मुम्बई
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मुंबई शहर, भूतपूर्व बंबई, महाराष्ट्र राज्य की राजधानी है। यह दक्षिण-पश्चिम भारत देश का वित्तीय व वाणिज्यिक केंद्र और अरब सागर में स्थित प्रमुख बंदरगाह है। मुंबई दुनिया के विशालतम व सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है। मुंबई एक प्राचीन बस्ती के स्थल पर बसा हुआ है और इसका नामकरण भगवान शंकर की पत्नी पार्वती के एक रूप, स्थानीय देवी मुंबा के नाम पर किया है। जिनका मंदिर उस स्थल पर था, जहाँ पर अब नगर का दक्षिण-पूर्वी हिस्सा अवस्थित है। मुंबई लंबे समय से भारत के सूती वस्त्र उद्योग के केंद्र के रूप में विख्यात रहा है, लेकिन अब यहाँ विविध निर्माण उद्योग भी हैं और इसके वाणिज्यिक व वित्तिय संस्थान सशक्त और सबल हैं। इस शहर में अधिकांश बड़े, विकासशील औद्योगिक नगरों की पुरानी समस्या वायु व जल प्रदूषण, झुग्गी बस्ती और अत्यधिक भीड़भाड़ मौजूद है। द्वीपीय अवस्थिति के कारण मुंबई का विस्तार सीमित है।
भौतिक एवं मानव भूगोल
नगर की स्थिति
मुंबई शहर प्रायद्विपीय स्थल पर बसा हुआ है, जो मूलतः पश्चिम भारत के कोंकण तट के पास स्थित सात द्वीपिकाओं से मिलकर बना है। 17 वीं शताब्दी से अपवाह व भूमि फिर से हासिल करने की परियोजनाओं और जलमार्गों व जल अवरोधकों के निर्माण के कारण ये द्वीपिकाएं मिलकर एक बड़े भूभाग का निर्माण करती हैं, जिसे बंबई द्वीप के नाम से जाना जाता था। इस द्वीप के पूर्व में मुंबई बंदरगाह का स्थिर जलक्षेत्र है। यह द्वीप निम्न मैदान से बना है, जिसका एक चौथाई हिस्सा समुद्र तल से भी नीचा है; इस मैदान के पूर्वी और पश्चिमी किनारों में निचली पहाड़ियों की दो समानांतर पर्वतश्रेणियाँ हैं। इनमें से लंबी पर्वतश्रेणी द्वारा सुदूर दक्षिण में निर्मित कोलाबा पॉइंट मुंबई बंदरगाह को खुले समुद्र से बचाता है। पश्चिमी पर्वतश्रेणी मालाबार हिल पर समुद्र तल से 55 मीटर की ऊँचाई पर समाप्त होती है, जो मुंबई की सबसे ऊँचे इलाकों में से एक है। इन दो पर्वत श्रेणियों के बीच पश्च खाड़ी (बैक बे) का छिछला विस्तार है। इस खाड़ी के शीर्ष और बंदरगाह के बीच कुछ ऊँची भूपट्टिकाओं पर दुर्ग स्थित है, मूलतः इसी के चारों ओर शहर का विस्तार हुआ। अब यहाँ मुख्यतः सार्वजनिक एवं वाणिज्यिक कार्यालय हैं। पश्च खाड़ी से उत्तर की ओर भूतल मध्यवर्ती मैदान की दिशा में ढलान वाली है। बंबई के सुदूर उत्तर में विशाल खारे दलदल हैं। पुराना शहर दक्षिण में कोलाबा से उत्तर में माहिम और्सायन तक लगभग 67 वर्ग किमी में फैला हुआ था। 1950 में सालगेट के विशाल द्वीप को जलमार्ग द्वारा जोड़कर मुख्य क्षेत्र में शामिल करके उत्तर की ओर बंबई का विस्तार किया गया। 1957 तक वृहद बंबई में कई उपनगरीय नगरपालिका क्षेत्रों और कुछ पड़ोसी गावों को शामिल कर लिया गया। उसके बाद से इस महानगर का विस्तार जारी है। 