"हिन्दी सामान्य ज्ञान 4": अवतरणों में अंतर
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{'लहरे व्योम चूमती उठती। चपलाएं असंख्य नचती।' पंक्ति जयशंकर प्रसाद के किस रचना का अंश है? | {'लहरे व्योम चूमती उठती। चपलाएं असंख्य नचती।' पंक्ति [[जयशंकर प्रसाद]] के किस रचना का अंश है? | ||
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-लहर | -लहर | ||
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-[[सुमित्रानंदन पंत]] | -[[सुमित्रानंदन पंत]] | ||
-[[महादेवी वर्मा]] | -[[महादेवी वर्मा]] | ||
||महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]] | ||महाकवि [[जयशंकर प्रसाद]] (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं? | {'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं? | ||
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-ओ रहस्य | -ओ रहस्य | ||
{'अब पहुँची चपला बीच धार। छिप गया चाँदनी का कगार।।' पंक्ति सुमित्रानंदन पंत की किस कविता का अंश है? | {'अब पहुँची चपला बीच धार। छिप गया चाँदनी का कगार।।' पंक्ति [[सुमित्रानंदन पंत]] की किस कविता का अंश है? | ||
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-परिवर्तन | -परिवर्तन | ||
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-[[तुलसीदास]] और सरोजस्मृति | -[[तुलसीदास]] और सरोजस्मृति | ||
-तुलसीदास और बादल | -[[तुलसीदास]] और बादल | ||
-सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर | -सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर | ||
+जागो फिर एक बार और तुलसीदास | +जागो फिर एक बार और [[तुलसीदास]] | ||
{किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है? | {किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है? | ||
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-जीवनी साहित्य | -जीवनी साहित्य | ||
{'आदमी कितना स्वार्थी हो जाता है, जिसके लिए मरो, वही जान का दुश्मन हो जाता है।' यह कथन 'गोदान के किस पात्र का है? | {'आदमी कितना स्वार्थी हो जाता है, जिसके लिए मरो, वही जान का दुश्मन हो जाता है।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र का है? | ||
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-मेहता | -मेहता | ||
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-खन्ना | -खन्ना | ||
{'पवित्रता की माप है, मलिनता, सुख का आलोचना है. दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है? | {'पवित्रता की माप है, मलिनता, सुख का आलोचना है. दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन '[[स्कन्दगुप्त]]' नाटक के किस पात्र का है? | ||
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-विजया | -विजया | ||
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-प्रपंचबुद्धि | -प्रपंचबुद्धि | ||
{'मनुष्य अपूर्ण है | {'मनुष्य अपूर्ण है, इसलिए सत्य का विकास जो उसके द्वारा होता है, अपूर्ण होता है. यही विकास का रहस्य है।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है? | ||
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+प्रख्यातकीर्ति | +प्रख्यातकीर्ति | ||
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{मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार लिखा है? | {मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार ने लिखा है? | ||
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-[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]] | -[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]] | ||
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-वृन्दावनलाल वर्मा | -वृन्दावनलाल वर्मा | ||
-रांगेय राघव | -रांगेय राघव | ||
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07:27, 25 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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