भोपाल

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भोपाल शहर मध्य प्रदेश राज्य के मध्य भारत में स्थित है। भूतपूर्व रजवाड़े भोपाल का एक हिस्सा यह शहर मालवा पठार की उपजाऊ समतल भूमि पर स्थित है। भोपाल शहर का नाम राजा भोज द्वारा शहर की सीमाओं के अंदर निर्मित एक ताल, भोज ताल से लिया गया है। एक और मत यह है कि यह 'भोज पाल' या 'भोज के बांध' पर आधारित है। जिसने भोपाल शहर के ताल को उत्पन्न किया। भोपाल शहर 1722 से अस्तित्व में है, जब दोस्त मुहम्मद ने मौजूदा ताल की उत्तरी दिशा में फ़तेहगढ़ क़िले का निर्माण प्रारंभ किया। किसी भी अतिरेकी बहाव को नियंत्रित करने के लिए ऊपरी ताल (बड़ा तालाब) और निचला ताल एक जलसेतु से जुड़े हैं।

स्थापना

बादशाह अकबर ने रानी दुर्गावती के गोंडवाना राज्य से अलग करके जागीर बना दिया। कुछ काल तक यह एक नवाब के अधीन रहा था और उसके पश्चात् 1761 ई॰ के बाद वह अर्ध-स्वतंत्न हो गया। लेकिन 1817 ई॰ मे इसका शासक अंग्रेज़ो के साथ सहायक संधि करने के लिए बाध्य हुआ। 1948 ई॰ में भोपाल रियासत भारतीय गणराज्य में मिला ली गयी और संप्रति यह मध्य प्रदेश की राजधानी है।

इतिहास

भोपाल ब्रिटिश साम्राज्य का दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम प्रदेश था। इसके शासक ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठावान बने रहे और मराठों के साथ कई युद्ध भी लड़े। 1818 में स्थापित भोपाल एजेंसी ब्रिटीश सेंट्रल इंडिया एजेंसी का एक उपखंड था, जो पूर्व सामंती प्रदेशों राजगढ़, नरसिंहगढ़ और दूसरी कई रियासतों को समाविष्ट किए हुए था। आज़ादी के बाद भी भोपाल भारत की एक पृथक रियासत बना रहा और 1949 में इसे भारत में मिला लिया गया। 1952 में नवाबों का निर्बाध शासन समाप्त हो गया और एक प्रधान आयुक्त का राज्य स्थापित किया गया। 1956 में यह मध्य प्रदेश राज्य के साथ मिल गया।

यातायात और परिवहन

वायु मार्ग

भोपाल एयरपोर्ट ओल्‍ड सिटी से 12 किमी. की दूरी पर है। दिल्ली, मुंबई और इंदौर से यहाँ के लिए इंडियन एयरलाइन्‍स की नियमित हवाई जहाज़ हैं। ग्वालियर से यहाँ के लिए सप्‍ताह में चार दिन हवाई जहाज़ हैं।

रेल मार्ग

भोपाल का रेलवे स्‍टेशन देश के विविध रेलवे स्‍टेशनों से जुड़ा हुआ है। यह रेलवे स्‍टेशन दिल्‍ली - चैन्नई रूट पर पडता है। शताब्‍दी एक्‍सप्रेस भोपाल को दिल्‍ली से सीधा जोड़ती है। साथ ही यह शहर मुम्‍बई, आगरा, ग्‍वालियर, झांसी, उज्‍जैन आदि शहरों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्‍यम से जुड़ा हुआ है।

सडक मार्ग

सांची, इंदौर, उज्‍जैन, खजुराहो, पंचमढ़ी, जबलपुर आदि शहरों से आसानी से सडक मार्ग से भोपाल पहुँचा जा सकता है। मध्‍य प्रदेश और पड़ोसी राज्‍यों के अनेक शहरों से भोपाल के लिए नियमित बसें चलती हैं।

उद्योग और व्यापार

भोपाल शहर ने व्यापार, वाणिज्य और उद्योग में तेज़ी से प्रगति की है। यह अनाज, तेल, किराना व लेखन-सामग्री का एक व्यापक थोक और खुदरा केंद्र है। लगभग एक-तिहाई जनता श्रमिकों के रूप में गिनी जाती है। नौ औद्योगिक, श्रेणियों में से श्रमिक मुख्यतः अन्य सेवाओं, व्यापार, वाणिज्य, ग़ैर घरेलू विनिर्माण, निर्माण और परिवहन व संचार में संलग्न हैं। भोपाल में मुख्य उद्योगों में कपास और आटा मिलें, वस्त्र बुनाई, चित्रकारी और ट्रांसफ़ॉर्मर, स्विचगियर, कर्षण मोटर और दूसरे भारी विद्युत उपकरणों के अतिरिक्त दियासलाई, लाख और खेल सामग्री का निर्माण भी सम्मिलित है। बटुवा निर्माण, ज़री कसीदाकारी, काष्ठ और लौह फ़र्नीचर का उत्पादन, हलवाई और नानाबाई की दुकान व बीड़ी निर्माण लघु उद्योग में शामिल हैं।