1970 के दशक के आरंभ में भीड़भाड़ और सघनता दूर करने के प्रयास के रूप में सालगेट द्वीप को मुंबई बंदरगाह के मुख्य जलक्षेत्र थाना क्रीक पर पुल बनाकर मुख्यभूमि से जोड़ दिया गया। मुंबई का प्राकृतिक सौंदर्य इस क्षेत्र के किसी अन्य शहर से बेहतर है। समुद्र से बंदरगाह में प्रवेश स्थान से एक विशाल दृश्य दिखाई देता है, जिसके किनारों पर मुख्यभूमि पर स्थित पश्चिमी घाट की पहाड़ियाँ हैं। बेशुमार छोटे जलयानों की सफेद पालों से चमकता द्वीपों से घिरा चौड़ा बंदरगाह जहाज़ों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, विशेषकर जब तटीय क्षेत्र पर तूफ़ान की स्थिति हो। बंदरगाह के द्वीपों में सबसे बड़ा एलीफ़ेटा है, जो छठी शताब्दी के गुफ़ा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
इस नगर में पाए जाने वाले सामान्य वृक्षों में नारियल, आम, इमली, और बरगद शामिल हैं। सालसेट द्वीप कभी बाघ, तेंदुआ, सियार और हिरन जैसे वन्य प्राणियों का आश्रय था, लेकिन अब ये प्राणी यहाँ नहीं पाये जाते। यहाँ के प्राणी जीवन में अब गाय, बैल, भेड़, बकरी और अन्य पालतू प्रजातियाँ हैं। यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों में गिद्ध, कबूतर, सारस और बत्तख शामिल हैं।
जलवायु
मुंबई की जलवायु गर्म और आर्द्र है। यहाँ चार ॠतुएं हैं। दिसंबर से फरवरी तक सर्दी और मार्च से मई तक गर्मी का महीना रहता है। दक्षिण-पश्चिम में मॉनसूनी हवाओं द्वारा होने वाली वर्षा जून से सितंबर तक होती है और इसके बाद उत्तर मॉनसून काल आता है, जो अक्टूबर-नवंबर तक रहता है। इस काल में मौसम फिर से गर्म हो जाता है। औसत मासिक तापमान मई में 33 डिग्री से॰ से जनवरी में 19 डिग्री से॰ तक होता है। औसत वार्षिक वर्षा 1,800 मिमी है, जिसमें से औसतन 610 मिमी॰ वर्षा सिर्फ़ जुलाई के महीने में होती है।
शहर की संरचना
मुंबई के पुराने हिस्से ज़्यादा निर्मित हैं, लेकिन अधिक समृद्ध क्षेत्रों, जैसे मालाबार हिल में कुछ हरियाली है। यहाँ कई खुले मैदान व पार्क हैं। मुंबई में लगातार शहरीकरण के इतिहास के कारण शहर के कई हिस्सों में झुग्गी बस्तियाँ बन गईं हैं। इस शहर में अनेक कारख़ानों, बढ़ते यातायात और निकट स्थित तेलशोधनशालाओं के कारण वायु एवं जल प्रदूषण ख़तरे के स्तर तक बढ़ गया है। शहर के दक्षिणी हिस्से में वित्तीय ज़िला (पुराने फ़ोर्ट बंबई के आसपास) स्थित है। सुदूर दक्षिण (कोलाबा के आसपास) और पश्चिम में नेताजी सुभाष चंद्र रोड (मॅरीन ड्राइव) तथा मालाबार हिल आवासी क्षेत्र हैं। फ़ोर्ट क्षेत्र के उत्तर में प्रमुख व्यापारिक ज़िला है, जो धीरे-धीरे वाणिज्यिक आवासीय क्षेत्र में शामिल हो रहा है। अधिकांश पुराने कारख़ाने इसी क्षेत्र में स्थित हैं। सुदूर उत्तर में आवासीय क्षेत्र हैं और उनके बाद हाल ही में विकसित औद्योगिक क्षेत्र और झुग्गी बस्तियों के इलाक़े हैं। यहाँ आवास मुख्यतः निजी स्वामित्व वाले हैं, हालाँकि सार्वजनिक वित्त निगमों के ज़रिये सरकार द्वारा निर्मित कुछ सार्वजनिक आवास भी हैं। मुंबई अत्यधिक भीड़भाड़ वाला नगर है और