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; 1. सम्बन्धवाचक तथा प्राणिवाचक आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'ई' लगाकर अथवा अ या आ के स्थान पर 'ई' कर देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे- | |||
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; 4. किसी व्यवसाय अथवा पेशे का बोध कराने वाली पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में भी 'इन' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे- | |||
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; 5. कुछ प्राणिवाचक पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'नी' जोड़ देने से भी स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। | |||
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; 6. कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'आनी' जोड़ देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। | |||
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; 8. कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के स्त्रीलिंग पद पूर्णतया भिन्न होते हैं। | |||
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; 9. कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के पहले 'मादा' लगाकर स्त्रीलिंग पद बनाये जाते हैं। | |||
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भेड़िया – मादा भेड़िया, | |||
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; 10. कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के पहले 'नर' लगाकर पुल्लिंग पद भी बनाये जाते हैं। | |||
<blockquote>जैसे- मछली – नर मछली, | |||
छिपकली – नर छिपकली, | |||
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; 11. कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के आगे 'आ' जोड़कर भी पुल्लिंग पद बना लिये जाते हैं। | |||
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मौसी – मौसा, | |||
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*जिन पदों पर साधारणतया पुरुष वर्ग ही आसीन होता रहा है, उनके सूचक संज्ञा पदों को पुल्लिंग ही माना जाता है, चाहे उन पर स्त्रियाँ ही आसीन क्यों न हो। | *जिन पदों पर साधारणतया पुरुष वर्ग ही आसीन होता रहा है, उनके सूचक संज्ञा पदों को पुल्लिंग ही माना जाता है, चाहे उन पर स्त्रियाँ ही आसीन क्यों न हो। | ||
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पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम
- 1. सम्बन्धवाचक तथा प्राणिवाचक आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'ई' लगाकर अथवा अ या आ के स्थान पर 'ई' कर देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
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- 2. कुछ आकारान्त पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'इया' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं।
जैसे- बूढ़ा – बुढ़िया,
बेटा – बिटिया, कुत्ता – कुतिया,
चूहा – चुहिया
- 3. कुछ प्राणिवाचक संज्ञाओं के अन्त में 'इन' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं।
जैसे- साँप – साँपिन,
बाघ – बाघिन, नाग – नागिन,
नाती – नातिन
- 4. किसी व्यवसाय अथवा पेशे का बोध कराने वाली पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में भी 'इन' लगा देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं। जैसे-
जैसे- माली – मालिन,
नाई – नाइन, चमार – चमारिन,
लुहार – लुहारिन
- 5. कुछ प्राणिवाचक पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'नी' जोड़ देने से भी स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं।
जैसे- सिंह – सिंहनी,
शेर – शेरनी, ऊँट – ऊँटनी,
मोर – मोरनी
- 6. कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'आनी' जोड़ देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं।
जैसे- सेठ – सेठानी,
चौधरी – चौधरानी, देवर – देवरानी,
नौकर – नौकरानी
- 7. कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के अन्त में 'आइन' जोड़ देने से स्त्रीलिंग पद बन जाते हैं।
जैसे- पंडित – पंडिताइन,
ठाकुर – ठकुराइन,
चौधरी – चौधराइन
- 8. कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के स्त्रीलिंग पद पूर्णतया भिन्न होते हैं।
जैसे- पुरुष – स्त्री,
मर्द – औरत, पिता – माता,
बाप – माँ
- 9. कुछ पुल्लिंग संज्ञाओं के पहले 'मादा' लगाकर स्त्रीलिंग पद बनाये जाते हैं।
जैसे- भालू – मादा भालू,
भेड़िया – मादा भेड़िया,
खरगोश – मादा खदगोश
- 10. कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के पहले 'नर' लगाकर पुल्लिंग पद भी बनाये जाते हैं।
जैसे- मछली – नर मछली,
छिपकली – नर छिपकली,
चील – नर चील
- 11. कुछ स्त्रीलिंग संज्ञाओं के आगे 'आ' जोड़कर भी पुल्लिंग पद बना लिये जाते हैं।
जैसे- भैंस – भैंसा,
भेड़ – भेड़ा, मौसी – मौसा,
जीजी – जीजा
विशेष
- जिन पदों पर साधारणतया पुरुष वर्ग ही आसीन होता रहा है, उनके सूचक संज्ञा पदों को पुल्लिंग ही माना जाता है, चाहे उन पर स्त्रियाँ ही आसीन क्यों न हो।
- उदाहरण
राष्ट्रपति, राज्यपाल, मंत्री, ज़िलाधिकारी, सिपाही, पटवारी आदि।
- जाति, उपजाति, देश, देशवासी, सागर, वार और ग्रह के सूचक शब्द पुल्लिंग होते हैं।
- जाति
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि।
- उपजाति
मिश्र, पांडेय, कायस्थ, खन्ना, कपूर, अग्रवाल आदि।
- देश
भारत, जापान, चीन, रूस, अमेरिका आदि।
- देशवासी
भारतीय, चीनी, जापानी, रूसी, बर्मी आदि।
- सागर
हिन्द, प्रशान्त, लाल, काला, भूमध्य आदि।
- वार
- ग्रह
- पृथ्वी, तिथि, राशि, नदी और भाषा के सूचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं।
- पृथ्वी
धरती, मही, वसुन्धरा।
- तिथि
परिवा, दौज, तीज, चौथ, अमावस्या, पूर्णिमा।
- राशि
कुम्भ, मीन, तुला, सिंह।
- नदी
- भाषा
हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, मराठी, गुजराती।
- अंगवाचक शब्द व्यवहार के अनुसार कुछ पुल्लिंग और कुछ स्त्रीलिंग माने जाते हैं। जैसे-
- पुल्लिंग
हाथ, पैर, मस्तक, सिर, बाल, पेट, घुटना, पलक, होठ, दाँत, कण्ठ, गाल, पंजा, अंगूठा, नाखून।
- स्त्रीलिंग
नाक, आँख, जीभ, पुतली, छाती, पीट, जाँघ, गुदा, एड़ी, हथेली, कुहनी, टाँग, कमर, उँगली, कलाई।
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