शिक्षण संस्थान

साक्षरता दर 60 प्रतिशत है। शहर में कला, विज्ञान एवं वाणिज्य के कई सरकारी व निजी शैक्षिक संस्थान और स्नातकोत्तर महाविद्यालय हैं। 1903 में नगर पालिका के रूप में गठित भोपाल में कई अस्पताल हैं और यह भोपाल विध्वविद्यालय (1970 में स्थापित) का मुख्यालय है।

जनसंख्या

भोपाल की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) कुल 14,33,675 है।

पर्यटन

भोपाल पर्यटन मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थानों में से बहुत महत्व पुर्ण है। भोपाल शहर प्राकृतिक सुन्दरता और सांस्कृतिक विरासत के साथ साथ आधुनिक शहर के सभी आयाम प्रस्तुत करता है। प्राचीनता के वैभव से मन भर जाए और अगर मध्य युगीन भारत को देखने का मन करे तो आप भोपाल शहर में घूमना शुरू कर सकते है क्योंकि भोपल ने अपने अन्दर अज भी नवाबी तहजीब और नवानियत को कैद कर रखा है। मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल का दौरा मध्‍य कालीन नवाबों के वैभव की याद दिला देता है। भोपाल और आसपास के दर्शनीय स्थानों-

लक्ष्मीनारायण मंदिर

लक्ष्मीनारायण मंदिर भोपाल में बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों तरफ संगमरमर से बने मंदिरों में शिव और हनुमान की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित है।

मोती मस्जिद

मोती मस्जिद को कदसिया बेगम की बेटी सिकंदर जहाँ बेगम ने 1860 ई. में बनवाया था। उनका घरेलू नाम मोती बीबी था और उन्हीं के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम मोती मस्जिद रखा गया।

ताज-उल-मस्जिद

ताज-उल-मस्जिद भोपाल की सबसे बड़ी मस्जिद है और ताज-उल-मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। ताज-उल-मस्जिद का अर्थ है 'मस्जिदों का ताज'।

शौकत महल

शौकत महल का निर्माण भोपाल राज्य की प्रथम महिला शासिका नवाब कुदसिया बेगम ने कराया था। शौकत महल इस्‍लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है।

सदर मंजिल

सदर मंजिल शौकत महल के निकट बनी हुई है। वर्ष 1898 ई. में सदर मंजिल की शानदार इमारत का निर्माण तत्कालीन नवाब शाहजहां बेगम द्वारा कराया गया था।

गोहर महल

गौहर महल बड़े तालाब के किनारे व्ही.आई.पी. रोड पर स्थित है। शौकत महल के पास बड़ी झील के किनारे स्थित वास्तुकला का यह खूबसूरत नमूना कुदसिया बेगम के काल का है।

पुरातात्विक संग्रहालय

मध्य प्रदेश के विदिशा ज़िले के सिरोंज में पुरातात्विक धरोहर को संरक्षित करने के लिए स्थानीय संग्रहालय स्थापित किया गया है। बनगंगा रोड पर स्थित पुरातात्विक संग्रहालय में मध्‍य प्रदेश के विभिन्‍न हिस्‍सों से कला के खूबसूरत नमूने और मूर्तियों को एकत्रित करके रखा गया है।

भारत भवन

भारत भवन, राष्‍ट्रीय प्रान्त मध्य प्रदेश में स्थित सबसे अनूठे राष्‍ट्रीय संस्‍थानों मे से है जोकि एक विविध कला संग्रहालय भी है| भारत भवन मुख्य रूप से यह प्रदर्शन कला और दृश्य कला का केंद्र है।

भीमबेटका गुफ़ाएँ

भोपाल से 46 किमी. दूर पर दक्षिण में भीमबेटका की गुफ़ाएँ मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है और इसी से इसका नाम भीमबैठका भी पड़ा गया। भीमबेटका गुफाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और भीमबेटका गुफ़ाएँ मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है।