अत्यधिक समृद्ध लोगों के अलावा बाक़ी लोगों के आवास के लिए कमी रहती है। इसी कारण वाणिज्यिक और औद्योगिक उद्यमों को मध्य स्तरीय व्यावसायिक, तकनीकी या प्रबंधकीय कर्मचारियों को आकर्षित करने में लगातार परेशानी हो रही है। आंतरिक क्षेत्र से अकुशल श्रमिकों का लगातार अप्रवास हो रहा है और इस नगर में बेघर व निर्धन लोगों की संख्या बढ़ रही है। नगर के योजनाकार इसे रोकना चाहते हैं और उन्होंने उद्यमों को बंदरगाह के दूसरी ओर इससे लगे नगर नवी मुंबई में स्थापित करने का प्रयास किया है। इसके लिए नगर में औद्योगिक इकाइयों के विकास और पुरानी इकाइयों के विस्तार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लेकिन उद्यमियों द्वारा अपने उद्योग को देश के किसी अन्य हिस्से में ले जाने की धमकी के कारण इस प्रतिबंध का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा है। मुंबई का वास्तुशिल्प अलंकृत गॉथिक शैली का है, जो 18वीं और 19वीं शताब्दियों की विशेषता थी। यहाँ समकालीन अन्य रुपांकन (डिज़ाइन) भी है। पुराने प्रशासनिक और वाणिज्यिक भवनों के साथ गगनचुंबी व कॉन्क्रीट से बनी बहुमंज़िला इमारतें हैं।
जनजीवन
1940 के दशक से मुंबई का विकास असाधारण तो नहीं, लेकिन एक समान रहा है। 20वीं सदी की शुरुआत में यहाँ की जनसंख्या 8 लाख 50 हज़ार थी। 1941 में यह दुगुनी होकर 16 लाख 95 हज़ार हो गई है। परिवार नियोजन कार्यक्रमों के कारण इस शहर में जन्मदर देश के अन्य हिस्सों से काफ़ी कम है और जनसंख्या विकास की ऊँची दर का मुख्य कारण रोज़गार की खोज में यहाँ आने वाले लोग हैं। मुंबई विश्व की सबसे अधिक सघन आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। 1981 में ग्रेटर मुंबई का औसत घनत्व 13,500 लोग प्रति वर्ग किमी था। शहर के अधिकांश पुराने हिस्सों में घनत्व इस औसत से लगभग तीन गुना अधिक था, हालाँकि पश्च खाड़ी के पास स्थित गिरगांव, भिंडी बाजार और भुलेश्वर में घनत्व कम है। नगर के कुछ भीतरी हिस्सों में घनत्व लगभग 3,86,100 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जो शायद दुनिया का अधिकतम घनत्व है।
मुंबई का चरित्र सही मायनों में महानगरीय है और यहाँ लगभग सभी धर्मों तथा विश्व के सभी क्षेत्रों के लोग रहते हैं। यहाँ की लगभग आधी आबादी हिंदुओं की है, लेकिन मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिक्ख, पारसी और यहूदी समुदाय भी यहाँ मौजूद हैं। मुंबई में लगभग सभी भारतीय भाषाएं और कई विदेशी भाषाएं बोली जाती हैं। राजकीय भाषा मराठी प्रमुख स्थानीय भाषा है, इसके बाद गुजराती और हिंदी का स्थान है।
अर्थव्यवस्था
मुम्बई भारत की आर्थिक धुरी एवं वाणिज्यिक व वित्तीय केन्द्र है। कुछ मायनों में इसकी आर्थिक संरचना भारत में नाभिकीय और पुरातन कालों के संयोजन को प्रदर्शित करती है। इस नगर में भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग स्थित है, जिसमें परमाणु रिऐक्टर और प्लूटोनियम विलग्नक स्थित है। नगर के कई हिस्सों में अब भी ईधन और ऊर्जा के पारम्परिक जैविक साधनों का इस्तेमाल होता है।
उद्योग
सूती वस्त्र उद्योग, जिसके कारण 19वीं शताब्दी में यह नगर समृद्ध हुआ। अब भी महत्वपूर्ण है, लेकिन अब इसका पतन हो रहा है, क्योंकि कई सूती वस्त्र मिलों को रूग्ण इकाई घोषित कर दिया गया हैं नए विकासशील उद्योगों में धातु, रसायन, वाहन, इलेक्ट्रानिक्स, इंजीनियरिंग और कई प्रकार के सहायक उद्यम शामिल हैं। शाद्य प्रसंस्करण, काग़ज़—निर्माण, छपाई और प्रकाशन जैसे शहरी उद्योग भी रोज़ग़ार के अवसर उपलब्ध कराने में सहायक हैं। सेवा और अनौपचारिक क्षेत्र में 20वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में काफ़ी विस्तार हुआ है।
वाणिज्य और वित्त
देश का केन्द्रीय बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक, कई अन्य व्यवसायिक बैंक और सरकारी बान्डों व निजी शेयरों में देश के सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा निवेशक राष्ट्रीयकृत उद्यम भारतीय जीवन बीमा निगम और दीर्घकालीन निवेश से जुड़े प्रमुख वित्तीय संस्थान मुम्बई में स्थित हैं। इस कारण इस शहर में कई वित्तीय और व्यापारिक सेवाएँ उपलब्ध हैं। मुम्बई स्टाक एक्सचेन्ज देश का अग्रणी स्टाक और शेयर बाज़ार है। हालाँकि आज़ादी के बाद देश भर में कई आर्थिक केन्द्र पनपे हैं, जिसके कारण इस एक्सचेन्ज का उतना महत्व नहीं रहा। फिर भी वित्तीय व अन्य व्यापारिक कारोबार के मामले में यह प्रमुख केन्द्र है और देश की अर्थ-व्यवस्था के पैमाने की भूमिका निभाता है।
परिवहन
मुम्बई सड़क संजाल द्वारा भारत के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है। यह पश्चिम तथा मध्य रेलवे का मुख्यालय है और इस नगर से चलने वाली रेलगाड़ियाँ भारत के सभी हिस्सों तक सामान व यात्रियों को ले जाती हैं। छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कई विदेशी हवाई सेवाओं के आगमन का महत्वपूर्ण स्थल है। जबकि निकटस्थ सान्ताक्रूज़ हवाई अड्डे से घरेलू उड़ानें भरी जाती हैं। मुम्बई में भारत के अंतर्राष्ट्रीय हवाई यातायात का 60 प्रतिशत और घरेलू यातायात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा केन्द्रित है। यहाँ के बंदरगाह पर उपलब्ध सुविधाओं ने मुम्बई को देश का प्रमुख पश्चिमी बंदरगाह बना दिया है। हालाँकि पश्चिमी तट पर मुम्बई के उत्तर में कांडला और दक्षिण में गोवा व कोच्चि जैसे कई अन्य प्रमुख बंदरगाह बन गए हैं, लेकिन यहाँ से अब भी भारत के समुद्री व्यापार का 40 प्रतिशत हिस्सा संचालित होता है। दो उपनगरीय विद्युत रेलप्रणालियाँ मुख्य सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराती हैं और रोज़ महानगरीय क्षेत्र के लाखों लोगों को ढोती हैं। मुम्बई में नगरपालिका के स्वामित्व वाली बस सेवा भी है।
प्रशासनिक एवं सामाजिक विशेषताएँ
सरकार
महाराष्ट्र की राजधानी के रूप में यह शहर राज्य प्रशासन का समेकित राजनीतिक खण्ड है, जिसके मुख्यालय को मंत्रालय कहा जाता है। राज्य सरकार पुलिस बल को नियंत्रित करती है और नगर के कुछ विभागों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखती है। डाक एवं टेलीग्राफ़ प्रणाली, रेल, बंदरगाह और हवाई अड्डों जैसे संचार साधनों पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण है। मुम्बई में भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान का मुख्यालय भी है और यह भारतीय फ़्लैगशिप का बेस भी है। शहर का प्रशासन वृहद (ग्रेटर) मुम्बई के पूर्णतःस्वायत्त नगर निगम के अंतर्गत है। इसकी विधायी संस्था का निर्वाचन हर चार वर्ष में वयस्क मताधिकार द्वारा होता है और यह विभिन्न स्थायी समितियों के माध्यम से काम करती है। राज्य सरकार के द्वारा तीन वर्षों के लिए नियुक्त मुख्य कार्यकारी यहाँ का निगम आयुक्त होता है। महापौर का चुनाव हर वर्ष नगर निगम द्वारा किया जाता है; महापौर निगम की बैठकों की अध्यक्षता करता है और शहर में सर्वाधिक सम्मानित माना जाता है, लेकिन वस्तुतः उसके पास कोई सत्ता नहीं होती।
जनसुविधाएँ
निगम के कई कार्यों में चिकित्सा सेवा, शिक्षा, जलापूर्ति, अग्निशमन, कचरे की व्यवस्था, बाज़ार, उद्यान और इंजीनियरिंग परियोजनाओं का, जैसे निकास तथा सड़कों व गलियों में प्रकाश व्यवस्था को बेहतर बनाना, काम शामिल हैं। नगर निगम शहर में यातायात प्रणाली और विद्युत आपूर्ति को संचालित करता है। यहाँ सरकार और निजी क्षेत्र की एजेंसियों के द्वारा एक ग्रिड प्रणाली के ज़रिये बिजली शहर में वितरित की जाती है। जलापूर्ति व्यवस्था भी नगर निगम के द्वारा संचालित की जाती है और यह मुख्यतः निकटस्थ ठाणे ज़िले की तांसा झील, तुलसी व विहार झीलों से प्राप्त किया जाता है। मूलतः जलापूर्ति के लिए निर्मित पवई झील कारगर साबित नहीं हुई, क्योंकि इसका पानी पीने योग्य नहीं है।
स्वास्थ्य
इस शहर में 100 से अधिक अस्पताल हैं, जिनमें केन्द्र, राज्य सरकार और निगम संस्थाओं द्वारा संचालित अस्पताल और कई (क्षय-रोग, कैन्सर और ह्रदय रोगों के लिए) विशेष संस्थान शामिल हैं, यहाँ पर कई अग्रणी निजी अस्पताल भी हैं। यहाँ हेफ़काइन इंस्टिट्यूट भी है, जो एक अग्रणी बैक्टीरिया अनुसन्धान केन्द्र है, इसे उष्णकटिबन्धीय बीमारियों में विशिष्टता प्राप्त है।
सुरक्षा
शहर के पुलिस बल का प्रमुख पुलिस आयुक्त होता है, जो मुम्बई में क़ानून एवं व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार होता है, प्रशासनिक रूप से वह राज्य के गृह सचिव के प्रति जवाबदेह होता है।
शिक्षा
मुम्बई की साक्षरता दर समूचे राष्ट्र की साक्षरता दर से काफ़ी अधिक हैं। प्राथमिक शिक्षा मुफ़्त व अनिवार्य है और यह नगर निगम का दायित्व है। माध्यमिक शिक्षा सरकारी व निजी विद्यालयों द्वारा सरकार की देखरेख में कराई जाती है। यहाँ सार्वजनिक एवं निजी पालिटेक्निक व संस्थान हैं, जो विद्यार्थियों को यांत्रिकी, विद्युत तथा रासायनिक इंजीनियरी में विभिन्न डिग्री व डिप्लोमा देते हैं। केन्द्र सरकार के द्वारा संचालित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. टी.) भी यहाँ पर स्थित है। अन्य इंजीनियरिंग कालेजों में:-
