शंबल

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‘शंबलग्रामप्रधानब्राह्मणस्यविष्णुयशसोगृहेऽष्टगुणार्द्धिसमन्वितः कल्किरूपी जगत्यात्रावतीर्य स्वधर्मेषु चाखिलमेव संस्थापयिष्यति’।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुपुराण 4,24,98

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