"भारतकोश:अभ्यास पन्ना3": अवतरणों में अंतर
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{ | {सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य भाषा है? | ||
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+ | + देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात् पुरानी हिन्दी | ||
- | - प्राकृत भाषा | ||
- | - अवहट्ठ भाषा | ||
- | - [[पालि भाषा]] | ||
{ | {अपभ्रंश भाषा के प्रथम व्याकरणाचार्य थे? | ||
|type="[]"} | |type="[]"} | ||
+ | - [[पाणिनि]] | ||
- | - [[कात्यायन]] | ||
- | + [[हेमचन्द्र]] | ||
- | - [[पतंजलि]] | ||
{'जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सार। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥' इस दोहे के रचनाकार का नाम है? | |||
|type="[]"} | |||
- स्वयभू | |||
+ [[देवसेन]] | |||
- पुष्यदन्त | |||
- कनकामर | |||
{प्रादेशिक बोलियाँ के साथ [[ब्रज]] या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया? | |||
|type="[]"} | |||
- डिंगल भाषा | |||
- मेवाड़ी भाषा | |||
- मारवाड़ी भाषा | |||
+ पिंगल भाषा | |||
{अपभ्रंश के योग से [[राजस्थानी भाषा]] का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है? | |||
|type="[]"} | |||
- पिंगल भाषा | |||
+ डिंगल भाषा | |||
- मेवाड़ी भाषा | |||
- बाँगरु भाषा | |||
=====अपभ्रंश के योग से [[राजस्थानी भाषा]] का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है?===== | =====अपभ्रंश के योग से [[राजस्थानी भाषा]] का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है?===== | ||
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11:28, 22 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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