
मेरे नैना सावन भादों…
मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू…
मैं शायर बदनाम…
ये क्या हुआ…
ये जीवन है…
ये दिल न होता बेचारा…
ये लाल रंग…
ये शाम मसतानी…
रिम झिम गिरे सावन…
रोते हुए आते हैं सब…
वो शाम कुछ अजीब थी…
सागर जैसी आँखों वाली…
हम हैं राही प्यार के…
हमें तुमसे प्यार कितना…
ज़िंदगी इक सफ़र है सुहाना…
ज़िंदगी का सफ़र…
ज़िंदगी प्यार का गीत है…[4]
मृत्यु
वर्ष 1987 में किशोर कुमार ने मुंबई की भागम-दौड़ वाली जिंदगी से उब कर यह फैसला किया कि वह फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वापस अपने गांव खंडवा जाकर रहेंगे .लेकिन उनका यह सपना भी अधूरा ही रह गया। 13 अक्टूबर 1987 को उन्हें दिल का दौरा पड़़ा और वह पूरी दुनिया से विदा हो गये।[5]भले ही वो आज हमारे बीच नहीं है। लेकिन अपनी सुरमयी आवाज और बेहतरीन अदायकी से वो हमेशा हमारे बीच रहेंगे।[6]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ किशोर कुमार- कुछ अनजाने तथ्य (हिन्दी) हिन्दी ख़बर। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010।
- ↑ किशोर कुमार (हिन्दी) (एच टी एम) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010।
- ↑ किशोर कुमार (हिन्दी) (एच टी एम एल) बी बी सी हिन्दी। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010।
- ↑ किशोर कुमार (हिन्दी) (एच टी एम एल) गाना बजाना। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010।
- ↑ किशोर कुमार एक मस्तमौला इंसान (हिन्दी) हिन्दी गौरव। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010।
- ↑ किशोर कुमार (हिन्दी) (एच टी एम एल) दैट्स हिन्दी। अभिगमन तिथि: 10 अक्तूबर, 2010।