जनश्रुतियों और लेखों के आधार पर हम अशोक के निम्नलिखित रिश्तेदारों का अस्तित्व पाते हैं-
सम्राट अशोक का परिवार[1]
क्रमांक
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रिश्ता या संबंध
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नाम एवं विवरण
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1-
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पिता
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बिंदुसार, जिसकी कई रानियाँ थीं।
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2-
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माता
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उत्तरी परम्परा में सुभद्रांगी और दक्षिण परम्परा में धर्मा।
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3-
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भाई
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- सुमन या सुसीम - सबसे बड़ा परंतु सौतेला भाई
- तिष्य - सहोदर और सबसे छोटा भाई, उत्तरी परम्परा में इसका नाम वीताशोक या विगताशोक भी मिलता है। युवांचुंग इसका नाम महेंद्र बताता है और अन्य चीनी ग्रंथों में सुदत्त और सुगात्र नाम भी आये हैं।
- उपरि उल्लिखित 'थेरगाथा टीका' के अनुसार वीताशोक।
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4-
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पत्नियाँ
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- देवी- पूरा नाम 'वेदिस महादेवी शाक्यकुमारी'
- कारुवाकी-लेखों में द्वितीय देवी तीवल्माता
- असंधिमित्रा- अग्रमहिषी
- पद्मावती[2]
- तिष्यरक्षिता।
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5-
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पुत्र
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- देवी का पुत्र महेंद्र
- कारुवाकी का पुत्र तीवर
- पद्मावती का पुत्र कुणाल[3]अपर नाम धर्मविवर्धन
- जलौक- राजतरंगिणी में उल्लिखित। लेखों में दूर के चार प्रांतों के वाइसराय के रूप में चार पुत्रों का उल्लेख है, इन्हें 'कुमार' या 'आर्यपुत्र' कहा गया है। ये 'दालकों' से भिन्न थे। 'दालक' माताओं की निम्न स्थिति के अनुरूप पुत्रों की संज्ञा थी। [4]
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6-
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पुत्रियाँ व जामाता (दामाद)
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- देवी की पुत्री संघमित्रा और संघमित्रा का पति अग्निब्रह्मा
- देवी की पुत्री चारूमती और चारूमित्रा का पति देवपाल क्षत्रिय।
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7-
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पोते व नाती
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- दशरथ, जो राजा बना
- कुणाल का पुत्र संप्रति
- संघमित्रा का पुत्र सुमन
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- ↑
मुखर्जी, राधाकुमुद अशोक (हिंदी)। नई दिल्ली: मोतीलाल बनारसीदास, 7-8।
- ↑ दिव्यावदान अध्याय 27, के अनुसार अशोक ने अपनी रानी पद्मावती में उत्पन्न अपने नवजात पुत्र को धर्मविवर्धन नाम दिया था। पर जैसा उसके साथ गये मंत्रियों ने कहा था शिशु की आँखें हिमालय के कुणाल पक्षी की तरह थीं। इसलिए अशोक ने उसे कुणाल कहना शुरू कर दिया था।
- ↑ दिव्यावदान और फाहियान के अनुसार
- ↑ (स्तम्भ लेख 7 के अनुसार)