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baasham
हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि भारत ने जितना ॠण ग्रहण किया है, उतना ही अथवा उससे भी अधिक उसने प्रदान किया है। भारत के प्रति विश्व के ॠण का सारांश इस प्रकार है-
सम्पूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया को अपनी अधिकांश संस्कृति भारत से प्राप्त हुई। ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी के प्रारम्भ में पश्चिमी भारत के उपनिवेशी लंका में बस गये, जिन्होंने अशोक के राज्यकाल में बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। इस समय तक कुछ भारतीय व्यापारी सम्भवतया मलाया, सुमात्रा तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य भागों में आने जाने लगे थे। धीरे धीरे उन्होंने स्थायी अपनिवेश स्थापित कर लिए। इसमें संदेह नहीं कि प्राय: उन्होंने स्थानीय स्त्रियों से विवाह किये। व्यापारियों के पश्चात वहाँ ब्राह्मण तथा बौद्ध भिक्षुक पहुँचे और भारतीय प्रभाव ने शनै: शनै: वहाँ की स्वदेशी संस्कृति को जाग्रत किया। यहाँ तक कि चौथी शताब्दी में संस्कृत उस क्षेत्र की राजभाषा हो गयी और वहाँ ऐसी महान सभ्यताएँ विकसित हुईं जो विशाल समुद्रतटीय साम्राज्यों का संगठन करने तथा जावा में बरोबदूर का बुद्ध स्तूप अथवा कम्बोडिया में अंगकोर के शैव मंदिर जैसे आश्चर्यजनक स्मारक निर्मित करने में समर्थ हुई। सक्षिण-पूर्व एशिया में अन्य सांस्कृतिक प्रभाव चीन एवं इस्लामी संसार द्वारा अनुभव किए गये परन्तु सभ्यता की प्रारम्भिक प्रेरणा भारत से ही प्राप्त हुई
भारतीय इतिहासकार जो अपने देश के अतीत पर गर्व करते हैं प्राय: इस क्षेत्र को 'वृहत्तर भारत' का नाम देते हैं तथा भारतीय उपनिवेशों का वर्णन करते हैं। अपने सामान्य अर्थ में 'उपनिवेश' शब्द युक्तिसंगत नहीं जान पड़ता है फिर भी यह कहा जाता है कि पौराणिक आर्य विजेता विजय ने तलवार के बल से लंका द्वीप पर विजय प्राप्त की थी। इसके अतिरिक्त भारत की सीमा के बाहर किसी स्थायी भारतीय विजय का कोई वास्तविक प्रमाण उप्लब्ध नहीं है। भारतीय उपनिवेश शान्तिप्रिय थे और उन क्षेत्रों के भारतीय नृपति स्वदेशी सेनापति थे। जिन्होंने भारत से ही सारी शिक्षा ग्रहण की थी।
भारतीय संविधान सभा
भारतीय संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसम्बर, सन 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किये गए उद्देश्य प्रस्ताव के साथ प्रारम्भ हुई।
कांग्रेसी सदस्य | ग़ैर कांग्रेसी सदस्य | महिला सदस्य | सदस्यता अस्वीकार करने वाले व्यक्ति |
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पं जवाहर लाल नेहरू | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | सरोजनी नायडू | जय प्रकाश नारायण |
सरदार वल्लभ भाई पटेल | डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी | श्रीमती हंसा मेहता | तेज बहादुर सप्रू |
डॉ. राजेंद्र प्रसाद | एन. गोपालास्वामी आयंगर | ||
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद | पं. हृदयनाथ कुंजरू | ||
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी | सर अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर | ||
आचार्य जे.बी. कृपलानी | टेकचंद बख्शी | ||
पं. गोविंद वल्लभ पंत | प्रो. के. टी. शाह | ||
राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन | डॉ. भीमराव अम्बेडकर | ||
बाल गोविंद खेर | डॉ. जयकर | ||
के. एम. मुंशी | |||
टी. टी. कृष्णामाचारी |
समिति | अध्यक्ष |
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नियम समिति | डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
संघ शक्ति समिति | पं जवाहर लाल नेहरू |
संघ संविधान समिति | पं जवाहर लाल नेहरू |
प्रांतीय संविधान समिति | सरदार वल्लभ भाई पटेल |
संचालन समिति | डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
प्रारूप समिति | डॉ. भीमराव अम्बेडकर |
झण्डा समिति | जे. बी. कृपलानी |
राज्य समिति | पं जवाहर लाल नेहरू |
परामर्श समिति | सरदार वल्लभ भाई पटेल |
सर्वोच्च न्यायालय समिति | एस. वारदाचारियार |
मूल अधिकार उपसमिति | जे. बी. कृपलानी |
अल्पसंख्यक उपसमिति | एच. सी. मुखर्जी |
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