लार्ड डलहौज़ी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:48, 25 अगस्त 2010 का अवतरण (Text replace - "॰" to ".")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

1848 ई. में अर्ल ऑफ़ डलहौज़ी गवर्नर जनरल बन कर भारत आया। उसका शासन काल आधुनिक भारतीय इतिहास में एक स्मरणीय काल रहा क्योंकि उसने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त के आधार पर अंग्रेज़ी साम्राज्य का विस्तार करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को सम्पन्न किया।

डलहौज़ी के समय में प्राप्त महत्वपूर्ण सफलताएं

  • द्वितीय आंग्ल सिख यूद्ध (1848-49) तथा पंजाब का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय (1849 ई.) डलहौज़ी की प्रथम सफलता थी।
  • डलहौज़ी ने सिक्किम पर दो अंग्रेज़ डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर अधिकार कर लिया (1850 ई.)।
  • लोअर बर्मा तथा पीगू का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय डलहौज़ी के समय में ही किया गया। उसके समय में ही द्वितीय आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया, जिसका परिणाम था बर्मा की हार तथा लोअर बर्मा एवं पीगू का अग्रेज़ी साम्राज्य में विलय (1852 ई.)।

डलहौज़ी के शासन काल को उसके व्यपगत सिद्धान्त के कारण अधिक याद किया गया है। इसने भारतीय रियासतों को तीन भागों में बाँटा:-

  • प्रथम वर्ग में ऐसी रियासतें शामिल थीं जिसने न तो अंग्रेज़ी की अधीनता स्वीकार की थी और न ही कर देती थीं।
  • द्वितीय वर्ग में ऐसी रियासतें (भारतीय) सम्मिलित थीं जो पहले मुग़लों एवं पेशावाओं के अधीन थीं, पर वर्तमान समय में अंग्रेज़ों के अधींनस्थ थीं।
  • तृतीय वर्ग में ऐसी रियासतें शामिल थीं जिसे अंग्रेज़ों ने सनदों द्वारा स्थापित किया था।
डलहौज़ी द्वारा विलय किये गये राज्य
राज्य वर्ष
सतारा 1848 ई.
जैतपुर, संभलपुर 1849 ई.
बघाट 1850 ई.
उदयपुर 1852 ई.
झाँसी 1853 ई.
नागपुर 1854 ई.
करौली 1855 ई.
अवध 1856 ई.


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