"यंत्र": अवतरणों में अंतर
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**योग साधना के साथ प्रयुक्त किये जाने पर यंत्र-रेखाचित्र के विभिन्न अंग साधक को विभिन्न चरणों से होते हुए ज्ञान प्राप्ति कि ओर ले जाते हैं। | **योग साधना के साथ प्रयुक्त किये जाने पर यंत्र-रेखाचित्र के विभिन्न अंग साधक को विभिन्न चरणों से होते हुए ज्ञान प्राप्ति कि ओर ले जाते हैं। | ||
*भगवती शक्ति की आनुष्ठानिक पूजा में प्रयुक्त एक विशिष्ट यंत्र, श्रीयंत्र है, जो श्रीचक्र भी कहलाता है, यह नौ त्रिकोणों से बना होता हैः पांच नीचे कि ओर अभिमुख होते हैं और कहा जाता है कि योनि का प्रतिनिधित्व करते हैं, समझा जाता हैं कि इसमें एक गत्यात्मक संयोजन द्वारा समस्त ब्रह्मांडीय अस्तित्व की अभिव्यक्ति बिंदु से चिह्नित केंन्द्र से शुरू होकर वहीं पर खत्म होती है। | *भगवती शक्ति की आनुष्ठानिक पूजा में प्रयुक्त एक विशिष्ट यंत्र, श्रीयंत्र है, जो श्रीचक्र भी कहलाता है, यह नौ त्रिकोणों से बना होता हैः पांच नीचे कि ओर अभिमुख होते हैं और कहा जाता है कि योनि का प्रतिनिधित्व करते हैं, समझा जाता हैं कि इसमें एक गत्यात्मक संयोजन द्वारा समस्त ब्रह्मांडीय अस्तित्व की अभिव्यक्ति बिंदु से चिह्नित केंन्द्र से शुरू होकर वहीं पर खत्म होती है। | ||
==शब्द संदर्भ== | |||
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|हिन्दी=औज़ार, उपकरण, वह चीज बात या शक्ति जो किसी दूसरी चीज या बात को अच्छी तरह बाँध या रोककर नियंत्रित संघटित तथा सम्बन्द्ध रखती हो। जैसे—डोरी, ताला, फीता, बेड़ी, हथकड़ी आदि, तांत्रिक क्षेत्रों में रेखाओं आदि के द्वारा कोष्ठकों आदि के रूप में बनी हुई वे विशिष्ट आकृतियाँ जिनमें कुछ विशिष्ट शक्तियों का निवास माना जाता है और जिनका उपयोग जादू-टोने के लिए कुछ विशिष्ट प्रभाव या फल उत्पन्न करने के लिए होता है। उक्त प्रकार के कोष्ठकों का वह रूप जो नाश, अनिष्ट आदि से रक्षा के लिए धारण किया जाता है। | |हिन्दी=औज़ार, उपकरण, वह चीज बात या शक्ति जो किसी दूसरी चीज या बात को अच्छी तरह बाँध या रोककर नियंत्रित संघटित तथा सम्बन्द्ध रखती हो। जैसे—डोरी, ताला, फीता, बेड़ी, हथकड़ी आदि, तांत्रिक क्षेत्रों में रेखाओं आदि के द्वारा कोष्ठकों आदि के रूप में बनी हुई वे विशिष्ट आकृतियाँ जिनमें कुछ विशिष्ट शक्तियों का निवास माना जाता है और जिनका उपयोग जादू-टोने के लिए कुछ विशिष्ट प्रभाव या फल उत्पन्न करने के लिए होता है। उक्त प्रकार के कोष्ठकों का वह रूप जो नाश, अनिष्ट आदि से रक्षा के लिए धारण किया जाता है। |
07:34, 28 अक्टूबर 2010 का अवतरण
- यंत्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है उपकरण।
- तांत्रिक हिन्दू धर्म, वज्रयान एवं बौद्ध धर्म में ध्यान के लिए सहायक रेखाचित्र, इसके अधिक व्यापक एवं चित्रीय स्वरूप को मंडल कहते हैं।
- यंत्र विभिन्न प्रकार के होते हैं:-
- अनुष्ठान के बाद नष्ट कर दिये जाने वाले,
- धरती या कागज पर खींचे गए यंत्रों से लेकर पत्थर या धातु पर उत्कीर्ण,
