साँचा:भारत पृष्ठ ऊर्जा और ईंधन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:16, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण (Text replace - "उर्जा" to "ऊर्जा")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
बिजली, कोयला, तेल और गैस
भारत के सर्वाधिक ऊँचे बाँध
क्रम बाँध नदी (निर्मित बाँध) बाँध की ऊँचाई बाँध की लम्बाई (मीटर में) जलाशय क्षमता
1 टिहरी बाँध भागीरथी 261 570 35,390
2 किशाऊ बाँध टोंस 253 260 24,000
3 इदुक्की बाँध पेरियार 196 366 19,960
4 भाखड़ा बाँध सतलुज 191 440 5,800
5 लखवार बाँध यमुना 191 440 5,800
6 श्रीशैलम बाँध कृष्णा 143 512 87,220
7 चेरूतानी बाँध चेरूतानी 138 650 19,960
8 सरदार सरोवर बाँध नर्मदा 137 1210 94,920
9 पोंग बाँध व्यास 133 1950 87,700
10 साइलैण्ड बैली बाँध कुंती पूजा 131 430 3,170
तेल शोधनशालाएँ
शोधनशाला स्थापना वर्ष शोधन क्षमता[1]
डिग्बोई (असम) 1901 5.0
मुम्बई (एच.पी.सी.एल.) 1954 55
मुम्बई (बी.पी.सी.एल.) 1955 60
विशाखापटनम 1957 45
गुवाहाटी (असम) 1962 8.5
बरौनी (बिहार) 1964 33.0
कोयली (गुजरात) 1965 95
कोचीन 1966 45
चेन्नई 1969 56
हल्दिया (पश्चिम बंगाल) 1975 27.5
बोगाईगाँव (असम) 1979 13.5
मथुरा (उत्तर प्रदेश) 1982 75
करनाल (हरियाणा) 1987 30
जामनगर (गुजरात) 1999 54
ताप विद्युत गृह (कोयला)
विद्युत गृह राज्य
नेवली ताप विद्युत गृह तमिलनाडु
पतरातू ताप विद्युत गृह हज़ारीबाग़, झारखण्ड
कोरबा ताप विद्युत गृह छत्तीसगढ़
हरदुआगंज ताप विद्युत गृह उत्तर प्रदेश
ओबरा ताप विद्युत गृह मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश
तालचर ताप विद्युत गृह उड़ीसा
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह मध्य प्रदेश
फरक्का सुपर ताप विद्युत गृह पश्चिम बंगाल
रामागुण्डम सुपर ताप विद्युत गृह आंध्र प्रदेश
विन्ध्याचल सुपर ताप विद्युत गृह मध्य प्रदेश
रिहन्द ताप विद्युत गृह उत्तर प्रदेश
सिंगरौली ताप विद्युत गृह उत्तर प्रदेश
वितरण-उत्पादन (कोयला)
राज्य संख्या [2] प्रतिशत[3] उत्पादन[4] प्रतिशत[3]
झारखण्ड 207 35% 754.13 24.35%
उड़ीसा 21 24% 448.03 14.46%
छत्तीसगढ़ 17%
पश्चिम बंगाल 106 13% 200.99 6.29%
आंध्र प्रदेश 68 06% 302.74 9.77%
महाराष्ट्र 62 03% 287.53 5.45%
उत्तर प्रदेश 04 168.63 5.45%
संपूर्ण भारत 606 3096.28
भंडार-उत्पादन (गैस)
क्षेत्र / राज्य भंडार[5] प्रतिशत[3]
मुम्बई हाई 13,976 80%
गुजरात 1,793 11%
असम 1,217 8%
तमिलनाडु 306 1.5%
त्रिपुरा 10 8.6%


परमाणु ऊर्जा

भारत का परमाणु ऊर्जा विभाग तीन चरणों में नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम चला रहा है-

