"निष्क्रमण संस्कार": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 7: पंक्ति 7:


{{लेख प्रगति  
{{लेख प्रगति  
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=  
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=  
|माध्यमिक=  
|पूर्णता=  
|पूर्णता=  
|शोध=
|शोध=
}}==संबंधित लेख==
}}
==संबंधित लेख==
{{हिन्दू धर्म संस्कार}}
{{हिन्दू धर्म संस्कार}}
__INDEX__[[Category:हिन्दू_संस्कार]]
__INDEX__[[Category:हिन्दू_संस्कार]]
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]

05:29, 2 नवम्बर 2010 का अवतरण

  • हिन्दू धर्म संस्कारों में निष्क्रमण संस्कार षष्ठम संस्कार है।
  • इसमें बालक को घर के भीतर से बाहर निकालने को निष्क्रमण कहते हैं।
  • इसमें बालक को सूर्य का दर्शन कराया जाता है।
  • बच्चे के पैदा होते ही उसे सूर्य के प्रकाश में नहीं लाना चाहिये।
  • इससे बच्चे की आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • इसलिये जब बालक की आँखें तथा शरीर कुछ पुष्ट बन जाये, तब इस संस्कार को करना चाहिये।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख