संतराम अखाड़ा, वाराणसी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 6 अप्रैल 2015 का अवतरण (Text replace - "गुलाम" to "ग़ुलाम")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

अखाड़ा संतराम बनारस का प्रसिद्ध अखाड़ा है। यहाँ संतराम और मिसिरजी की आकर्षक प्रतिमा लगी है। इसकी प्राचीनता के बारे में कोई शक नहीं है। यह वही अखाड़ा है जहाँ यशस्वी गामा और ग़ुलाम ने शिक्षा पाई। इसी अखाड़े के संतराम के शिष्य बख्तावर गिरि थे। गिरि के हाथ के जोशन अर्थात् इनके भुजदण्ड का ऊपरी हिस्सा 16 अंगुल चौड़ा था। एक थे दुद्वी महराज, इन्हें कुम्भक प्राणायाम सिद्ध था। ये कभी थकते ही न थे। कहा जाता है कि जब ग़ुलाम पहलवान काशी आया तो वे लगभग 11 दिन तक उससे कुश्ती लड़ते रहे। यहाँ के एक गुरू देवनाथ बाबा बड़े ही बलशाली थे। इनकी एक-एक टाँगों में भैंसे का बल था। मिसिर जो दूसरे गुरू हुए। वे बैठकर ही एक हजार जोड़ी फेरा करते और एक ही दम में 2800 बैठकी और 1800 डण्ड किया करते। आप ‘एक अँगुली’ दाँव के लिए प्रसिद्ध थे। मात्र अँगुली से ही चित्त कर देना इनकी विशेषता था। यहाँ ‘पहाड़वाली हरी’ व ‘खीड़ी वाली प्रसिद्ध जोड़ी है। जिन्हें फेरने का यश पन्ना लाल को मिला। कल्लू सरदार यहाँ के प्रसिद्ध पहलवान रहे। हर सातवे दिन यहाँ संतराम की मूर्ति पर चमेली का तेल मला जाता है। मालिशकर्ता उस वक्त पसीने से लथपथ हो जाता है। श्रृंगार के दिन उस मूर्ति से कोई आँख नहीं मिला सकता। संतराम पहले लँगड़े थे। बाद में एक बुढ़िया के आशीर्वाद से ठीक हो गये। उनमे दो-दो भैसों के समान ताकत थी। अँगूठे पर पाँच मन का पत्थर उठाया करते थे।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2014।

संबंधित लेख