  1. पहले चरण में दाबित गुरुजल रिएक्टरों (पी एच डब्ल्यू आर) और उनसे जुड़े ईंधन-चक्र के लिए विधा को स्थापित किया जाना है। ऐसे रिएक्टरों में प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन के रुप में गुरुजल को मॉडरेटर एवं कूलेंट के रुप में प्रयोग किया जाता है।
  2. दूसरे चरण में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर बनाने का प्रावधान है, जिनके साथ पुनः प्रसंस्करण संयंत्र और प्लूटोनियम-आधारित ईंधन संविचरण संयंत्र भी होंगे। प्लूटोनियम को यूरेनियम 238 के विखंडन से प्राप्त किया जाता है।
  3. तीसरा चरण थोरियम-यूरेनियम-233 चक्र पर आधारित है। यूरेनियम-233 को थोरियम के विकिरण से हासिल किया जाता है।
पहला चरण

नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के प्रथम चरण का उपयोग व्यावसायिक क्षेत्रों में हो रहा है। भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम लिमिटेड (एन.पी.सी.आई.एल.) परमाणु ऊर्जा विभाग की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई है जिस पर नाभिकीय रिएक्टरों के डिजाइन, निर्माण और संचालन का दायित्व है। कम्पनी 17 रिएक्टर्स (दो उबलते जल वाले रिएक्टर और 15 दाबित गुरुजल रिएक्टर) का संचालन करती है जिनकी कुल क्षमता 4120 मेगावॉट है। एनपीसीआईएल 03 पीएचडब्ल्यू रिएक्टर्स का तथा दो हल्के जल रिएक्टर्स का निर्माण का रही है जिससे इसकी क्षमता वर्ष 2008 तक बढ़ का 6780 मेगा इलेक्ट्रिक वॉट हो जाएगी।

द्वितीय चरण

फा‍स्‍ट ब्रीडर कार्यक्रम तकनीकी प्रदर्शन के चरण में है। दूसरे चरण का अनुभव प्राप्‍त करने के लिए इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्‍द्र (आई. जी. सी. ए. आर.) तरल सोडियम द्वारा ठंडे किए जा रहे फास्‍ट ब्रीडर रिएक्‍टरों के डिजाइन और विकास में लगा है। इसने फास्‍ट ब्रीडर रिएक्‍टर प्रौद्योगिकी विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है। इसके 500 मेगावाट क्षमता के प्रोटोटाइप फास्‍ट ब्रीडर रिएक्‍टर (पी.एफ.बी.आर.) का निर्माण कलपक्‍कम में शुरू कर दिया गया है। इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए नई कंपनी भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम (बीएचएबीआरएनआई) ‘भाविनी’ द्वारा वर्ष 2010-11 तक दक्षिणी ग्रिड को 500 मेगा इलेक्ट्रिक वाट विद्युत की आपूर्ति की जा सकेगी।

तृतीय चरण

नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का तीसरा चरण तकनीकी विकास के चरण में है। बार्क में 300 मेगावाट के उन्‍नत गुरुजल रिएक्‍टर (ए.एच.डब्‍लू.आर.) का विकास कार्य चल रहा है ताकि थोरियम इस्‍तेमाल में विशेषज्ञता हासिल हो सके और सुरक्षा के पुख्‍ता तरीकों का प्रदर्शन हो जाए। थोरियम आधारित प्रणालियों जैसे एएचडब्‍ल्यूआर को व्‍यावसायिक इस्‍तेमाल के लिए तभी स्‍थापित किया जा सकता है जबकि फास्‍ट ब्रीडर रिएक्‍टर के आधार पर उच्‍च क्षमता का निर्माण कर लिया जाए।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (लाख टन)
  2. खदानों की संख्या
  3. 3.0 3.1 3.2 देश के कुल भंडार का प्रतिशत सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "प्रतिशत" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "प्रतिशत" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  4. 2000-01 (लाख टन)
  5. (क्यूबिक मीटर)