- सरदार पटेल कालेज आफ़ इंजीनियरिंग,
- वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलाज़िकल इंस्टिट्यूट,
- के. जी. एस. कालेज आफ़ इंजीनियरिंग,
- एम. एच. एस. एस. कालेज आफ़ इंजीनियरिंग,
- डी. जे. एस. कालेज आफ़ इंजीनियरिंग,
- थोडोमल शाही इंजीनियरिंग कालेज और
- विवेकानन्द इंस्टिट्यूट आफ़ टेक्नोलोज़ी शामिल हैं।
1857 में स्थापित बाम्बे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कला, विज्ञान, वाणिज्य व शिक्षा सम्बन्धी महाविद्यालय, चिकित्सा, होमियोपैथी, यूनानी चिकित्सा, फ़ार्मेसी व दन्त चिकित्सा महाविद्यालय, वास्तुशिल्प, शारीरिक शिक्षा एवं प्रबन्धन संस्थान हैं। मुम्बई में महिलाओं के लिए एस. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय भी है। 1857 में स्थापित बाम्बे विश्वविद्यालय से बहुत से महाविद्यालय और कई शिक्षण विभाग जुड़े हुए हैं। गोवा में स्थित बहुत से महाविद्यालय इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं।
सांस्कृतिक जीवन
मुम्बई का सांस्कृतिक जीवन इसकी जातीय विविधतायुक्त जनसंख्या को प्रतिबिम्बित करता है। शहर में बहुत से संग्रहालय, पुस्तकालय, साहित्यिक एवं कई अन्य सांस्कृतिक संस्थान, कला, दीर्घाएँ व रंगशालाएँ हैं। भारत का कोई अन्य शहर अपनी सांस्कृतिक एवं मनोरंजन सुविधाओं के मामले में इतनी उच्च श्रेणी की विविधता और गुणवत्ता का शायद ही दावा कर सके। मुम्बई भारतीय फ़िल्म उद्योग का गढ़ है। साल भर यहाँ पश्चिमी व भारतीय संगीत सम्मेलन एवं महोत्सव और भारतीय नृत्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इंडो—सार्सेनिक वास्तुशिल्प की एक इमारत में द प्रिंस आफ़ वेल्स म्यूज़ियम आफ़ वेस्टर्न इंडिया है, जिसमें कला, पुरातत्व व प्राकृतिक इतिहास के तीन प्रमुख विभाग हैं। निकट ही जहाँगीर आर्ट गैलरी है, जो मुम्बई की पहली स्थायी कला दीर्घा है और सांस्कृतिक व शैक्षिक गतिविधियों का केन्द्र है। मुम्बई भारतीय मुद्रण उद्योग का महत्वपूर्ण केन्द्र है और यहाँ सशक्त प्रेस है। यहाँ अंग्रेज़ी, मराठी, हिन्दी, गुजराती, सिन्धी व उर्दू में समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं। बहुत-सी मासिक, पाक्षिक व साप्ताहिक पत्रिकाएँ भी यहाँ से प्रकाशित होती हैं। आल-इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) का क्षेत्रीय केन्द्र भी मुम्बई में ही है और इस शहर के लिए दूरदर्शन सेवाएँ 1972 में शुरू हुईं। शहर के उत्तर में कृष्णगिरि वन एक राष्ट्रीय उद्यान और छुट्टियाँ बिताने के लिए ख़ूबसूरत सैरगाह है, कन्हेरी गुफ़ाओं के निकट एक प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय था, यहाँ 100 से अधिक गुफ़ाओं में दूसरी से नौवीं शताब्दी तक के विशालकाय बौद्ध मूर्तिशिल्प हैं। यहाँ पर कई सार्वजनिक