आहार्य
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हिन्दी | खाने योग्य, लेने, लाने या हरण करने योग्य, भक्ष्य, खाद्य जैसे- छह प्रकार के आहार्य पदार्थ, नाटयशास्त्र अभिनव का एक प्रकार, ग्रहण करने योग्य, काव्यशास्त्र में अनुभाव का एक प्रकार। |
-व्याकरण | धातु, विशेषण, पुल्लिंग |
-उदाहरण | वेश-रचना और श्रृंगार आदि से जो अनुकरण होता है, उसे आहार्य कहते हैं। |
-विशेष | बाह्य-आहार्यशोभारहितैरमयैः-[1], अभिनय में आंगिक, वाचिक, सात्विक और आहार्य का नियमानुसार प्रयोग किया जाता है। [2] अभिनव में आहार्य का अर्थ वेश रचना व श्रृंगार आदि के अनुकरण से होता है। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | अभोज्य, खाद्य, ग्राह्य, पथ्य, भोग्य, भोज्य, सुपथ्य, सेव्य, खाद्य आहार। |
संस्कृत | (संभाव्य कृदन्त तव्यत्) [आ+ह्र+ण्यत्], ग्रहण करने या पकड़ने के योग्य, लाने या ले आने के योग्य, कृत्रिम, नैमित्तिक, [3], [4] पर मल्लि. भी, साभिप्राय, अभिप्रेत, श्रृंगार या आभूषा से संप्रेषित या प्रभावित, अभिनय के चार प्रकारों में से एक |
अन्य ग्रंथ | श्रीमदभागवत महापुराण में अनेकों स्थानों पर नृत्त- नृत्य का विस्तृत विवरण पाया गया है, साथ ही संगीत वाद्यों का और आहार्य एवं अभिनय एवं नाट्य का भी उदाहरण मिलता है।[5] |
संबंधित शब्द | |
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टीका टिप्पणी व संदर्भ
- ↑ भट्टिकाव्य 2/14
- ↑ ब्रजभाषा की नाट्य परंपरा (हिन्दी) (एच.टी.एम) गोपाल प्रसाद व्यास। अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2010।
- ↑ न रम्यमाहार्यमपेक्षते गुणम्-किरातार्जुनीय 4/23
- ↑ कु. 7/23
- ↑ भारतीय नृत्य का इतिहास (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2010।