"शुद्धाद्वैतवाद": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "{{Menu}}" to "")
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
==शुद्धाद्वैतवाद==
==शुद्धाद्वैतवाद==
भक्ति का एक संप्रदाय जिसकी स्थापना महाप्रभु [[वल्लभाचार्य]] ने की थी। इसे '[[वल्लभ संप्रदाय]]' या 'वल्लभ मत' भी कहते हैं। पुष्टिमार्ग के तीन प्रमुख अंग हैं-
भक्ति का एक संप्रदाय जिसकी स्थापना महाप्रभु [[वल्लभाचार्य]] ने की थी। इसे '[[वल्लभ संप्रदाय]]' या 'वल्लभ मत' भी कहते हैं। पुष्टिमार्ग के तीन प्रमुख अंग हैं-
पंक्ति 7: पंक्ति 6:
वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया। जो भक्त साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है।
वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया। जो भक्त साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है।
===देखें:- [[वल्लभ संप्रदाय]]===
===देखें:- [[वल्लभ संप्रदाय]]===
[[Category: कोश]]
 
[[Category:धर्म-संप्रदाय]]
[[Category:हिन्दू धर्म]]
[[Category:दर्शन]]
[[Category:धर्म कोश]]
 
__INDEX__
__INDEX__

13:26, 30 मार्च 2010 का अवतरण

शुद्धाद्वैतवाद

भक्ति का एक संप्रदाय जिसकी स्थापना महाप्रभु वल्लभाचार्य ने की थी। इसे 'वल्लभ संप्रदाय' या 'वल्लभ मत' भी कहते हैं। पुष्टिमार्ग के तीन प्रमुख अंग हैं-

  1. ब्रह्मवाद,
  2. आत्मनिवेदन और
  3. भगवत्सेवा।

वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया। जो भक्त साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है।

देखें:- वल्लभ संप्रदाय