उद्यान हैं। जिसमें जीजामाता उद्यान शामिल है, यहाँ पर मुम्बई का चिड़ियाघर स्थित है, यहाँ पर बैपटिस्टा गार्डन भी है, जो मज़गाँव में एक जलाशय पर स्थित है; इसके अलावा मालाबार हिल पर स्थित फ़िरोज़शाह मेहता गार्डन, कमला नेहरू पार्क व स्लोपिंग पार्क हैं। समूचे भारत में लोकप्रिय क्रिक्रेट के मैच भारतीय क्रिकेट क्लव (ब्रेबोर्न स्टेडियम) और वानखेड़े स्टेडियम में खेले जाते हैं। दौड़ व साइकिल चालन प्रतियोगिताएँ वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम में आयोजित की जाती है। स्नान व तैराकी के लिए जुहू समुद्र तट एक प्रसिद्ध स्थान है।
इतिहास
मछुआरों की मूल जनजाति, कोली यहाँ के आरम्भिक ज्ञात निवासी थे, हालाँकि वृहद मुम्बई के कान्दीवली में पाए गए पुरापाषाण काल के पत्थर के औज़ार यहाँ पाषाण काल के दौरान मानव बस्ती की ओर संकेत करते हैं। प्राचीन यूनानी खगोलशास्त्री व भूगोलविज्ञानी टालेमी के समय में यह क्षेत्र हेप्टेनिशिया के रूप में जाना जाता था और यह 1000 वर्ष ई. पू. में फ़ारस व मिस्र के साथ समुद्री व्यापार का प्रमुख केन्द्र था। तीसरी शताब्दी ई. पू. में यह अशोक के साम्राज्य का हिस्सा था और छठी से आठवीं शताब्दी में यहाँ चालुक्यों का शासन रहा, जिन्होंने अपनी छाप घरपुरी (एलीफ़ेन्टा द्वीप) पर छोड़ी। मालाबार पाइन्ट पर बना वाकेश्वर मन्दिर सम्भवतः कोंकण तट के शिलाहर प्रमुखों के शासन (9वीं से 13वीं शताब्दी) के दौरान निर्मित किया गया था। दोगिरि के यादवों (1187-1318) के समय में इस द्वीप (जो बाम्बे द्वीप बना) पर महिकावती (माहिम) बस्ती की स्थापना हुई, जो 1924 में हिन्दुस्तान के ख़िलजी वंश के आक्रमणों के जवाब में बनाई गई। इन्हीं के वंशज वर्तमान मुम्बई में पाए जाते हैं और बहुत से स्थानों के नाम आज भी उसी युग से हैं। 1348 में आक्रमणकारी मुस्लिम सेनाओं ने इस द्वीप को जीत लिया और यह गुजरात राज्य का हिस्सा बन गया। माहिम को जीतने की पुर्तग़ाली कोशिश 1507 में असफल रही, लेकिन 1534 में गुजरात के शासक सुल्तान बहादुरशाह ने यह द्वीप पुर्तग़ालियों को सौंप दिया। 1661 में किंग चार्ल्स द्वितीय व पुर्तग़ाल के राजा की बहन कैथरीन आफ़ ब्रैगेंज़ा के विवाह के बाद यह ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया। राजा ने इसे 1668 में ईस्ट इंडिया कम्पनी को सत्तांतरित कर दिया। शुरूआत में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) व मद्रास (वर्तमान चेन्नई) की तुलना में बंबई कम्पनी की बहुत बड़ी सम्पत्ति ने होकर केवल पश्चिमी तट पर कम्पनी की पैर जमाए रखने में सहायता करता था। मुख्य भूमि पर मुग़ल, मराठा व गुजरात के प्रादेशिक शासक अधिक शक्तिशाली थे। यहाँ तक कि ब्रिटिश नौसेना का मुग़लों, मराठों, पुर्तगालियों व डचों से कोई मुक़ाबला नहीं था। 