झूठ बराबर तप नहीं, साँच बराबर पाप जाके हिरदे साँच है, बैठा-बैठा टाप बैठा-बैठा टाप, देख लो लाला झूठा 'सत्यमेव जयते' को दिखला रहा अँगूठा कहँ ‘काका ' कवि, इसके सिवा उपाय न दूजा जैसा पाओ पात्र, करो वैसी ही पूजा