कान्ति कुमार जैन
कान्ति कुमार जैन
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पूरा नाम | प्रो. कान्ति कुमार जैन |
जन्म | 9 सितम्बर, 1932 |
जन्म भूमि | देवरीकलाँ, सागर, मध्य प्रदेश |
मुख्य रचनाएँ | बैकुंठपुर में बचपन, महागुरु मुक्तिबोध : जुम्मा टैंक की सीढ़ियों पर, इक्कीसवीं शताब्दी की हिंदी आदि |
भाषा | हिन्दी |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | ये डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (मध्य प्रदेश) में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं। |
अद्यतन | 17:48, 10 मार्च 2015 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
प्रो. कान्ति कुमार जैन (अंग्रेज़ी: Kanti Kumar Jain, जन्म: 9 सितम्बर, 1932) हिन्दी के वरिष्ठ रचनाकार हैं। कान्ति कुमार जैन, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (मध्य प्रदेश) में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं।
परिचय
मध्य प्रदेश के देवरीकलाँ (सागर में जन्मे कान्ति कुमार जैन ने सागर विश्वविद्यालय में 1992 तक अपनी सेवाएं प्रदान कीं। ये माखनलाल चतुर्वेदी पीठ, मुक्तिबोध पीठ, बुंदेली शोध पीठ में अध्यक्ष के पद पर भी रहे हैं। इन्होंने ‘छत्तीसगढ़ की जनपदीय शब्दावली’ पर विशेष शोध कार्य किया है। वे अपनी बात को मजबूती से कहने के लिए प्रसिद्ध हैं।
रचनाएँ
- छत्तीसगढ़ी बोली व्याकरण और कोश
- भारतेंदु पूर्व हिंदी गद्य
- कबीरदास
- इक्कीसवीं शताब्दी की हिंदी
- छायावाद की मैदानी और पहाड़ी शैलियाँ
- शिवकुमार श्रीवास्तव : शब्द और कर्म की सार्थकता
- सैयद अमीर अली ‘मीर’
- लौटकर आना नहीं होगा
- तुम्हारा परसाई
- जो कहूँगा सच कहूँगा
- बैकुंठपुर में बचपन
- महागुरु मुक्तिबोध : जुम्मा टैंक की सीढ़ियों पर
- पप्पू खवास का कुनबा
- लौट जाती है उधर को भी नज़र[1]
संपादन
कान्ति कुमार जैन ने बुंदेलखंड की संस्कृति पर केंद्रित ‘ईसुरी’ नामक शोध पत्रिका का संपादन किया है। डॉक्टर जैन ने ‘भारतीय लेखक’ के परसाई अंक का ‘परसाई की खोज’ के नाम से अतिथि संपादन भी किया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रो. कांति कुमार जैन को आज मिलेगा भवभूति अलंकरण (हिन्दी) सागर समाचार। अभिगमन तिथि: 10 मार्च, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
- इधर हिंदी नई चाल में ढल रही है : कांति कुमार जैन
- भवभूति अलंकरण से कांति कुमार जैन सम्मानित
- बचपन की यादों के गलियारे से
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