- मंदिरों में पाए जाने वाले यंत्रों तक,
- योग साधना के साथ प्रयुक्त किये जाने पर यंत्र-रेखाचित्र के विभिन्न अंग साधक को विभिन्न चरणों से होते हुए ज्ञान प्राप्ति कि ओर ले जाते हैं।
- भगवती शक्ति की आनुष्ठानिक पूजा में प्रयुक्त एक विशिष्ट यंत्र, श्रीयंत्र है, जो श्रीचक्र भी कहलाता है, यह नौ त्रिकोणों से बना होता हैः पांच नीचे कि ओर अभिमुख होते हैं और कहा जाता है कि योनि का प्रतिनिधित्व करते हैं, समझा जाता हैं कि इसमें एक गत्यात्मक संयोजन द्वारा समस्त ब्रह्मांडीय अस्तित्व की अभिव्यक्ति बिंदु से चिह्नित केंन्द्र से शुरू होकर वहीं पर खत्म होती है।
शब्द संदर्भ
हिन्दी | औज़ार, उपकरण, वह चीज बात या शक्ति जो किसी दूसरी चीज या बात को अच्छी तरह बाँध या रोककर नियंत्रित संघटित तथा सम्बन्द्ध रखती हो। जैसे—डोरी, ताला, फीता, बेड़ी, हथकड़ी आदि, तांत्रिक क्षेत्रों में रेखाओं आदि के द्वारा कोष्ठकों आदि के रूप में बनी हुई वे विशिष्ट आकृतियाँ जिनमें कुछ विशिष्ट शक्तियों का निवास माना जाता है और जिनका उपयोग जादू-टोने के लिए कुछ विशिष्ट प्रभाव या फल उत्पन्न करने के लिए होता है। उक्त प्रकार के कोष्ठकों का वह रूप जो नाश, अनिष्ट आदि से रक्षा के लिए धारण किया जाता है। | ||||||
-व्याकरण | पुल्लिग [संस्कृत √यम् (निवृत्ति)+अच्] | ||||||
-उदाहरण (शब्द प्रयोग) |
प्राचीन भारत में शल्य चिकित्सा में काम आने वाला ऐसा उपकरण जिसमें धार न हो अथवा नाम मात्र की भुथरी धार हो। जैसे—नस पकड़ने की सँड़सी, हडडी तोड़ने की हथौड़ी आदि। (शस्त्र से भिन्न) विशेष प्रकार से बना हुआ कोई ऐसा उपकरण जो किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए अथवा कोई चीज बनाने के लिए काम आता हो। | ||||||
-विशेष | आजकल लोहे आदि का बना हुआ वह उपकरण जिसमें अनेक प्रकार के कल-पुरजे हों और जो बहुत सी चीजें बनाने के लिए एक साथ विशेष युक्ति से काम में लाया जाता हो। | ||||||
-विलोम | |||||||
-पर्यायवाची | औजार, कल, मशीन) जैसे—कपडे बुनने या कुएँ से पानी निकालने का यंत्र, छापे का यंत्र आदि, किसी प्रकार का बाजा, वाद्य, बाजों के द्वारा होनेवाला संगीत, बीन या वीणा नाम का बाजा, जंतर जैसे—तिजारी या चौथिया ज्वर दूर करने का यंत्र, किसी को वश में करने का यंत्र | ||||||
संस्कृत | [यंत्र्+ अच्] जो नियंत्रण करता है, या जो कसता है, थूणी, खंभा | ||||||
अन्य ग्रंथ | |||||||
संबंधित शब्द | |||||||
संबंधित लेख | |||||||
अन्य भाषाओं मे | |||||||
भाषा | असमिया | उड़िया | उर्दू | कन्नड़ | कश्मीरी | कोंकणी | गुजराती |
शब्द | सरंजाम | जंत्र | औज़ार (आला) | यंत्र | यंथुर | यंत्र | |
भाषा | डोगरी | तमिल | तेलुगु | नेपाली | पंजाबी | बांग्ला | बोडो |
शब्द | इयन्तिरम्, करूवि | यंत्रमु | यंतर | यंत्र | |||
भाषा | मणिपुरी | मराठी | मलयालम | मैथिली | संथाली | सिंधी | अंग्रेज़ी |
शब्द | यंत्र | यंत्र | यंत्रु, ओज़ारु | Equipment |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