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*[[भारत]] में वह 1656 ई. से 1668 ई. तक रहा, बर्नियर सारे देश का भ्रमण किया और [[शाहजहाँ]] तथा [[औरंगज़ेब]] के मध्यवर्ती शासनकालों में उसने भारत में जो कुछ देखा उसका रोचक विवरण प्रस्तुत किया है।  
*[[भारत]] में वह 1656 ई. से 1668 ई. तक रहा, बर्नियर सारे देश का भ्रमण किया और [[शाहजहाँ]] तथा [[औरंगज़ेब]] के मध्यवर्ती शासनकालों में उसने भारत में जो कुछ देखा उसका रोचक विवरण प्रस्तुत किया है।  
*उसने मुग़ल दरबार के प्रमुख दरबारी दानिशमन्द की नौकरी कर ली थी।  
*उसने मुग़ल दरबार के प्रमुख दरबारी दानिशमन्द की नौकरी कर ली थी।  
*वह [[दिल्ली]] में उस समय मौजूद था, जब [[शाहजादा दारा]] को राजधानी की सड़कों पर घुमाया गया।  
*वह [[दिल्ली]] में उस समय मौजूद था, जब [[दारा शिकोह|शाहजादा दारा]] को राजधानी की सड़कों पर घुमाया गया।  
*शाहजादा दारा के पीछे-पीछे भारी भीड़ चल रही थी, जो कि उसके दुर्भाग्य पर विलाप कर रही थी। फिर भी भीड़ में से किसी व्यक्ति को अपनी तलवार निकाल कर दारा को छुड़ाने का साहस नहीं हुआ।  
*शाहजादा दारा के पीछे-पीछे भारी भीड़ चल रही थी, जो कि उसके दुर्भाग्य पर विलाप कर रही थी। फिर भी भीड़ में से किसी व्यक्ति को अपनी तलवार निकाल कर दारा को छुड़ाने का साहस नहीं हुआ।  
*इस प्रकार बर्नियर विदेशी होने पर भी सत्ताधारियों के सम्मुख भारतीय जनता की निष्क्रियता तथा असहायावस्था को लक्षित कर लिया था।  
*इस प्रकार बर्नियर विदेशी होने पर भी सत्ताधारियों के सम्मुख भारतीय जनता की निष्क्रियता तथा असहायावस्था को लक्षित कर लिया था।  
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18:03, 23 अक्टूबर 2010 का अवतरण

  • बर्नियर, फ़्रैंको एक फ़्राँसीसी विद्वान डॉक्टर थे।
  • भारत में वह 1656 ई. से 1668 ई. तक रहा, बर्नियर सारे देश का भ्रमण किया और शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब के मध्यवर्ती शासनकालों में उसने भारत में जो कुछ देखा उसका रोचक विवरण प्रस्तुत किया है।
  • उसने मुग़ल दरबार के प्रमुख दरबारी दानिशमन्द की नौकरी कर ली थी।
  • वह दिल्ली में उस समय मौजूद था, जब शाहजादा दारा को राजधानी की सड़कों पर घुमाया गया।
  • शाहजादा दारा के पीछे-पीछे भारी भीड़ चल रही थी, जो कि उसके दुर्भाग्य पर विलाप कर रही थी। फिर भी भीड़ में से किसी व्यक्ति को अपनी तलवार निकाल कर दारा को छुड़ाने का साहस नहीं हुआ।
  • इस प्रकार बर्नियर विदेशी होने पर भी सत्ताधारियों के सम्मुख भारतीय जनता की निष्क्रियता तथा असहायावस्था को लक्षित कर लिया था।
  • बर्नियर ने शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब के रेखाचित्र भी प्रस्तुत किए हैं।
  • बंगाल की समृद्धि से वह बहुत प्रभावित हुआ था, परन्तु जनसाधारण की निर्धनता ने उसे अत्यधिक द्रवित भी किया था।
  • दरबार की शान-शौक़त तथा विशाल सेना का ख़र्च निकालने के लिए प्रजा पर करों का भारी बोझ लाद दिया जाता था।
  • इस विशाल सेना का उपयोग जनता को दबाये रखने के लिए किया जाता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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