मुरुगन
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मुरुगन हिन्दू देवता 'कार्तिकेय' का ही एक अन्य नाम है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को दक्षिण भारत में 'मुरुगन' नाम से जाना जाता है। इनके अधिकतर भक्त तमिल हिन्दू हैं। भगवान मुरुगन की पूजा मुख्यत: भारत के दक्षिणी राज्यों और विशेषकर तमिलनाडु में की जाती है। मुरुगन भारत के तमिलनाडु राज्य के रक्षक देवता माने जाते हैं।
- विश्व में जहाँ कहीं भी तमिल भाषी निवास करते हैं, जैसे- श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर आदि, वहाँ मुरुगन पूजे जाते हैं।
- मुरुगन के छ: सबसे प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडु में स्थित हैं। तमिल इन्हें 'तमीज़ कादुवुल' यानि कि तमिलों के देवता कहकर संबोधित करते हैं।
- कार्तिकेय (मुरुगन) भगवान शिव-पार्वती के पुत्र हैं तथा सदैव बालक रूप में ही रहते हैं। इनके इस बालक स्वरूप का भी एक रहस्य है। माता पार्वती ने इन्हें कभी जवान न होने का शाप दिया था।
मुरुगन के प्रसिद्ध मन्दिर
निम्नलिखित छह आवास, जिसे 'आरुपदै विदु' के नाम से जाना जाता है, भारत के तमिलनाडु में भगवान मुरुगन के भक्तों के लिए बहुत ही मुख्य तीर्थ स्थानों में से हैं-
- 'पलनी मुरुगन मन्दिर' - कोयंबटूर से 100 कि.मी. पूर्वी-दक्षिण में स्थित।
- 'स्वामीमलई मुरुगन मन्दिर' - कुंभकोणम के पास।
- 'तिरुत्तनी मुरुगन मन्दिर' - चेन्नई से 84 कि.मी.।
- 'पज्हमुदिर्चोलाई मुरुगन मन्दिर' - मदुरई से 10 कि.मी. उत्तर में स्थित।
- 'श्री सुब्रहमन्य स्वामी देवस्थानम' - तिरुचेन्दुर, तूतुकुडी से 40 कि.मी. दक्षिण में स्थित।
- 'तिरुप्परनकुंद्रम मुरुगन मन्दिर' - मदुरई से 10 कि.मी. दक्षिण में स्थित।
इन्हें भी देखें: कार्तिकेय
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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