नगांव
नगांव पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य की कलांग नदी के तट पर स्थित एक नगर है। यह कृषि व्यापार का केंद्र है। नगांव में 'गुवाहाटी विश्वविद्यालय' से संबद्ध कई होमोयोपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय स्थित हैं। नगर के पांच कि.मी. दक्षिण-पश्चिम में संचोआ में एक रेल जंक्शन हैं। नगांव के आस-पास का क्षेत्र ब्रह्मपुत्र नदी घाटी का एक हिस्सा है और इसमें कई दलदल और झीलें हैं, जिनमें से कई मत्स्यपालन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। इसके इर्द-गिर्द के जंगल सागौन व साल की इमारती लकड़ियाँ और लाख आदि उपलब्ध कराते हैं। कृषि उत्पादों में चावल, जूट, चाय और रेशम आदि शामिल हैं।
भौगोलिक संरचना
नगांव भारत के असम राज्य का नगर और ज़िला है। इसका क्षेत्रफल 2,167 वर्ग मील है। इसके उत्तर में दर्रे, पूर्व एवं दक्षिण में संयुक्त मिकिर और उत्तरी कछार पहाड़ियाँ, पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम में क्रमश: उत्तरी कछार और जयंतिया पहाड़ियाँ एवं दर्रे हैं। यह नगर पहाड़ी है। इसके किनारे की ढालें खड़ी तथा जंगलों से युक्त हैं। यहाँ की प्रमुख नदी ब्रह्मपुत्र है, जो उत्तरी सीमा पर बहती है। इसके अतिरिक्त अन्य कई छोटी नदियाँ भी यहाँ बहती हैं। ब्रह्मपुत्र के उत्तर में हिमखंडित हिमालय दिखलाई पड़ता है। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे 1,500 फुट ऊँची कामाख्या पहाड़ी है, जिसकी चोटी पर कामाख्या देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। ज़िले का मैदानी भाग जलोढ़ मिट्टी से बना है।
मौसम
जंगलों में अनेक जानवर पाए जाते हैं। नवंबर से लेकर मध्य मार्च तक का मौसम ठंडा तथा आनन्द दायक रहता है। वर्ष के शेष भाग में जलवायु गरम रहती है। यहाँ गरमी में दिन का अत्यधिक तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुँच जाता है, किंतु वायु में नमी की मात्रा अधिक रहती है। वर्षा का वार्षिक औसत भी अच्छा रहता है।
कृषि
धान यहाँ की मुख्य उपज है। इसके अतिरिक्त चाय, गन्ना, तिल, कपास की भी खेती होती है। यहाँ थोड़ी मात्रा में कच्चा लोहा, चूने का पत्थर तथा कोयले का भी खनन होता है।
उद्योग
चाय उद्योग के अतिरिक्त यहाँ अन्य कोई उन्नतिशील उद्योग नहीं है, केवल कुछ घरेलू उद्योग धंधे हैं, जिनमें सूती एवं रेशमी कपड़े बुनना, आभूषणों के काम, चटाइयाँ तथा टोकरियाँ बनाना, पीतल के बरतन बनाना आदि मुख्य हैं। यहाँ एक प्रकार की पत्तियों से टोपियाँ बनाई जाती हैं। चाय, तिलहन, कपास, लाख, बाँस की चटाइयाँ इत्यादि यहाँ से बाहर जाती हैं तथा चावल, चना एवं अन्य अनाज, चीनी, नमक तथा मिट्टी का एवं अन्य तेल, घी आदि बाहर से यहाँ आते हैं।
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