19वीं शताब्दी के आरम्भ तक बाहरी घटनाओं ने शहर के तेज़ विकास में सहायता की। दिल्ली में मुग़ल शक्ति के पतन, मुग़ल-मराठा प्रतिद्वन्द्विता और गुजरात में मौजूद अस्थिरता ने कारीगरों व व्यापारियों को शरण लेने के लिए इस द्वीप पर जाने को मज़बूर किया और इस प्रकार मुम्बई का विकास शुरू हुआ। मराठा शक्ति के विनाश के साथ मुख्यभूमि से व्यापार व संचार स्थापित हुआ और उसका यूरोप तक विस्तार किया गया, जिससे समृद्धी की शुरुआत हुई। 1857 में पहली कताई व बुनाई मिल स्थापित की गई और 1860 तक मुम्बई भारत का विशालतम सूती वस्त्र बाज़ार बन गया। अमेरिकी नागरिक युद्ध (1861-65) और ब्रिटेन को किए जा रहे कपास की आपूर्ति रुक जाने से मुम्बई के व्यापार में उछाल आया। लेकिन नागरिक युद्ध के समाप्त होने के बाद कपास के दामों में भारी कमी आई तथा व्यापार में तेज़ी ख़त्म हो गई। तब तक हालाँकि अतःक्षेत्र खोले जा चुके थे और मुम्बई आयात व्यापार का मज़बूत केन्द्र बन चुका था।
1869 में स्वेज़ नहर के खुलने के साथ ही मुम्बई में समृद्धि आई, हालाँकि जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ झुग्गियों और अस्वच्छ स्थितियों में भी कई गुना वृद्धि हुई। 1896 में यहाँ प्लेग का प्रकोप फैला और नए क्षेत्रों में बस्तियाँ बसाने व कामगार वर्ग के लिए आवास की व्यवस्था करने के लिए सिटी इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की स्थापना की गई। 525 हेक्टेयर क्षेत्र को घेरने के लिए तटबन्ध बनाने की महत्वाकांक्षी योजना का 1918 में प्रस्ताव किया गया, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत में अपने क़िस्म की पहली दोतरफ़ा सड़क नेताजी सुभाष मार्ग, जो नरीमन प्वाइंट से मालाबार प्वाइंट तक है, के बन जाने तक यह पूरा नहीं हो सका। युद्ध के बाद के वर्षों में उपनगरीय क्षेत्रों में आवासीय इकाइयों के विकास की शुरूआत हुई और नगर निगम के माध्यम से मुम्बई नगर के प्रशासन को वृहत मुम्बई के उपनगरों तक विस्तारित किया गया। यह शहर भूतपूर्व बाम्बे प्रेज़िडेन्सी व बाम्बे राज्य की राजधानी रह चुका है और 1960 में इसे महाराष्ट्र राज्य की राजधानी बनाया गया। 19वीं सदी के अन्त व 20 शताब्दी के आरम्भ में मुम्बई भारतीय राष्ट्रवादी और क्षेत्रीय राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्र था। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (स्वतंत्रता प्राप्ति तक भारत समर्थक और ब्रिटिश विरोधी भावनाओं का केन्द्रीय दल) का पहला अधिवेशन इस नगर में हुआ, जिसके बाद 1942 के अधिवेशन में कांग्रेस ने 'भारत छोड़ो' प्रस्ताव पारित किया, जिससे भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की माँग की गई थी। 1956 से 1960 तक मुम्बई में मुम्बई राज्य के ब्रिटिश उपनिवेशवाद से विरासत में मिले द्विभाषीय (मराठी--गुजराती) स्वरूप के ख़िलाफ़ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और इसके बाद विभाजन हुआ, जिससे गुजरात व महाराष्ट्र के आधुनिक राज्यों का निर्माण हुआ।
जनसंख्या
मुम्बई की जनसंख्या (2001) 33,26,837 है और मुम्बई उपनगरीय क्षेत्र की जनसंख्या 85,87,561 है।