आजीवक
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
- आजीवक सम्प्रदाय की स्थापना गोशाला ने की थी, जो गौतम बुद्ध का समकालीन था।
- उनके विचार 'सामंज फल सुत्त' तथा 'भगवतीसूत्र' में मिलते हैं।
- आजीवक पुरुषार्थ में विश्वास नहीं करते थे।
- वे नियति को मनुष्य की सभी अवस्थाओं के लिए उत्तरदायी ठहराते थे।
- उनके नियतिवाद में पुरुष के बल या वीर्य (पराक्रम) का कोई स्थान नहीं था।
- वे पाप या पुण्य का कोई हेतु या कारण नहीं मानते थे।
- आजीवकों का सम्प्रदाय कभी इतना विशाल नहीं हुआ कि राजनीति पर उसका कोई प्रभाव पड़ता, हालाँकि अशोक के काल में उनका समुदाय महत्वपूर्ण माना जाता था।
- अशोक के पोते ने गया के निकट बराबर पहाड़ियों में निर्मित तीन ग़ुफ़ा मन्दिर आजीवकों को दान कर दिये थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